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हंसी-ठहाकेः चल तो रहे हो, मायके, मगर…मगर लड़ना मत, वो मेरे पापा का घर

फीचर डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
दोस्तों, हंसना सेहत के लिए सबसे उम्दा टाॅनिक है, हंसने से टेंशन कम होती है। तो आइए हम भी चुटकुलों के माध्यम से आपको हंसने पर मजबूर करते हैं। हंसे तो ठीक नहीं हंसे तब भी अपुन का क्या जाता है, तो चलिए पहला जोक मारते हैं।

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पति शाम को बहुत उदास होकर घर लौटा
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पत्नी, घबराते हुए – का हुआ जी…?
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पति, दुखी स्वर में – मत पूछो, आज हमारे ऑफिस की बिल्डिंग गिर गई और सारे लोग मर गए…!
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पत्नी – तो आप कैसे बचे…?
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पति – मैं सिगरेट पीने बाहर गया हुआ था…!
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पत्नी, इत्मिनान की गहरी सांस छोड़ते हुए – चलो शुक्र है भगवान का…!
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थोड़ी देर में ही टीवी पर खबर आने लगी कि सरकार ने सभी मृतकों के परिवार वालों को 1-1 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है…!
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पत्नी गुस्से में – ना जाने तुम्हारी ये सिगरेट की आदत कब छूटेगी…?

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जोक से पहले बाबा जी का ज्ञान सुन लीजिए।
खुद को इतना मजबूत बनाओ कि ऊपर वाला भी सोचने पर मजबूर जाए कि मैंने तो इसे मिट्टी का बनाया था, ये अंबुजा सीमेंट कैसे बन गया…!

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अब तीसरा जोक्स फेंक रहा हूं।

पति मजे से बादाम खा रहा था…
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इतने में बीवी आकर बोली – मुझे भी टेस्ट कराओ…!
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पति ने एक बादाम बीवी को दे दिया
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बीवी – बस एक…?
पति – हां, बाकी सबका भी ऐसा ही टेस्ट है…!

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पत्नी – चल तो रहे हो, मायके, मगर…मगर लड़ना मत, वो मेरे पापा का घर है।
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.पति (झुंझलाकर) – तो मेरे पापा का घर क्या कुरुक्षेत्र है, जो रोज यहां महाभारत करती हो…!

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चलिए एक और झकझकी सुनाता हूं।
पत्नी – सूजी के हलवे में चीनी कम है…!
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.पति – लेकिन ये तो उपमा बनाया था मैंने…!
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.पत्नी – अच्छा, फिर नमक ज्यादा है उपमा में…!
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पति बेहोश…!

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एक
उर्दू के टीचर ने सवाल पूछा –
नाकाम इश्क और  मुकम्मल इश्क में क्या फर्क होता है…?
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छात्र ने जवाब दिया – नाकाम इश्क बेहतरीन शायरी करता है,
गजल गाता है, पहाड़ों में घूमता है, उम्दा शराब पीता है।
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और
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मुकम्मल इश्क सब्जी के साथ मुफ्त में धनिया कैसे मिले,
रास्ते से ब्रेड लाते और दाल में नमक ज्यादा के फेर में दम तोड़ देता है…!


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