Home न्यूज YOUTH KHAS: चीनी मिल का शोर छोड़ो, गुड़ प्रसंस्करण इकाई लगाकर...

YOUTH KHAS: चीनी मिल का शोर छोड़ो, गुड़ प्रसंस्करण इकाई लगाकर भी सुधारी जा सकती गन्ना किसानों की आर्थिक सेहत

– केविके में लगी गुड़ प्रसंस्करण इकाई इस दिशा में सफल प्रयोग, बाजार में बढ़ी उत्तम किस्म के इस गुड़ की मांग
– किसानों के गन्ने का मिल रहा सरकारी दाम

पीपराकोठी। राजेश कुमार सिंह

आजकल हर किसान नेता या खुद को बौ़िद्धक समझने वाले किसान अपनी हर चुनावी मांग में चीनी मिल का मुद्दा जरूर उठाते हैं। जो वर्तमान परिपेक्ष्य में दूर की कौड़ी लगती है, क्योंकि इसको लेकर कई तरह की पेचिदगियां है, मगर इस शोर के बीच हम गुड़ उत्पादन की क्षमता को एकदम से नकार जाते हैं। जबकि गुड़ खासकर जैविक गुड़ यूनिट अधिक से अधिक लगाकर भी किसानों की समस्याओं को न सिर्फ दूर किया जा सकता है, वरन उनके खुद का उद्यम भी खड़ा किया जा सकता है। वैसे भी अपनी स्वास्थ्य गुणों के कारण जैविक गुड़ की डिमांड भी काफी बढ़ गई है।

पतंजलि जैसी कंपनियां भी जैविक गुड़ का निर्माण कर भरपूर मुनाफा कमा रही है, फिर सिर्फ चीनी मिल का शोर ही क्यों? अगर किसानों की आर्थिक स्थिति को स्थायी मजबूती देनी है तो हमें इस तरह की पहल करनी चाहिए। सिर्फ किसानों के नाम पर राजनीति करनी हो तो यह उनकी मर्जी का मामला है। वैसे पीपराकोठी में लगी गुड़ प्रसंस्करण इकाई इस माॅडल की सफलता खुद बयान कर रही है। किसानों को चीनी मिल का रेट भी मिल रहा है। ऐसे में किसान भी खुश और कई हाथों को रोजगार भी मिल सकता है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने केविके भी लगवाई थी इकाई

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने वर्ष 17 में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केविके में गुड़ प्रसंस्करण इकाई स्थापित करवाई थी। जिससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। आज किसानों के सपने साकार हो रहे हैं। गुड़ प्रसंस्करण केंद्र से बने उत्तम किस्म का जैविक गुड़ की मांग बाजार में बढ़ गई है। इस प्रसंस्करण केंद्र में साध्य व साधन किसान ही हैं। किसानों की संस्था एफपीओ किसानों से नकदी गन्ना खरीद कर केविके के वैज्ञानिकों के सहयोग से जैविक गुड़ तैयार कर रहा है।
एफपीओ के अध्यक्ष किसान दुर्गा सिंह ने बताया कि चीनी मिल के रेट पर किसानों का भुगतान किया जा रहा है। प्रति घंटे 10 क्विंटल के हिसाब से गन्ने की पेराई होती है। प्रतिदिन एक से डेढ़ क्विंटल गुड़ का उत्पादन हो रहा है। मशीन की क्षमता 20 से 25 टन गन्ना प्रतिदिन पेराई करने की क्षमता है।

रासायनिक नही जैविक गुड़ का होता है उत्पादनः
वैज्ञानिक नेहा पारेख ने बताया कि केंद्र में शुद्ध जैविक गुड़ का उत्पादन हो रहा है। बताया कि आमतौर पर बाजार में मिलने वाले गुड़ में सल्फर डाईऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड, फॉर्मिक एसिड तथा ब्लीचिंग पाउडर व सोडियम के यौगिक डाले जाते है। इससे गन्ने के रस में मौजूद सारे पोषक नष्ट हो जाते है। इसमें सिर्फ कैलोरी बचती है। जिसके कारण वह स्वास्थ्य के लिए अहितकर होता है। जैविक गुड़ स्वास्थ्य के लाभदायक होता है।
इसके लिए गन्ने के रस में आंवला, सौंफ, अदरक आदि मिक्स किया जाता है।

इसमें शुद्ध प्राकृतिक जंगली भिंडी का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया से बना गुड़ सर्दी जुकाम के उपचार के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।
गुड़ के पोषक तत्वों का खजानाः डा. एके सिंह ने बताया कि गुड़ में प्रोटीन, फैट, आयरन, मैग्नेशियम, पोटेशियम और मैग्निज होते है। इसके अलावा कुछ मात्रा में विटामिन बी , कैल्शियम, जिंक, फास्फोरस व कॉपर भी होते है। गुड़ में लगभग 70 फीसदी सुक्रोस होता है, 10 फीसदी के लगभग ग्लूकोस व फ्रुक्टोस तथा फीसदी खनिज लवण होते है। इसके अतिरिक्त गुड़ में एंटीऑक्सीडेंट जिंक व सेलेनियम आदि भी पाए जाते है।

 

Previous articleपीपराकोठी प्रखंड व अंचल कार्यालय को मिलेगा 10 करोड़ का आशियाना, उत्कृष्ट कार्यों के लिए बीडीओ पुरस्कृत
Next articleयूपी में तमंचे के बल पर धर्म परिवर्तन कर शादी का बनाया दबाया, विरोध करने पर घर में घुस धमकाया, अब युवती ने दी यह चेतावनी