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सर्व धर्म गांधी पूजनोत्सव का 24 वां आयोजन, वक्ताओं ने कही यह बात

मोतिहारी। अशोक वर्मा
नगर के धर्मसमाज रोड में 24 वर्ष पहले गांधी वादी तारकेश्वर प्रसाद ने अपने आवास पर सर्वधर्म गांधी पूजनोत्सव आरंभ किया था। तत्कालीन अंग्रेजी अखबार के संपादक एवं लॉ कॉलेज के प्राध्यापक विश्वनाथ प्रसाद ने उस आयोजन का उद्घाटन किया था। प्रथम पूजनोत्सव में वार्ड सदस्य नसीमा खातून ,उद्घाटन करता विश्वनाथ प्रसाद अधिवक्ता ,गुरुद्वारा के धर्मगुरु सतपाल सिंह ,चर्च के फादर , मंदिर के महंत तथा आयोजक गांधी भक्त तारकेश्वर प्रसाद एवं उनकी पत्नी ने सामूहिक रूप से महात्मा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र के समक्ष विधिवत मंत्र उच्चारण एवं हवन के साथ पूजा कर आरती उतारी थी। विचार गोष्ठी भी चला था ।सन 2000 में आरंभ पूजनोत्सव अपने आप में बहुत मायने में अजूबा रहा क्योंकि वह गांधी के सर्व धर्म सिद्धांत आधारित था।
इस वर्ष पूजनोत्स़व बड़े हीं विधि विधान से हुआ ।सभी धर्मावलंबी गांधी टोपी पहन हवन कुंड के चारों तरफ बैठे थे। विधि विधान से पूजा संपन्न होने के बाद बजापते आरती उतारी गई एवं एक-एक स्वतंत्रता सेनानी के चित्र के समक्ष दीपक जलाया गया । सभी के बीच प्रसाद वितरण किया गया ।विचार सत्र का उद्घाटन शिक्षाविद शिवप्रसाद साहू ने किया ,अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि गांधी के सिद्धांत एवं विचार को आज अगर देश अपनाया रहता तो भारत विश्व के संपन्न राष्ट्रो में रहता, परंतु गांधी को तो लोगों ने माना, गांधी के विचार नीति और सिद्धांत को जीवन में धारण नहीं किया ,यही देश के लिए दुर्भाग्य रहा।

 

उन्होंने कहा कि अभी भी समय है क्योंकि गांधी की नीति और सिद्धांत मानना विश्व के लिए मजबूरी है, आज इस सिद्धांत पर ही दुनिया को बचाया जा सकता है क्योंकि अणु बम के ढेर के ऊपर आज पूरा विश्व आ चुका है, कभी भी दुनिया विनाश के घेरे में आ सकती है । गांधी का जो सिद्धांत है उसे दुनिया को मानना पड़ेगा ।उन्होंने कहा कि विश्व के बड़े राष्ट्र आज गांधी विचार को मानते हैं लेकिन अगर गांधी के मूल सिद्धांत पर अपने को ढाल दें तो दुनिया को बचा सकते हैं। संबोधित करते हुए अशोक वर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी को चंपारण की जनता से अधिक प्यार था। गांधी जी चंपारण के पिछड़े पन का मूल कारण अशिक्षा को माना था इसलिए उन्होंने बुनियादी पाठशालाएं खोली और चंपारण वासियो को शिक्षित बनने का मार्ग प्रशस्त किया। इतना ही नहीं उन्होंने डॉक्टर लाल को बुलाकर मेडिकल सेवा की भी सुविधा उपलब्ध कराई। गांधीजी से जब कोर्ट में पूछा गया कि आप चंपारण छोड़ दे तो आप पर से धारा 144 हटा लिया जाएगा, इस पर गांधी जी ने कहा था कि आप चंपारण छोड़ने की बात करते हैं मेरा बस चले तो मैं यहीं घर बना कर बस जाउं। आयोजक तारकेश्वर प्रसाद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि मेरे जीवन के बाद भी यह पूजनोत्सव होता रहेगा। मेरा पुत्र वरूण इस परंपरा को जारी रखेगा। डॉक्टर शारदा प्रसाद ने कहा कि गांधी विचार को दुनिया को समझना चाहिए, ऐसे महान लोग बहुत कम ही धरती पर आते हैं। उन्होंने कहा कि आज गांधी धीरे-धीरे अप्रासंगिक होते जा रहे हैं ,वे राजनीति के शिकार हो रहे हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए ।कार्यक्रम को प्रोफेसर गणेश प्रसाद के अलावा कई लोगों ने संबोधित किया। पूजा स्थल पर महात्मा गांधी से जुड़े हुए स्लोगन वाले पोस्टर लगे हुए थे। धन्यवाद ज्ञापन बडे पूत्र गांधीवादी वरुण कुमार ने किया।

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