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श्री राम चरित मानस महायज्ञ एवं श्री राम कथा के आठवें दिन श्री राम-सीता विवाह प्रसंग पर चर्चा, कहा- संपूर्ण सृष्टि में राम सबसे सुंदर

मोतिहारी। अशोक वर्मा
नरसिंह बाबा मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय रामचरितमानस यज्ञ एवं श्री राम कथा के आज आठवें दिन का प्रारंभ चित्रकूट से आए संगीत मंडली की भक्ति में भजन से हुआ । तत्पश्चात चित्रकूट उत्तर प्रदेश से पधारे विद्वान एवं तत्व मर्मज्ञ कथावाचक पंडित राम गोपाल तिवारी जी ने कथा का विधिवत प्रारंभ करते हुए श्री राम सीता विवाह के प्रसंग का वर्णन प्रारंभ किया । पंडित तिवारी ने बताया कि संपूर्ण सृष्टि में राम सबसे सुंदर हैं तो राम से कम सुंदर काम भी नहीं है । काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि दुर्गुणों की चर्चा करते हुए श्री तिवारी ने बताया की इन सभी दुर्गुणों में काम को ही देव का स्थान प्राप्त है क्योंकि काम का स्वतंत्र प्रभाव राम से कम नहीं है । जिस प्रकार राम के धनुष के बाण के समक्ष इस जगत में कोई भी टिक नहीं सकता उसी प्रकार काम के पुष्प भवन के सामने भी कोई नहीं टिक सकता । इस संदर्भ की और गहरी व्याख्या करते हुए बताया कि लक्ष्मण स्वयं काम के प्रतीक हैं, उनकी जीवनसंगिनी उर्मिला बनी, जो योग की प्रतीक है । तात्पर्य कि जब काम, योग का संग करता है तो राम के साथ गमन करता है । ठीक इसके विपरीत यदि काम, भोग का संग करता है तो वह रावण के साथ चलने लगता है । यही राम और काम में भेद है ।

आगे पंडित राम गोपाल तिवारी जी ने भगवान राम सीता के विवाह मंडप का वर्णन करते हुए बताया इस विवाह में ब्रह्मांड के सभी देवता गण उपस्थित हुए थे । इन देवताओं में ब्रह्मा जी ने अनुभव किया और आश्चर्य व्यक्त किया कि राम विवाह मंडप में निर्मित और प्रयुक्त कोई भी चीज उनकी सृष्टि का हिस्सा नहीं है । ब्रह्मा जी के इस विचार को समझकर शिव जी ने सभी देवताओं की ओर उन्मुख होते हुए बताया कि यह सभी समझ लें कि यह सिया राम विवाह है । आज तक तुम सब ने अपनी रचना, अपनी कृति को देखा है, पहचाना है, याद रखा है । आज वह अवसर है जब हम सबको अपनी रचना करने वाले को पहचानना है ।
अपने उद्बोधन के क्रम में महाराज जी ने यह भी बताया कि दशरथ जी सकाम थे । इसलिए सकाम के यहां भगवान पुत्र बनकर आते हैं । जबकि जनक जी निष्काम थे, इसलिए निष्काम के यहां भगवान पुत्री बनकर आते हैं ।
कथा मंच का संचालन प्रोफेसर राम निरंजन पांडे ने की । हाथी मौके पर अवध किशोर द्विवेदी कामेश्वर सिंह संजय कुमार तिवारी ठाकुर शाह अरुण कुमार तथा मानस सत्संग समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर शोभा कांत चौधरी और प्रोफेसर सुरेश चंद्र प्रसाद भी अपनी गरिमामय उपस्थिति प्रदान की ।

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