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विश्वस्तर पर बिखरेगी पश्चिमी चम्पारण के मरचा धान की खुशबू, मिलेगी नई पहचान, शीघ्र मिलेगा जीआई टैग

बेतिया। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क

पश्चिमी चम्पारण जिले के मरचा धान को वैश्विक पहचान दिलाने हेतु जीआई टैग के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। जीआई टैग मिलना एक जटिल एवं लंबी प्रक्रिया है। जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण, श्री कुंदन कुमार के दिशा-निर्देश के आलोक में अधिकारियों की एक पूरी टीम मरचा धान को जीआई टैग दिलाने के लिए करीब दो साल से कार्य कर रही थी।
यह प्रयास अब रंग लायी है। जीआई जर्नल में मरचा धान का जिओग्राफिकल इंडिकेशन प्रकाशित हो गया है। एक नियत समय के पश्चात पश्चिम चम्पारण जिले के मरचा धान को जीआई टैग (सर्टिफिकेट) भी प्राप्त हो जायेगा। जीआई, चेन्नई के वरीय अधिकारी पश्चिम चम्पारण जिले में आकर स्वयं जीआई टैग का सर्टिफिकेट जिला पदाधिकारी को समर्पित करेंगे।
सचमुच में, पश्चिम चम्पारण जिले के लिए यह एक बहुत बड़ी और बेहतरीन उपलब्धि होगी। पूरी दुनिया यह जान सकेगी कि मरचा चूड़ा/धान का उत्पादन सिर्फ और सिर्फ पश्चिम चम्पारण जिले में ही होता है।
मरचा धान/चूड़ा का निबंधन (जीआई टैग) हो जाने के बाद मरचा धान के चूड़ा की मांग देश-विदेशों में पूरी की जा सकेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी तथा रोजगार में भी वृद्धि होगी। पश्चिमी चम्पारण जिले के विकास में मरचा चूड़ा को जीआई टैग मिलना अत्यंत ही कारगर साबित होगा।
वरीय उप समाहर्ता, डॉ0 राजकुमार सिन्हा द्वारा बताया गया कि विगत माह अंतिम चरण की प्रक्रिया के तहत जिला प्रशासन की टीम द्वारा जीआई, रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञो के समक्ष ट्रेड मार्क ऑफिस, कोलकाता में मरचा धान से संबंधित प्रजेंटेशन दिया गया था। इस दौरान जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा अत्यंत सूक्ष्मता से सभी बिन्दुओं का मूल्यांकन किया। प्रजेंटेशन एवं मूल्यांकन के फलस्वरूप जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया गया था कि पश्चिम चम्पारण जिले के विश्व विख्यात मरचा धान/चूड़ा को जीआई टैग मिलने की प्रबल संभावना है।
उन्होंने बताया कि जीआई टैग मिलना एक अत्यंत ही जटिल प्रक्रिया है। इस कार्य में अबतक लगभग दो वर्ष का समय लग चुका है। उन्होंने बताया कि मरचा धान उत्पादक प्रगतिशील समूह के सभी सदस्यों का योगदान भी सराहनीय रहा है।
उन्होंने बताया कि जीआई टैग हेतु डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों द्वारा मरचा धान के मार्फाे एग्रोनोमिक एवं ग्रेन क्वालिटी, डीयूएस टेस्ट, फीजियो केमिकल कैरेक्टरिस्टिक, न्यूट्रिशनल कम्पोजिशन के साथ-साथ डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का कार्य पूर्ण किया गया था, जिसके आधार पर मरचा धान में यूनिकनेस का पता लगाया गया। मरचा धान के प्रूफ ऑफ ऑरिजिन के संबंध में हिस्टोरिकल रिकार्ड, साइंस्टिफिक रिसर्च पब्लिकेशन के डॉक्यूमेंट भी जीआई चेन्नई ऑफिस को भेजे गये थे। साथ ही प्रोडशन एरिया मैप, लोगो आदि भी उपलब्ध कराया गया था।
जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार द्वारा इस पर प्रसन्नता व्यक्त की गयी और लगभग दो साल से लगातार अथक परिश्रम कर रही पूरी टीम की सराहना की गयी है। उन्होंने कहा कि उप विकास आयुक्त, पश्चिमी चम्पारण, कृषि विभाग की पूरी टीम, कृषकगण, एसडीसी, श्री राज कुमार सिन्हा, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विद्यालय, पूसा के डॉ0 एन0के0 सिंह, डॉ0 ब्रह्मानंद सहित उनकी पूरी टीम ने अत्यंत ही सराहनीय कार्य किया है, जो अब फलीभूत होने वाला है। उन्होंने कहा कि मरचा धान का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग, बायोकेमिकल एनालिसिस आदि कार्यों के सफल निष्पादन में इनकी सराहनीय भूमिका रही है। उन्होंने इस कार्य में संलग्न सभी अधिकारियों, कृषकों सहित समस्त जिलेवासियों को खूब-खूब बधाई और शुभकामनाएं दी है।

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