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दिल्ली चुनाव 2025:राजनीति में “आरोप लगाओ और निकल लो” रणनीति: केजरीवाल, फ्रीबीज, और चुनावी मुकाबला

सचिन कुमार सिंहI

राजनीति में अलग तरह की नौटंकी के लिए कुख्यात हो चुके दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने मतदान से ठीक एक दिन पहले कुछ संभावनाओं को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की। इससे पहले वे मुख्य चुनाव आयुक्त को बीजेपी का एजेंट तक करार दे दिया। बाद में सीइसी ने इसपर तीव्र प्रतिक्रिया दी तो इन आरोपों से बचकर निकलते हुए वे चुनाव आयोग में इस बात की आशंका को लेकर पहुंचे कि उन्हें लगता है कि मतदान की पूर्व संध्या को उनके मतदाताओं को डराया जा सकता है, कल मतदान के दिन भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने साफ तौर पर इसके लिए दिल्ली पुलिस को ही आरोपित कर दिया। यह कोई पहला मौका नहीं है जब केजरीवाल ने बगैर किसी ठोस सबूत के ऐसे आरोप लगाया हो। यह उनकी पुरानी आदत है। इस चुनाव में तो वे आए दिन कोई न कोई आरोप लगा सुर्खियां बटोरते रहे। हालांकि उनके इस आरोपों पर फेसबुक पर अधिकांश लोगों ने उन्हें ही लपेटे में लिया, मगर इससे केजरीवाल की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें पता है कि कब, कहां और किस समय, किस पर झूठे आरोपों की बमबारी करनी है और फिर कब माफी मांग लेनी है।
दरअसल केजरीवाल ने देश को एक अलग तरह की राजनीति का परिचय कराया। यह राजनीति गोयबल्स की राजनीति से काफी हद तक प्रेरित नजर आती है, जिसमें एक झूठ को भी बेहतर व प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, कि वह एकमात्र सच लगने लगता है और आम जनता पर इसका इमोशनल प्रभाव पड़ता है। यह वोटबैंक की अलग तरह की राजनीति है, जिसमें थोड़ा विकास, थोड़ी फ्रीबीज व ज्यादा झूठे नैरटिव सेट करो और मतदाताओं को दिग्भ्रमित करो।
आइए जानते हैं कि केजरीवाल की अब तक की राजनीति किस दिशा में रही है, और वे कब कब अपने ही आरोपों से पलटे हैं और बात बढ़ती देख माफी तक मांगने को मजबूर हुए हैं।

1️⃣ “आरोप लगाओ और निकल लो” नीति – राजनीति की नई रणनीति?

  • बिना ठोस सबूतों के आरोप लगाना और जब मामला उलझे तो पीछे हट जाना।
  • अरविंद केजरीवाल और AAP पर यह आरोप कि वे बिना प्रमाण के भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम लगाते हैं।
  • उदाहरण: अरुण जेटली और नितिन गडकरी पर लगाए गए आरोप, जिन पर बाद में केजरीवाल को माफी मांगनी पड़ी।
  • यह केवल AAP तक सीमित नहीं है, बल्कि आज की राजनीति में सभी दल इस रणनीति का इस्तेमाल करते हैं।
  • सोशल मीडिया और मीडिया ट्रायल से यह रणनीति और प्रभावी हो जाती है।

2️⃣ दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 – AAP बनाम BJP की कड़ी टक्कर

पिछले चुनावों की स्थिति:
AAP (2020): 70 में से 62 सीटों पर भारी जीत।
BJP (2020): मात्र 8 सीटों पर सिमट गई।
Congress: पूरी तरह हाशिए पर।

2025 में अब क्या बदला?
✔️ BJP पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है, खासकर MCD चुनावों में मिली बढ़त के बाद।
✔️ AAP अपने “फ्री योजनाओं” वाले मॉडल को जनता के सामने रख रही है।
✔️ कांग्रेस की हालत अब भी कमजोर, लेकिन मुस्लिम वोटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश में।


3️⃣ केजरीवाल का “अंतिम अस्त्र” – BJP की टैक्स नीति पर हमला

  • केजरीवाल का दावा: “BJP जब जीतती है तो टैक्स बढ़ाती है और जब हारने लगती है तो राहत देती है। इसलिए दिल्ली में बीजेपी को हराओ, तभी टैक्स कम होगा।”
  • पेट्रोल-डीजल के दाम, GST दरों और बिजली-पानी के बिलों को लेकर AAP का प्रचार।
  • वास्तविकता: टैक्स दरें कई बार आर्थिक स्थिति और नीतियों के अनुसार बदलती हैं, न कि सिर्फ चुनावी कारणों से।

4️⃣ BJP की रणनीति – भ्रष्टाचार और हिंदुत्व का मुद्दा

🔴 भ्रष्टाचार के आरोप: मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और अन्य AAP नेताओं पर घोटाले के आरोप।
🟠 हिंदुत्व कार्ड: राम मंदिर, हिंदू पहचान और राष्ट्रवाद को केंद्र में रखने की कोशिश।
🟢 MCD और LG का असर: AAP सरकार के फैसलों पर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से BJP को फायदा मिल सकता है।


5️⃣ हिंदुत्व बनाम विकास का मॉडल – दिल्ली में क्या असरदार होगा?

📍 हरियाणा और महाराष्ट्र में हिंदुत्व फैक्टर ने असर डाला।
📍 दिल्ली का वोटर ज्यादा “विकास” आधारित मुद्दों को देखता है।
📍 AAP का “सेक्युलर और गुड गवर्नेंस” मॉडल अब भी मजबूत।
📍 BJP का जोर – राम मंदिर और हिंदू एकजुटता पर।


6️⃣ फ्रीबीज मॉडल – क्या यह अर्थव्यवस्था के लिए घातक?

🔹 AAP की मुफ्त योजनाएं:
✔️ 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली
✔️ 10,000 लीटर तक मुफ्त पानी
✔️ मोहल्ला क्लीनिक (स्वास्थ्य सुविधाएं)
✔️ महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा

🔻 इसका फायदा:
✅ गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग को राहत।
✅ शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार।
✅ जीवन स्तर में बढ़ोतरी।

🔻 इसका नुकसान:
❌ अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक नुकसान।
❌ मिडिल क्लास पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ।
❌ निजी क्षेत्र को नुकसान – लोग सरकारी योजनाओं पर निर्भर हो सकते हैं।


7️⃣ मध्यवर्ग की नाराजगी – BJP के टैक्स कट बनाम AAP की फ्री स्कीम्स

200 यूनिट से ज्यादा बिजली और 10,000 लीटर से ज्यादा पानी इस्तेमाल करने वाले मिडिल क्लास लोगों को AAP की मुफ्त योजनाओं का लाभ नहीं।
BJP ने 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री किया – सीधे मिडिल क्लास को फायदा।


8️⃣ “फरेबी नेता” की छवि – केजरीवाल जनता के हितैषी या राजनीति के मास्टर?

  • समर्थकों के लिए: आम आदमी का नेता, मुफ्त सुविधाओं का लाभ।
  • विरोधियों के लिए: “फरेबी नेता”, जो अपने बयानों में विरोधाभास रखते हैं।
  • पहले मुफ्त योजनाओं का विरोध, अब खुद इन्हें लागू कर रहे हैं।
  • BJP के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप, लेकिन बाद में माफी मांगी।

 

🔟 निष्कर्ष – दिल्ली में क्या चलेगा, फ्री स्कीम्स या भ्रष्टाचार का मुद्दा?

  • AAP की स्थिति अब भी मजबूत, लेकिन BJP की चुनौती इस बार अधिक गंभीर।
  • यदि BJP हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण और AAP के भ्रष्टाचार का मुद्दा ठीक से उठाती है, तो यह मुकाबला कड़ा हो सकता है।
  • कांग्रेस अगर मुस्लिम और दलित वोट खींच पाई, तो AAP को नुकसान हो सकता है।

अंतिम सवाल:

👉 क्या दिल्ली में एक बार फिर “फ्री योजनाओं की राजनीति” चलेगी, या BJP अपने मुद्दों से AAP को सत्ता से बाहर कर पाएगी? 🚀

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