✍️ – सचिन कुमार सिंह
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत दर्ज करते हुए AAP को महज 22 सीटों पर समेट दिया।
यह जीत इसलिए और अहम हो जाती है, क्योंकि बीजेपी ने मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद जैसी सीट पर भी जीत हासिल की।
इसके बाद से मौलाना साजिद रशीदी समेत कई लोग दावा कर रहे हैं कि बीजेपी को इस चुनाव में 12% मुस्लिम वोट मिले, जिससे उसकी जीत को ताकत मिली।
लेकिन यह दावा सिर्फ कयास लगता है, क्योंकि दिल्ली में मुस्लिम वोट परंपरागत रूप से AAP और कांग्रेस के बीच ही बंटता रहा है।
🛑 असल वजह: मुस्लिम वोट नहीं, हिंदू वोट बैंक का जबरदस्त ध्रुवीकरण
🔹 मुस्लिम वोटर अभी भी AAP और कांग्रेस के बीच ही बंटा रहा।
🔹 ओवैसी की पार्टी के दंगाई नेता ताहिर हुसैन को भी अच्छे-खासे मुस्लिम वोट मिले।
🔹 लेकिन BJP की इस जीत में असली भूमिका हिंदू वोट बैंक के मजबूत ध्रुवीकरण ने निभाई।
🔹 दिल्ली के हिंदू मतदाताओं ने बीजेपी को जमकर समर्थन दिया, जिससे AAP सत्ता से बाहर हो गई।
📌 मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की हकीकत क्या है?
✔ BJP को मुस्लिम वोट मिलने का दावा बिना ठोस आंकड़ों के किया जा रहा है।
✔ मुस्लिम बहुल इलाकों में AAP और कांग्रेस की ही मजबूती देखने को मिली।
🔴 क्या मुस्लिम वोट BJP को गए या हिंदू वोट पूरी तरह BJP के साथ आया?
1️⃣ हिंदू ध्रुवीकरण ने BJP को मजबूती दी
📌 2020 के दंगों, शाहीन बाग आंदोलन और AAP की नरम हिंदुत्व राजनीति के कारण हिंदू वोटर पूरी तरह BJP के पक्ष में चला गया।
📌 BJP ने “हिंदू अस्मिता” को मुद्दा बनाकर प्रचार किया और राम मंदिर, कश्मीरी पंडित पुनर्वास, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को उछालकर हिंदू वोट को एकजुट किया।
📌 नतीजा? दिल्ली में बड़ी संख्या में हिंदू मतदाताओं ने BJP को वोट देकर AAP और कांग्रेस को पूरी तरह किनारे कर दिया।
2️⃣ मुस्लिम वोटर AAP और कांग्रेस के बीच बंटे, BJP को फायदा मिला
📌 दिल्ली में मुस्लिम वोटर आमतौर पर AAP और कांग्रेस के बीच बंटता रहा है।
📌 इस बार कांग्रेस ने AAP को नुकसान पहुंचाने के लिए मुस्लिम बहुल सीटों पर मजबूती से लड़ाई लड़ी, जिससे वोट बिखर गए।
📌 AAP का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक Congress की तरफ भी शिफ्ट हुआ, जिससे BJP को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिला।
✔ BJP को मुस्लिम वोट मिलने से ज्यादा हिंदू वोट का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ।
✔ AAP और कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोट बंटने से BJP को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिला।
✔ BJP की जीत का असली कारण “मोदी फैक्टर” + हिंदू वोट बैंक की मजबूती है, न कि मुस्लिम वोट।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान, ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने सार्वजनिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देने की बात कही। उन्होंने कहा, “जिंदगी में पहली बार मैंने भाजपा को वोट दिया है।”
मौलाना रशीदी के इस कदम का उद्देश्य भाजपा और मुस्लिम समुदाय के बीच की दूरी को कम करना था। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें गले लगाएंगे और मुस्लिम समुदाय के साथ बेहतर संबंध स्थापित करेंगे।
हालांकि, चुनाव परिणामों के अनुसार, भाजपा को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। उदाहरण के लिए, ओखला विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) के अमानतुल्लाह खान ने जीत हासिल की, जबकि भाजपा के मनीष चौधरी पीछे रहे।
इस प्रकार, मौलाना साजिद रशीदी के प्रयासों के बावजूद, भाजपा और मुस्लिम समुदाय के बीच की दूरी में उल्लेखनीय कमी नहीं आई है। भाजपा को मुस्लिम वोटों का सीमित समर्थन मिला, जबकि अधिकांश मुस्लिम मतदाता आप या कांग्रेस की ओर झुके रहे।
मौलाना साजिद रशीदी के इस कदम ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में भाजपा और मुस्लिम समुदाय के बीच संबंधों में क्या बदलाव आते हैं।
मौलाना साजिद रशीदी का “मैंने पहली बार BJP को वोट दिया” वाला बयान कई राजनीतिक मकसदों से प्रेरित हो सकता है और यह पूरी तरह BJP के पक्ष में नहीं बल्कि एक रणनीतिक चाल भी हो सकता है।
इस बीच, भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने मौलाना रशीदी के बयान को साझा करते हुए कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं है और तथाकथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों को इस पर चिंता होनी चाहिए।
🔎 क्या यह BJP को मजबूत करने या कमजोर करने की रणनीति है?
1️⃣ BJP को मुस्लिमों के करीब दिखाने की कोशिश
📌 BJP हमेशा “सबका साथ, सबका विकास” की बात करती है, लेकिन मुस्लिम समुदाय का बड़ा हिस्सा अभी भी उससे दूरी बनाए हुए है।
📌 साजिद रशीदी जैसे नेता ऐसे बयान देकर BJP के लिए “सॉफ्ट कॉर्नर” बनाने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि पार्टी को मुस्लिमों के बीच स्वीकार्यता मिल सके।
📌 इससे BJP यह दिखा सकती है कि “अब मुस्लिम भी हमें समर्थन देने लगे हैं।”
2️⃣ क्या यह BJP को मुस्लिम वोटों में कमजोर करने का खेल है?
📌 साजिद रशीदी का BJP के समर्थन में आना, कुछ मुस्लिम मतदाताओं को उलझा सकता है।
📌 कई मुस्लिम वोटर, जो पहले BJP को वोट देने के बारे में सोच रहे थे, अब अगर देखेंगे कि कोई कट्टर मौलाना BJP को सपोर्ट कर रहा है, तो वे उल्टा कांग्रेस या AAP की तरफ जा सकते हैं।
📌 यानी यह BJP के लिए एक ट्रैप भी हो सकता है, जिससे वह मुस्लिम वोटों को स्थायी रूप से अपने पक्ष में करने में विफल रहे।
4️⃣ साजिद रशीदी की अपनी सियासी रणनीति
📌 मौलाना साजिद रशीदी कट्टरपंथी विचारों के लिए जाने जाते हैं और पहले BJP की आलोचना भी कर चुके हैं।
📌 अब अचानक BJP को वोट देने की बात कहना शक पैदा करता है – क्या वे अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं?
📌 हो सकता है कि वे मुस्लिम समुदाय में “BJP समर्थक बनाम BJP विरोधी” की बहस छेड़ना चाहते हों, जिससे उनकी चर्चा बनी रहे।
📌 निष्कर्ष: यह बयान BJP के लिए फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदायक भी!
✔ अगर BJP इसे सही तरीके से भुनाती है, तो वह मुस्लिम समुदाय में अपनी स्वीकृति बढ़ाने का दावा कर सकती है।
✔ अगर यह मुस्लिम वोटरों को उलझाने की चाल निकली, तो BJP का वोट बैंक और भी ध्रुवीकृत हो सकता है।
✔ यह भी संभव है कि साजिद रशीदी सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए यह बयान दे रहे हों।
👉 अभी यह देखना दिलचस्प होगा कि BJP इस बयान को किस तरह इस्तेमाल करती है और मुस्लिम समुदाय इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है! 🔥