Home न्यूज बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित राजद नेताओं पर छापा राजनीतिक...

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित राजद नेताओं पर छापा राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित, माले ने जताया विरोध

पटना । अशोक वर्मा
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर विगत 7 मार्च और आज सुबह से ही दिल्ली सहित राजद नेताओं के अन्य ठिकानों पर जारी सीबीआई का छापा विशुद्ध रूप से राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. हमारी पार्टी सीबीआई-ईडी के जरिए भाजपा द्वारा विपक्ष को आतंकित करने की इस तरह की कार्रवाइयों की निंदा करती है.
उन्होंने कहा कि बिहार में जब से भाजपा सरकार से बाहर हुई है, वह महागठबंधन सरकार को अस्थिर व बदनाम करने की लगातार कोशिशें कर रही हैं. हाल ही में तमिलनाडु में हिन्दी पट्टी के प्रवासी मजदूरों की हत्या की झूठी खबरों को प्रचारित-प्रसारित करने के पीछे भी भाजपाइयों का ही हाथ था. और यही भाजपाई बिहार विधानसभा के अंदर प्रवासी मजदूरों के पक्ष में बड़ी-बड़ी बातें बोल रहे थे. जबकि हमने केंद्र सरकार से बार-बार प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग करते रहे हैं, जिसे भाजपा सरकार ठुकराती रही है.
उन्होंने आगे कहा कि नौकरी के बदले लालू प्रसाद व उनके परिवार को दिए गए तथाकथित जमीन घोटाले में सीबीआई अबतक कई बार छापा मार चुकी है, लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा है. इससे जाहिर होता है कि ये कार्रवाइयां विशु़द्ध रूप से भाजपा के इशारे पर की जा रही राजनीतिक कार्रवाइयां हैं.
इसके पूर्व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी इसी तरह निशाना बनाया गया. देश अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है. भाजपा के इस फासीवादी कुचक्र को तोड़ने के लिए विपक्ष की सभी ताकतों को मुस्तैद रहना होगा और एक व्यापक एकता का निर्माण करना होगा.

 

23 मार्च से 22 अप्रैल तक भाकपा-माले का लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद कार्यक्रम

पटना। अशोक वर्मा

15 फरवरी की ऐतिहासिक गांधी मैदान की रैली और सफल महाधिवेशन के उपरांत विगत दिनों भाकपा माले की राज्य कमेटी की बैठक संपन्न हुई.
राज्य कमेटी की बैठक के हवाले से माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि रैली और महाधिवेशन के संदेश को व्यापक जनता के बीच ले जाने के लिए पार्टी की ओर से 23 मार्च से लेकर 22 अप्रैल तक ’लोकतंत्र बचाओ जनसंवाद’ का आयोजन किया जाएगा.उन्होंने कहा कि जनसंवाद के दौरान 23 मार्च (भगत सिंह शहादत दिवस) और 14 अप्रैल (डा. अंबेडकर की जयंती) के अवसर पर पूरे राज्य में कार्यक्रम होंगे. सिवान में 31 मार्च का. चंद्रशेखर के शहादत दिवस के अवसर पर गांव-गांव में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.जनसंवाद के तहत गांव – गांव में सघन बैठक व पदयात्रा आयोजित होगी और जन सवालों को सूत्रबद्ध करके उनपर आंदोलन आदि के कार्यक्रम लिए जाएंगे.जनसंवाद के कार्यक्रम को प्रमुख विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में सघन रूप से चलाया जाएगा. कार्यक्रमों में सभी विधायक अपने- अपने इलाक़ों में मौजूद रहेंगे.उन्होंने कहा कि 20 वर्षों बाद पटना में दुबारा आयोजित महाधिवेशन और रैली अपनी विशालता व भव्यता के लिए लंबे समय तक याद की जाएगी. फासीवाद के वर्तमान बढ़े हुए हमले के दौर में इसने देश में चल रहे फासीवाद विरोधी संघर्षों को नई ताकत दी है और भाकपा (माले) को संघर्ष के एक मजबूत केंद्र के बतौर स्थापित किया है.रैली में मानदेय कर्मियों सहित विभिन्न किस्म के संघर्षों में शामिल तबकों, सरकार द्वारा उजाड़े गए गरीबदृगुरबों, बुद्धिजीवियों व शहरी मध्य वर्ग के लोगों की जबरदस्त भागीदारी थी. इस संदेश को गांव – गांव ले जाने के लिए ही जनसंवाद का कार्यक्रम हो रहा है.

भाजपा जहां अन्य राज्यों में चुनी हुई सरकारों को बेदखल कर सत्ता हथियाती रही है, वहीं इसके विपरीत बिहार में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. इसकी चर्चा बिहार मॉडल के रूप में हो रही है. बिहार मॉडल महज महागठबंधन की सरकार बनाकर भाजपा को सत्ता से बाहर करना भर नहीं है. बिहार मॉडल जन आंदोलनों का मॉडल है.एआईपीएफ (ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम) और वकीलों के संगठन आईलाज (ऑल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस) का राज्य ढांचा गठित करने का भी निर्णय लिया गया. इंसाफ मंच का राज्य सम्मेलन करने और आदिवासी संघर्ष मोर्चा गठित करने पर भी चर्चा हुई.

Previous articleछतौनी स्थित सब्जी मंडी के ठेकेदार हरि साह को बंधक बना बदमाशों ने की मारपीट
Next articleमाकपा के पूर्व जिला मंत्री अरविंद कुमार की प्रथम पुण्यतिथि 12 मार्च को, होगा प्रतिमा का अनावरण