Home न्यूज आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा.हरिशंकर सिंह ब्रहमचारी ने वर्षों से बंद...

आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा.हरिशंकर सिंह ब्रहमचारी ने वर्षों से बंद पड़े कॉलेज पर जताया दुख, कही यह बात

मोतिहारी। अशोक वर्मा
मोतिहारी के आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को नया आकार एवं स्वरूप एवं बिहार का सबसे बड़ा आयुर्वेद कॉलेज के रूप में स्थापित करने वाले पूर्व प्राचार्य डॉ हरिशंकर  सिंह ब्रह्मचारी कॉलेज के लंबे समय से बंद होने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मोतिहारी शहर अब कॉरपोरेशन का रूप ले लिया है। बहुत ही त्याग, संघर्ष और लड़ाई के बाद मैंने इस कॉलेज को बिहार का सबसे बड़ा कॉलेज बनाने का एक कीर्तिमान स्थापित किया लेकिन अफसोस कि चक्रव्यूह में फंस  कॉलेज आज वर्षों से बंद है।
पूर्व प्राचार्य ने बताया कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुर्वेद का  एक अलग मंत्रालय बनाकर उसका नामकरण आयुष रखा है, यह मंत्रालय  स्वतंत्र  है तथा आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में यह  सतत प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद स्वयं में काफी शक्तिशाली है तथा हर समय, परिस्थिति एवं पर्यावरण के बदलते दौर में चिकित्सा मे नए नए प्रावधान दिए हुए हैं। वर्तमान आयुर्वेद चिकित्सकों को अपने अध्ययन को कहीं से भी कम नहीं करना चाहिए। आने वाले समय एवं वर्तमान समय आयुर्वेद से ही सभी आशा रख रहे है। कोरोना काल के दौर में सभी ने आयुर्वेद के महत्व को देखा है । कोरोना के इलाज मे जिस काढा के फार्मूला को मैंने दिया था उस फर्मूला को केंद्र सरकार ने भी स्वीकार किया और बचाव के लिए उस फार्मूला को प्रचारित  किया । इंसेफेलाइटिस की बीमारी का आयुर्वेद में इलाज के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि लगभग 4 दशक पूर्व जब एन्सेफेलाइटिस फैला तो अन्य चिकित्सा प्रणाली के लोग सकते में आ गए लेकिन आयुर्वेद चिकित्सक संगठन ने लगातार सेमिनार संगोष्ठी आदि करके लोगों के अंदर व्याप्त भय को दूर किया था। हर समय वायरस और नई नई बीमारियों के लिए आयुर्वेद  में सहज औषधि उपलब्ध है । सेमिनार के माध्यम से आयुर्वेद चिकित्सको को  आम लोगों मैं बढ़ते निराशा को दूर भी करना है और लोगों को निरोगी भी बनाना है । आज  पूरा विश्व  कोरोनावायरस के नए-नए रूप से त्रस्त है। पूरे विश्व में भय का वातावरण बना हुआ है।  भारत को वैसे भी परमात्मा से विशेष शक्ति प्राप्त है। भारत की भूमि पर परमात्मा ने ऐसी ऐसी जड़ी बूटी दी है जो पूरे विश्व के लिए काफी कारगर सिद्ध होगी। पिछले दो बार के कोरोना लहर के दौरान आयुर्वेद की  शक्ति को लोगों ने देखा भी है ।
पूर्व प्राचार्य ने भारत सरकार और बिहार सरकार से मांग भी की कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों को विशेष पावर और  अधिकार दिया जाए । कोरोनावायरस के विभिन्न वेरिएंट को  समाप्त करने में आयुर्वेद डॉक्टर सक्षम है, इनकी सेवा विशेष रूप से ली जाए ।जो भी आयुर्वेदिक डॉक्टर सरकारी नौकरी में है या जो नहीं है उन लोगों की  हर जिला में टीम बनाई जाए तथा उनके नेतृत्व में एक अलग चिकित्सा व्यवस्था लागू करके लोगों को सुरक्षित किया जाय।
 वर्षों से बंद आयुर्वेद कॉलेज को खोलने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह कॉलेज बिहार यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है ,अगर कोई मजबूत व्यक्ति इस कॉलेज को चलाना चाहे तो उसके लिए अवसर है । कॉलेज चलाना कहीं से भी घाटे का कार्य नहीं है। इस कॉलेज से निकले डॉक्टर आज विश्व भर में फैलकर अपनी सेवा दे रहे हैं।
Previous article5 जनवरी को बांका से भारत जोड़ो पदयात्रा का बिहार में शुभारंभ, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़के करेंगे इसका नेतृत्व
Next articleनारी सशक्तिकरण तथा पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय बदलाव में उसकी भूमिका – शिव प्रसाद साहू