बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में बिहारी और हिंदी भाषी कामगारों के साथ हिंसा और मारपीट की खबरों को लेकर बिहार सरकार के अधिकारियों की विशेष टीम ने बड़ा खुलासा किया है। जांच के बाद तमिलनाडु से लौटी टीम ने कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल किए गए सभी वीडियो झूठे थे। तमिलनाडु में स्थिति सामान्य और नियंत्रण में है।
तमिलनाडु से लौटने के बाद पटना सूचना भवन में टीम की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता में ग्रामीण विकास सचिव डी बाला मुरूगन ने बताया कि अफवाह फैलाने के लिए झूठे वीडियो प्रसारित किए गए। वहां बिहारी कामगारों के अलावा अधिकारियों से भी बात की गईम उसके बाद सच्चाई उजागर हुई। इस संबंध में जो हेल्पलाइन नंबर स्थापित किए गए उन पर 12-13 फोन ही आए। 4 मार्च को हेल्पलाइन पर 740 कॉल आए थे।
विशेष टीम ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया में प्रसारित वीडियो के साथ खबरें और मैसेज बिहार के प्रवासी श्रमिकों के मोबाइल फोन पर आए थे। वे सभी के सभी भ्रामक निकले। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल किए गए थे उनका इस संदर्भ या घटना से कोई ताल्लुक नहीं है। वायरल किए गए वीडियो अन्य घटनाओं के हैं। जांच में सभी वीडियो गलत पाए गए।
बिहार के अधिकारियों की विशेष टीम ने यह भी बताया कि 4 मार्च 2023 को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के स्तर से हुई बिहार के श्रमिकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया गया। सरकार की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्हें अतिथि बताते हुए उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली गई। भ्रामक वीडियो और गलत सूचना फैलाने वालों पर तमिलनाडु सरकार के अधिकारी कार्यवाही करने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।
तमिलनाडु मामले में साजिश करने के आरोपियों पर कार्रवाई करने के सवाल पर विशेष टीम ने कहा कि इस मामले में अनुसंधान अभी जारी है। पूरी जांच के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा। तमिलनाडु भेजी गई विशेष टीम में बाला मुरुगन डी के अलावे आईजी पी कन्नन, श्रम संसाधन के विशेष सचिव आलोक कुमार और एसटीएफ एसपी संतोष कुमार शामिल थे।