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हाड़ कंपाती ठंड ने जन-जीवन किया अस्त-व्यस्त, अलाव बन रहा सहारा, घरों में दुबके लोग

मोतिहारी। एसके पांडेय

सर्दी का सितम पिछलू कई दिनों से जारी है। बीते एक सप्ताह से अधिक दिनों से पुरा क्षेत्र शीतलहर के चपेट में है। लोग खून को जमा देने वाली ठंड झेल रहे हैं। बह रही पछुआ हवा की सर्द थपेड़े कभी कभार शाम को कुछ समय के लिए निकलने वाले सूर्य ऊष्मा को बेजान कर दिया है। लोग घरों में कैद हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुई है। सर्दी के मद्देनजर जिला प्रशासन ने बारह जनवरी तक सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया है। शनिवार का दिन यहां सीजन का सबसे ज्यादा कोल्ड रहा दिन का तापमान न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सक्षम व शहरी क्षेत्रों के लोग तो शाला दोशाला तथा अन्य गर्म वस्त्र के सहारे जीवन जी रहे हैं जबकि अक्षम व ग्रामीण इलाके के रहने वाले अलाव ताप कर ठंड का मुकाबला करने को मजबूर हैं। हालांकि ठंड से बचने के लिए शहर में नगर प्रशासन की ओर से चुनिदा जगहों पर अलाव का व्यवस्था किया गया जो प्रयाप्त नहीं है। दुसरी तरफ रात्रि में पड़ने वाले कोहरे ने वाहनों के रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। घने कोहरे के करण वाहन चलाना खतरनाक होता है। एनएच 28 के किनारे एक होटल पर ठहरे वाहन चालक ने बताया कि ठंड गहरा उपर से कोहरे का पहरा है ऐसे में वाहन चलाना खतरा भरा होता है। जिस कारण एन एच 28 समेत अन्य सम्पर्क मार्गो पर सामान्य दिनों के अपेक्षा कम वाहनों की आवाजाही देखी जा रही है।

ठंड का व्यवसाय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है’
पड़ रहे कड़ाके के ठंड के कारण शहर में सन्नाटे की स्थिति बनी हुई है। भोजन व जीवन रक्षक से सम्बन्धित दुकानों के अलावा गर्म वस्त्र की दुकानों पर ग्राहक नजर आ रहे हैं। बाकी सामग्रियों की दुकाने खुली हुई है, परन्तु ग्राहक नदारद है।

दिल व बीपी तथा डायबिटीज, अस्थमा के रोगी ठंड को इग्नोर न करें’
ठंड से शिशुओं में कोल्ड जनित रोग का खतरा बना रहता है। इस बाबत डॉ रोहित कुमार सिंह ने बताया कि पड़ रहे कड़ाके ठंड में हाई ब्लडप्रेशर व ब्लड शुगर हार्ट डिजीज एवं अस्थामा आदि रोग से ग्रसित रोगियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है चिकित्सक परामर्श अनुसार दवा का सुपाच्य भोजन सेवन एवं आवश्यकता अनुसार गर्म वस्त्र से शरीर को ढक कर रखें।हाई ब्लडप्रेशर के अलग से नमक व ज्यादा नमकीन तथा तैलीय खान पान से बचने तथा सुपाच्य भोजन लेने के अलावा 40 वर्ष आयु के उपर के लोगों को भी सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि ठंड से शरीर की नशों में सिकुड़न स्थिति बनी रहती है जिससे रक्त का संचालन प्रभावित होता है ऐसे में अधिक ठंड लगने से पक्षाघात व हृदयघात तथा ब्रेन स्ट्रोक आदि जोखिम बढ़ जाता है। वहीं शिशुओं का कोमल अंग होने के कारण ठंड से निमुनिया व कोल्ड डायरिया आदि का ख़तरा बना रहता है बचाव के लिए शिशुओं को गर्म वस्त्र से ढक कर रखने धात्री महिलाओं को चिकित्सक परामर्श अनुसार भोजन लेने आदि की सलाह दी।

ठंड जनित रोगों से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाईयां भी मुफीद

इस संदर्भ में होम्योपैथ चिकित्सक डॉ मुकेश कुमार ने बताया कि शुगर के मरीजों कोसिजिजियम जैम्बुलेज्म या जिमनेमा सिफैंड्रा का मुल अर्क का सेवन जबकि बीपी की समस्याओं से ग्रसित रोगियों को रॉलिया का मुल अर्क एवं हार्ट के पेसेंट को अर्जुना का मुल अर्क तथा शिशू के लिए आर्सेनिक अल्ब व इपीकाक एवं कल्केरिया कार्ब सेवन करने से शिशुओं में कोल्ड डायरिया से बचाव होता है जबकि निमुनिया से बचाव के लिए ब्रायेनिया,बेलाडोना दवा कारगर होता है तथा रोग बेहतर इलाज के लिए नजदीक के चिकित्सक परामर्श अनुसार दवा लेने की सलाह दी।

’ठंड से खेती बाड़ी भी अछूती नहीं

अधिक ठंड पड़ने के कारण आलू के फसल को नुक्सान होता है। इस बाबत निवर्तमान बीएओ राजदेव रंजन ने बताया कि ठंड से आलू के फसल पर झुलसा रोग का ख़तरा बना रहता है झुलसा रोग से उपचार के लिए बताया कि डायथेन एम( 45 ) 2 जीएम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी।

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