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चंपारण रंग व लघु फिल्मोत्सव में विभिन्न भाषाओं की चयनित 23 फिल्मों की स्क्रीनिंग

मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
कचहरी चौक स्थित गांधी ऑडिटोरियम में चल रहे दूसरे चंपारण रंग एवं लघु फिल्मोत्सव के दूसरे दिन देश भर से विभिन्न भाषाओं की चयनित 23 फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई। निर्णायक मंडल के सदस्य राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम के साथ फिल्म एवं नाट्य समीक्षक डॉ० एम०के० पाण्डेय के निर्णय के अनुसार प्रथम पुरस्कार भोजपुरी लघु फ़िल्म घाट, द्वितीय पुरस्कार उद्वेग वं तृतीय पुरस्कार के लिए कलर ब्लैक का चयन किया गया। वहीं दो अन्य फिल्में करिम्बा गेट व धकापेल जिंदगी को सांत्वना पुरस्कार के लिए चयन किया गया।

शाम के सत्र में नाट्य एवं कलाकर्मी राजकुमार द्वारा परिकल्पित एवं अभिनीत लघु नाटिका फौजी का प्रभावशाली मंचन किया गया। उसके बाद वरीय रंगकर्मी एवं इजेडसीसी के सदस्य प्रसाद रत्नेश्वर द्वारा परिकल्पित एवं अभिनीत एकल नाटक श्श्विदाउट स्किप्टश्श्का प्रदर्शन हुआ। इस नाटक की विधिवत कोई स्क्रिप्ट नहीं थी। नाटक ने इम्प्रोवाइजेशन के माध्यम से अपनी यात्रा तय की। तीसरी और अंतिम प्रस्तुति आशीर्वाद रंगमंडल बेगूसराय की श्रवण गोस्वामी लिखित एवं अमित रौशन द्वारा निर्देशित फुललेंथ नाटक कठकरेज का भावपूर्ण मंचन हुआ, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। नाटक में आधुनिकता की अंधी दौड़ और दरकते संबंधों का जीवंत चित्रण किया गया है।

गौरतलब है कि कल प्रथम दिन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लघु नाटिका के साथ गुलरेज शहजाद द्वारा लिखित एवं निर्देशित एकल नाटक का मंचन हुआ। एनएसडी के उतीर्ण अभिनेता राणा संतोष कमल के अभिनय ने नाटक को जीवंतता प्रदान की। नाटक में अपनी औलाद और समाज द्वारा उपेक्षित बूढे-बूढ़ी की करुण कथा को बड़े ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया। वहीं ध्रुवगुप्त द्वारा लिखित एवं अजित कुमार द्वारा निर्देशित आरम्भ के मंचन ने दर्शकों को उद्वेलित करने के साथ मंत्रमुग्ध भी किया। एकाकीपन का दंश झेलते बूढ़े-बूढ़ी की कहानी के माध्यम से बुढ़ापे की उम्र में जीवन को नए सिरे से जीने का उपक्रम और नए आरम्भ के निर्णय की अद्भुत कथा थी।

 

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