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महात्मा गांधी के प्रपौत्रतुषार गांधी की मोतिहारी में हुई भारी फजीहत, एक दल विशेष के पक्ष में भाषणबाजी का हुआ विरोध

मोतिहारी। अशोक वर्मा
मोतिहारी में तीन दिनी दिनी चंपारण यात्रा के नाम पर महागठबंधन का एजेंडा प्रचारित करने आये महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की तुरकौलिया में भारी फजीहत हो गई। तीन दिवसीय चंपारण यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई को ऐतिहासिक भितिहरवा गाँधी आश्रम पश्चिम चंपारण से किया। यात्रा के उद्देश्य पर उन्होंने बताया कि आज देश में अघोषित आपातकाल है ,सत्ताधारी तानाशाह के मार्ग पर चल रहे है, यह दौर काफी खतरनाक है। आम लोगों मे जागरूकता लानेने के उद्देश्य से हम लोग चंपारण के दौरे पर आए हुए है। बेतिया और छपवा के बाद रविवार को पूर्वी चंपारण के ऐतिहासिक स्थल तुरकौलिया नीम के पेड के पास उनका आगमन हुआ। सर्वप्रथम उन्होंने गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और उस नीम के पेड़ को देखा जहां पर अंग्रेज नीलहे चंपारण के किसानों को बांधकर कोड़े से मरते थे। तुषार गांधी के साथ आई हुई टीम मे विजय प्रताप, डाक्टर सुनील,चंद्रमाडी आदि साथ थे। इस दौरान दिल्ली से पधारे विजय प्रताप ने कहा कि इस यात्रा का उपदेश तानाशाही प्रवृत्ति पर रोक लगाना है, नफरत फैलाने वालों को सत्ता से हटाना है वैसे ही स्थानीय मुखिया ने इसका जोरदार विरोध किया और बात करते-करते तू तू मैं मैं पर बात हो गई ।

सभा में दो पक्ष बन गया एक तुषार गांधी के पक्ष में खड़ा हुआ दूसरा पक्ष मुखिया के पक्ष में चला गया। स्थिति ऐसी हो गई कि सभा भवन मे तुषार गांधी का संबोधन नहीं हो सका और टीम के साथ तमाम स्थानीय समर्थक बाहर निकल गये। तुषार गांधी ने नुक्कड पर संबोधित किया। अपने संवोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1917 में चंपारण आ कर सफल सत्याग्रह आंदोलन चलाया था उनको भी चंपारण में ब्रिटिश हुकूमत ने 144 धारा लगाकर रोक लगा दिया था और बापू ने एक अपना बयान कोर्ट में पढ़ा था आज मैं देश की वर्तमान स्थिति से बहुत व्यथित हूं और समान विचारधारा के लोगों के साथ चंपारण दौर पर आया मौके पर उपस्थित गांधी स्मारक स्तंभ के सचिव अधिवक्ता विनय सिह ने कहा कि जिस तरह से तुषार गाँधी को अपमानित किया गया वह निंदनीय हैं ।

बता दें कि महात्मा गांधी के प्रपौत्र एक तरह से महागठबंधन के लिए पिच सेट करने ही यहां आये हैं, और इस चक्कर में अपनी भारी फजीहत करा बैठे। वैसे इनके साथ विवाद का पुराना नाता रहा है।

तुषार गांधी के 5 प्रमुख विवादास्पद बयान / घटनाएं
भारत अब गांधी का देश नहीं रहा”
विवाद:
उन्होंने कहा था कि “अब भारत महात्मा गांधी का देश नहीं रहा, अब यह गोडसे के विचारों पर चल रहा है।”
प्रतिक्रिया:
लोगों ने इसे अत्यंत नकारात्मक, बदनाम करने वाला और राजनीतिक रूप से पक्षपाती बयान माना। कई राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों ने इसे “गांधी जी की छवि का दुरुपयोग” कहा।

“सनातन धर्म महिलाओं और दलितों के खिलाफ है”
-उन्होंने एक बयान में सनातन धर्म को “दमनकारी व्यवस्था” कहा और कहा कि यह दलितों और महिलाओं के अधिकारों का विरोधी रहा है।
विवाद:
यह बयान करोड़ों सनातनियों को अपमानजनक और अस्वीकार्य लगा। लोगों ने पूछा कि क्या वो “गांधी जी के सर्वधर्म समभाव” को ही नकार रहे हैं?

-राम मंदिर निर्माण पर टिप्पणी
जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास हुआ, तो तुषार गांधी ने उसे “राजनीतिक स्टंट” और “धार्मिक ध्रुवीकरण” कहा।
प्रतिक्रिया:
लोगों ने इसे “हिंदू आस्था का अपमान” बताया, और पूछा कि गांधी के नाम पर राम को कैसे अपमानित किया जा सकता है।

-BJP और RSS पर बार-बार तीखे हमले
उन्होंने RSS की तुलना बार-बार “ब्रेनवॉश करने वाली संस्था” से की, और BJP को गोडसे समर्थक कहा।
विवाद:
लोगों ने कहा कि किसी भी पार्टी या संस्था से मतभेद हो सकते हैं, मगर गांधी के नाम पर कट्टरपंथी बातें करना खुद गांधीवाद का उल्लंघन है।

-CAA और NRC पर झूठे बयान
उन्होंने कहा था कि “CAA भारत में मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना देगा”, जबकि CAA का मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है (यह केवल पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है)।
प्रतिक्रिया:
लोगों ने कहा कि यह भय फैलाने वाली बात है, जो तथ्यों पर नहीं, बल्कि नरेटिव बिल्डिंग पर आधारित है।

-तुषार गांधी को लोग महात्मा गांधी के नाम से जोड़ते हैं, लेकिन उनके बयान अक्सर “गांधीवाद” से दूर, और विचारधारा विशेष के करीब नजर आते हैं।
उन्हें “तथ्य की जगह भावना और राजनीति के आधार पर बयान देने वाला व्यक्ति” भी कहा गया।

 

 

 

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