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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका रही दादी गुलजार की तीसरी पुण्य स्मृति मनी

मोतिहारी। अशोक वर्मा
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका रही दादी गुलजार की तीसरी पुण्य स्मृति दिवस बेलबनवा उप सेवा केंद्र पर बड़े ही आत्मिक भाव से मनाई गई।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम सुबह योग भट्ठी का आयोजन किया गया। भठठी के बाद परमात्मा का महावाक्य दैनिक मुरली चली। फिर दादी गुलजार जी के निमित्त भोग लगाया गया । उक्त अवसर पर दादी जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए सेवा केंद्र प्रभारी बीके विभा बहन ने कहा कि दादी जी बिल्कुल निर्माण थी। उनका मुख्य स्लोगन निर्मल वाणी और मधुर व्यवहार था। दादी गुलजार का बचपन का नाम शोभा था। उनका जन्म1926 मे सिंध प्रांत के हैदराबाद में एक अति धार्मिक परिवार में हुआ था। 1936 में संस्था की स्थापना के साथ ही संस्था मे उनकी प्रवेशता हुई। उन्होंने संस्था के ओम निवास वेडिंग स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। सेवा प्रभारी ने कहा कि उनके चेहरे और नयनो में विशेष रूहानियत थी। दिव्य दृष्टि का उन्हें प्रदान प्राप्त था। कई बार उन्हें सतयुग का दिव्य साक्षात्कार हुआ था, जिसमें सतयुगी दुनिया के हीरे जवाहरात के महल, देवी देवताओं का अलौकिक श्रृंगार के साथ वहां के रीति रिवाज आदि था। सूक्ष्म वतन में अव्यक्त बाबा का फरिश्ता स्वरूप भी उन्होंने देखा था। यज्ञ की पालना और वृद्धि में दादी जी की विशेष भूमिका रही थी । विश्व भ्रमण कर उन्होंने भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को फैलाया था।संबोधित करते हुए बीके अशोक वर्मा ने कहा कि दादी गुलजार संस्था के संपर्क में आने के बाद शिक्षा ग्रहण के साथ-साथ 14 वर्ष तक गहन तपस्या की थी।1950 में जब संस्था माउंट आबू आई उसके बाद दादी गुलजार की सेवा काफी बढ़ गई। ब्रह्मा बाबा के शरीर में शिव बाबा की प्रवेशता उनके शरीर छोड़ने तक 18 जनवरी 1969 तक होती रही। जब ब्रह्मा बाबा अव्यक्त हुए तो यज्ञ के भविष्य के प्रति कई लोगों के मन में अनेक प्रकार की संकाये भी आई लेकिन इस बीच 21 जनवरी 1969 को अचानक ब्रह्मा बाबा एवं शिव बाबा की प्रवेशता दादी गुलजार जी के तन में हुई और यज्ञ के भविष्य सेवा कार्य का उन्होंने दिशा निर्देश दिया। तब से लगातार दादी जी के दिव्य नयनो द्वारा ब्रह्मा बच्चों के साथ साथ अन्य लोगों को रूहानी शक्ति मिलती रही। दादी जी की व्यवहार कुशलता इतनी मिठास भरी थी कि देश ही नहीं विदेश के भी बड़े-बड़े राज नेता उनसे आकर मिलना चाहते थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अलावा वर्तमान प्रधानमंत्री डॉक्टर नरेंद्र मोदी जी, लालकृष्ण आडवाणी ,पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ,डॉक्टर अब्दुल कलाम आदि मुख्य रूप से दादी जी के पास घंटों बैठकर उनसे दृष्टि युक्त शक्ति लेते रहते थे ।
दादी गुलजार जी का बचपन का नाम शोभा था लेकिन बाबा ने उनका नाम दादी गुलजार रखा और कहा था कि इन आंखों से आप विश्व सेवा करेंगी, आत्माओं में शक्तियां भरेंगी।
विश्व सेवा करते हुए 11 मार्च 2021 को 95 वर्ष की उम्र में दादी गुलजार जी संपूर्णता को प्राप्त कर अव्यक्त हुई।
तीसरी पुण्यतिथि पर उपस्थित भाई बहनों ने बड़े श्रद्धा और आत्मीयता के साथ दादी जी के चित्र पर पुष्प अर्पण कर उनसे दृष्टि ली और पुरुषार्थ तीव्र करने का वरदान भी प्राप्त किया। कार्यक्रम में उपस्थित रहने वालों में मुख्य रूप से बीके श्वेता , बीके पूनम, बीके शशिकला, बीके अनीता, बी के सुनीता, बीके सुलोचना, बीके सुनीता, बीके सरोज ,बीके पूजा ,बीके अंबालिका ,बीके शोभा, बीके शिवपूजन अधिवक्ता, बीके सारिका, बीके रंजन बीके मुरलीधर भाई ,बीके रामनंदन ,बीके नंद भाई, आदि मुख्य रूप से थे।

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