बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
देश जाना पर एड्स ना लाना, इस तरह का प्रचार अक्सर टीवी और सोशल मीडिया पर देखे जा रहे हैं, लेकिन लोग इससे जागरूक नहीं हो रहे. इसका सबूत बिहार में बढ़ संक्रमण का आंकड़ा है. आज बिहार एड्स संक्रमण में देश में तीसरे स्थान पर है. पटना राज्य का हॉटस्पॉट बन गया है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार युवा, गर्भवती महिला, ट्रांसजेंडर, सेक्स वर्कर और ट्रक ड्राइवर जैसे लोग इसकी चपेट में हैं. बिहार के कई जिले की स्थिति चिंता जनक है. टॉप संक्रमण वाले जिले की बात करें तो इसमें सबसे ऊपर पटना आता है. साल 2024-25 की बात करें तो अक्टूबर तक पटना में 1867 लोग संक्रमण पाए गए. इसके बाद सारण में 422, दरभंगा में 399, बेगूसराय में 390, भागलपुर में 362, सिवान में 359, समस्तीपुर में 349 और सीतामढ़ी में 339 लोग संक्रमित मिले हैं. बिहार में हर साल एड्स संक्रमित मरीजों की बढ़ोतरी हो रही है. पिछले 2019-2024 तक की रिपोर्ट देखें तो हर साल हजारों मरीज मिले हैं जो एचआईवी से संक्रमित हैं. 2019-20 में 9928 लोग संक्रमित मिले. 2020-21 में 6469 लोग पॉजिटिव, 2021-22 में 4153 संक्रमित मिले, 2022-23 में 9963 संक्रमित, 2023-24 में 9359 लोग संक्रमित और 2024-25 के अक्टूबर महीने तक 5820 लोग संक्रमित पाए गए हैं. हालांकि 2010 के बाद बिहार में आंकड़े में कमी आयी है. साल 2020-21 के दौरान 577103 लोगों की जांच में 1.2रू यानी 6469 लोग पॉजिटिव मिले. 2019-20 में 851346 लोगों की जांच हुई, जिसमें 1.6ः 9928 लोग संक्रमित पाए गए. बड़ी संख्या में गर्भवती महिला संक्रमित हो रही हैं. साल 2023-24 में कल 1352 गर्भवती महिला संक्रमित हुई थी, जबकि 2024- 25 में अक्टूबर तक 632 महिला संक्रमित हुई है. 2023 24 के दौरान बिहार में 8675 ट्रांसजेंडर की जांच हुई, जिसमें की 70 ट्रांसजेंडर एड्स संक्रमित पाए गए. 2024-25 अक्टूबर महीने तक कुल 6827 ट्रांसजेंडर की जांच हुई, जिसमें अब तक 38 ट्रांसजेंडर संक्रमित पाए गए हैं. सरकार की ओर से ट्रांसजेंडर को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.
एड्स संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश टॉप 2 में है. तीसरे नंबर पर बिहार शामिल है. हालांकि 2010 के बाद बिहार के अंदर एचआईवी इनफेक्शन रेट में 27ः की कमी दर्ज की गई थी. बिहार का इन्फेक्शन रेट 0.17ः है. जबकि राष्ट्रीय औसत 0.22 प्रतिशत है. सरकार को उम्मीद है कि 2030 तक संक्रमण पर काबू पा लिया जाएगा.