मोतिहारी /गोपालगंज। अशोक वर्मा
जन सुराज पदयात्री प्रशांत किशोर सैकड़ों समर्थक यात्रियों के साथ गोपालगंज में प्रवेश किए। प्रशांत किशोर ने कहा – दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए बिहार के लड़कों को बेइज्जती सहनी पड़ती है, उनके आत्मसम्मान के साथ मजाक किया जाता है।
जन सुराज पदयात्रा के 106वें दिन की शुरुआत पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड अंतर्गत सेमुआपुर पंचायत स्थित सेमुआपुर चौक मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ सेमुआपुर गांव से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा पूर्वी चंपारण के रामपुर खजुरिया, डुमरिया पंचायत होते हुए गोपालगंज जिले में प्रवेश की। पदयात्रा परसौनी पंचायत होते हुए सिधवलिया प्रखंड के काशी टेंगराही पंचायत के बुनियादी विद्यालय में रात्री विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत किशोर गोपालगंज में 17 से 18 दिन रुकेंगे और इस दौरान वे जिले के अलग अलग गांवों और प्रखंडों में पदयात्रा के माध्यम से जाएंगे। दिन भर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 5 आमसभाओं को संबोधित किया और 6 पंचायत के 13 गांव से गुजरते हुए 12.5 किमी की पदयात्रा तय की। इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित किया।
’दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए बिहार के लड़कों को बेइज्जती सहनी पड़ती है, उनके आत्मसम्मान के साथ मजाक किया जाता हैः प्रशांत किशोर’
जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने बेरोजगारी पर बात करते हुए कहा कि आज पूरे बिहार के लड़को को दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जलालत से भरी ज़िन्दगी गुजारनी पड़ती है। अपने अपने बच्चों को मजदूर बनने के लिए नहीं पैदा किया है। आज बिहारियों का आत्मसम्मान ख़त्म हो गया है। बिहार का आदमी टिकट कटवा कर जब ट्रेन पकड़ने जाता है तो उसे पुलिस वाले लाठी से मारते हैं और तंज करते हुए बोलते हैं ’ए बिहारी लाइन में लगो’। आज बिहार के लड़कों को इतनी बेइज्जती सहनी पड़ती है दूसरे राज्यों में। प्रशांत किशोर ने कहा आप अगर साथ देंगे तो जो लड़के दूसरे राज्यों में रोजगार करने के लिए विवश हैं वही लड़के बिहार में फैक्ट्री लगा कर दूसरों को नौकरी देंगे।
’बच्चों के शरीर पर कपड़े नहीं हैं, पिल्लू वाला खिचड़ी खाने को मजबूर है और आप जात-धर्म में फंसे हैंः प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा के दौरान आम सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आप अपने और अपने बच्चों की मदद कीजिए। आज आपके बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही हैं, न उनके शरीर पर पहनने के लिए पूरे कपड़े हैं। आज आपके घर आपके गांव में युवा बेरोजगार बैठा है। जिसकी फिक्र आपको और आपके समाज को होनी चाहिए। मैं उन नेताओं की तरह नहीं हूं जो मीठी-मीठी बातें कर आपको बहलाने आया हूं। आप लोगों ने अपने आत्मसम्मान को इतना खो दिया हैं कि आपको अपने बच्चों की पीड़ा समझ नहीं आ रही है। हाथ जोड़ कर बोल रहा हूं कि सोच समझ कर वोट कीजिए वरना जिस गरीबी में आपकी जिंदगी गुजरी है वही ज़िंदगी आपके बच्चों को भी गुजारनी पड़ेगी और इसके जिम्मेवार सिर्फ आप होंगे।