Home न्यूज इलाज के नाम पर जोखिम? NABH के मानकों से दूर मोतिहारी के...

इलाज के नाम पर जोखिम? NABH के मानकों से दूर मोतिहारी के अस्पताल, क्या इसी से छिन रही ज़िंदगियाँ

सचिन कुमार सिंह।
मोतिहारी में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था अब सिर्फ चर्चा का विषय नहीं रही, बल्कि यह आम लोगों की ज़िंदगी पर सीधा खतरा बनती जा रही है। हाल ही में एक अधिवक्ता के भाई की ईलाज के दौरान मौत और उसके बाद दर्ज एफआईआर ने जिले की निजी स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह नहीं है कि इलाज महंगा है या सस्ता, सवाल यह है कि क्या हजारों-लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी मरीज की जान सुरक्षित है?

जिले में खुद को ट्रॉमा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बताने वाले कई निजी संस्थान किस आधार पर यह दावा करते हैं, और क्या वे इलाज की राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक संस्था NABH के पैमानों पर खरे उतरते हैं? एक आम मरीज, जो अपनी जिंदगी बचाने की उम्मीद लेकर अस्पताल का दरवाज़ा खटखटाता है, उसके पास यह जानने का कोई पारदर्शी तरीका नहीं है कि वह जिस अस्पताल में जा रहा है, वहां इलाज जीवन रक्षक है या जीवन के साथ जुआ। यही अनिश्चितता आज मोतिहारी की स्वास्थ्य व्यवस्था की सबसे बड़ी सच्चाई बन चुकी है।

केंद्र सरकार ने देश में इलाज की गुणवत्ता तय करने और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए National Accreditation Board for Hospitals & Healthcare Providers (NABH) की व्यवस्था की। NABH का उद्देश्य साफ़ है—किस अस्पताल में कौन-सा इलाज हो सकता है, उसके संसाधन, डॉक्टर, उपकरण और सुरक्षा मानकों के आधार पर तय किया जाए।
नियमों के अनुसार, जिस अस्पताल को जिस स्तर की मान्यता नहीं मिली है, उसे उसी स्तर का इलाज करने की अनुमति नहीं है। यदि इसके बावजूद इलाज किया जाता है और उसमें लापरवाही या मृत्यु होती है, तो आर्थिक दंड के साथ आपराधिक कार्रवाई और कारावास तक का प्रावधान है।
नियम हैं, लेकिन पालन कहाँ?
जमीनी हकीकत यह है कि मोतिहारी ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वी चंपारण जिले में इन मानकों की निगरानी लगभग न के बराबर है। निजी अस्पताल बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर खुद को मल्टी स्पेशलिटी या सुपर स्पेशलिटी घोषित कर देते हैं, जबकि उनके पास न तो आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं और न ही वह बुनियादी संसाधन, जिनकी मांग ऐसे इलाज के लिए जरूरी है।
जानकार बताते हैं कि दुर्भाग्य से पूरे जिले में निजी क्षेत्र में केवल गिनती के दो अस्पताल ही NABH मान्यता प्राप्त हैं, जबकि दर्जनों अस्पताल जटिल इलाज कर रहे हैं। सवाल यह है कि बिना योग्यता और अनुमति के इलाज की छूट किसके संरक्षण में दी जा रही है? ऑनलाइन आंकड़ों को देखे तो पूर्वी चंपारण के सिर्फ दो अस्पताल ही इस मानक पर खरे उतरते हैं, वे भी प्राथमिक स्तर पर।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल
स्वास्थ्य व्यवस्था की निगरानी की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर होती है। लेकिन स्थानीय स्तर पर यह शिकायत आम है कि जिला प्रशासन के पास इन मामलों पर ध्यान देने का न समय है, न इच्छाशक्ति। न नियमित ऑडिट, न अस्पतालों का ग्रेडिंग सिस्टम और न ही यह तय कि कौन-सा अस्पताल किस तरह का इलाज कर सकता है।
यदि किसी जिले में यह स्पष्ट नहीं है कि कौन-सा अस्पताल किस योग्यता का है, तो फिर जवाबदेही कैसे तय होगी?

आयुष्मान भारत योजना क्यों फेल?
पूर्वी चंपारण में आयुष्मान भारत योजना का अपेक्षित लाभ अब तक आम लोगों को नहीं मिल पाया है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बताया जाता है कि जब नकद भुगतान (कैश) से इलाज कर पैसा तुरंत मिल रहा है, तो कई निजी अस्पताल आयुष्मान जैसी योजनाओं से जुड़ने में रुचि नहीं दिखाते।
नतीजा यह है कि गरीब और जरूरतमंद मरीज या तो इलाज से वंचित रह जाते हैं, या फिर कर्ज़ लेकर निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर होते हैं।

देश में सबसे बदहाल जिलों में गिनती?
स्वास्थ्य संकेतकों की बात करें तो जानकारों का दावा है कि पूर्वी चंपारण देश के सबसे कमजोर स्वास्थ्य जिलों में शामिल होता जा रहा है। डॉक्टर–मरीज अनुपात, सरकारी अस्पतालों की हालत और निजी अस्पतालों की बेलगाम स्थिति—तीनों मिलकर हालात को और गंभीर बना रहे हैं।

समाधान क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि सुधार का रास्ता साफ़ है, बशर्ते प्रशासन ठान ले—
सभी निजी अस्पतालों का अनिवार्य मूल्यांकन
यह तय करना कि कौन अस्पताल किस स्तर का इलाज कर सकता है
बिना अनुमति इलाज करने पर सीलिंग और आपराधिक कार्रवाई
मल्टी या सुपर स्पेशलिटी का दावा करने वालों के लिए NABH अनिवार्य
आयुष्मान भारत योजना को सख्ती से लागू करना

मोतिहारी का स्वास्थ्य संकट केवल संसाधनों की कमी का नहीं, बल्कि नियंत्रण और इच्छाशक्ति की कमी का संकट है। जब इलाज की योग्यता तय करने वाली संस्थाएं मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता, तो बड़ी इमारतें और महंगे बोर्ड केवल भ्रम पैदा करते हैं—सुरक्षा नहीं।
अब सवाल यह नहीं कि नियम क्या कहते हैं, सवाल यह है कि क्या प्रशासन उन्हें लागू करने का साहस दिखाएगा?

NABH क्या है?
National Accreditation Board for Hospitals & Healthcare Providers (NABH) भारत सरकार की गुणवत्ता मान्यता प्रणाली है, जो यह तय करती है कि कोई अस्पताल किस स्तर का, कितना सुरक्षित और मानक-आधारित इलाज कर सकता है।
-NABH, Quality Council of India (QCI) के तहत काम करता है
-स्वास्थ्य मंत्रालय (MoHFW) द्वारा मान्यता प्राप्त
-उद्देश्य: मरीज की सुरक्षा, इलाज की गुणवत्ता और जवाबदेही
 NABH का मूल सिद्धांत
“जिस अस्पताल के पास जितने संसाधन और विशेषज्ञता—वह उतना ही इलाज करेगा।”
इसके बाहर इलाज = नियम उल्लंघन + लापरवाही
NABH के प्रकार
NABH Entry Level – बेसिक सुरक्षा व रिकॉर्ड
NABH Full Accreditation – उन्नत मानक, ICU, सर्जरी, आपात सेवाएँ
NABH Small Healthcare Organisation (SHCO) – छोटे अस्पताल/नर्सिंग होम
NABH for AYUSH – आयुष अस्पताल
NABH for Blood Bank / Labs – अलग मानक

बिना उचित लेवल के ICU, हार्ट/न्यूरो/ट्रॉमा जैसे इलाज अनुमति नहीं।
NABH के अनिवार्य नियम
डॉक्टर व स्टाफ
हर विभाग के लिए योग्य विशेषज्ञ
24×7 ड्यूटी रोस्टर
नर्स-मरीज अनुपात तय (ICU में सख़्त)
इंफ्रास्ट्रक्चर
ICU/OT मानक
ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, मॉनिटरिंग
इमरजेंसी एग्ज़िट, फायर सेफ्टी
इलाज की प्रक्रिया (Clinical Protocol)
हर बीमारी का Standard Treatment Protocol (STP)
दवा/इंजेक्शन का Drug Chart
हाई-रिस्क इलाज में Informed Consent
रिकॉर्ड और पारदर्शिता
Case Sheet, ICU Log, Drug Chart अनिवार्य
मरीज/परिजन को रिकॉर्ड देने से इनकार = नियम उल्लंघन
रिकॉर्ड सुरक्षित रखने की न्यूनतम अवधि
मरीज सुरक्षा
Adverse Event Reporting (गलत दवा, रिएक्शन)
Infection Control
Mortality & Audit Review

क्या NABH के बिना “मल्टी/सुपर स्पेशलिटी” चल सकती है?
नहीं। बोर्ड लगाने से अस्पताल “सुपर स्पेशलिटी” नहीं बनता
हार्ट, न्यूरो, ट्रॉमा, ICU-आधारित इलाज के लिए NABH Full Accreditation आवश्यक
NABH नियम तोड़ने पर क्या सज़ा?
यदि अस्पताल:
बिना मान्यता जटिल इलाज करता है, रिकॉर्ड नहीं देता, लापरवाही से मौत होती है
तो लागू हो सकता है:
आर्थिक जुर्माना
लाइसेंस निलंबन/सीलिंग
आपराधिक केस (BNS/IPC)
कारावास तक (यदि मृत्यु/गंभीर क्षति)

आयुष्मान भारत और NABH
आयुष्मान भारत (PM-JAY) में
NABH/समकक्ष मानक जरूरी
कैश लेने वाले कई निजी अस्पताल जानबूझकर आयुष्मान से नहीं जुड़ते
इससे गरीब मरीज सबसे ज़्यादा प्रभावित

आम आदमी कैसे पहचाने कि अस्पताल योग्य है?
अस्पताल में NABH Certificate (Valid Date) देखें
वेबसाइट/रिसेप्शन पर Scope of Services
पूछें: “क्या ICU/सर्जरी NABH-मान्य है?”
शंका हो तो Civil Surgeon/DM को लिखित शिकायत

————
NABH = इलाज की योग्यता की सरकारी कसौटी
जितनी मान्यता, उतना ही इलाज
बिना मान्यता जटिल इलाज = अपराध
रिकॉर्ड न देना = लापरवाही
NABH लागू होगा तो मौतें घटेंगी, भरोसा बढ़ेगा

Previous articleअब थानों में नहीं आयोजित किए जाएंगे जनता दरबार, प्रखंड कार्यालयों में लगेंगे विशेष जनता दरबार, होगा ऑन द स्पॉट निष्पादन
Next articleविशेष धावा दल ने विभिन्न प्रतिष्ठानों में चलाया सघन जाँच अभियान, दो बाल श्रमिक कराए गए मुक्त