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जज ने कराया अधिवक्ता पर केस, कोर्ट इजलास से महत्वपूर्ण कागजात चोरी, वकील का वीडियो सीसीटीवी में कैद

मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
न्यायिक व्यवस्था की गरिमा को झकझोर देने वाला एक गंभीर मामला मोतिहारी न्यायालय परिसर से सामने आया है। अवर न्यायाधीश सह अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रसेनजीत सिंह के इजलास से लगभग 200 पृष्ठों के अत्यंत महत्वपूर्ण न्यायिक कागजात की चोरी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस सनसनीखेज घटना में एक अधिवक्ता की संलिप्तता सामने आई है, जिसकी करतूत न्यायालय में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
घटना के संबंध में न्यायिक अधिकारी प्रसेनजीत सिंह के आवेदन पर नगर थाना में अधिवक्ता सुभानी हसन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे की कानूनी कार्रवाई में जुट गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एफडी 09-1974 वाद की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के इजलास में नियत थी। इस वाद के आवेदक पूर्व आयकर अधिकारी अब्दुल कलाम थे, जिन्हें सुनवाई के दौरान मामले से संबंधित कुछ आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने थे। सुनवाई के क्रम में वाद से संबंधित लगभग 200 पृष्ठों के बहुमूल्य कागजात, जो आगे की न्यायिक प्रक्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक थे, एक बैग में रखे गए थे।
आरोप है कि सुनवाई के दौरान ही जजमेंट डेब्टर संख्या तीन, अधिवक्ता सुभानी हसन ने मौका पाकर उक्त बैग से चोरी-छिपे सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज निकाल लिए। यह पूरी घटना न्यायालय कक्ष में लगे सीसीटीवी कैमरे में स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड हो गई, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ।
न्यायिक अधिकारी ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि इस प्रकार कागजात को गायब करना न केवल वाद की सुनवाई में बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि यह न्यायालय के सुचारू संचालन और न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता पर सीधा आघात है। यह कृत्य न्याय व्यवस्था को बाधित करने के साथ-साथ गंभीर आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।
नगर इंस्पेक्टर राजीव रंजन ने बताया कि न्यायिक अधिकारी के आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की गहन जांच की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज को साक्ष्य के रूप में सुरक्षित कर लिया गया है और सभी पहलुओं की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के सामने आने के बाद न्यायालय परिसर में हड़कंप मच गया है। अधिवक्ताओं और वादकारियों के बीच इस घटना को लेकर चर्चा का माहौल है। न्यायिक हलकों में इसे एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय घटना बताया जा रहा है, जिसने न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था और पेशे की गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

 

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