बिहार में एग्जिट पोल्स ने दिखाई एनडीए की बंपर बढ़त, इतिहास कहता है-बिहार में सत्ता का रास्ता नीतीश कुमार के दरवाज़े से होकर ही गुजरता है।
सचिन कुमार सिंह। एडिटर
बिहार विधानसभा चुनाव के दो चरणों में मतदान पूरा होने के बाद अब 14 नवंबर को नतीजों का इंतज़ार है। उससे पहले आए सभी प्रमुख एग्जिट पोल्स ने एनडीए की वापसी का अनुमान जताया है। लगभग हर एजेंसी ने महागठबंधन की बड़ी हार और एनडीए की बंपर जीत का दावा किया है।
हालांकि, बिहार का राजनीतिक इतिहास बताता है कि एग्जिट पोल्स अक्सर यहां के मतदाताओं के मूड को समझने में नाकाम रहे हैं, और हर बार नीतीश कुमार का फैक्टर ही सत्ता की दिशा तय करता रहा है। लेकिन इस बार चर्चा सिर्फ एनडीए या महागठबंधन की नहीं, बल्कि “जन सुराज” आंदोलन के राजनीतिक असर की भी है , जिसने बिहार के ग्रामीण इलाकों, खासकर सारण, गोपालगंज, और पश्चिमी चंपारण में चुनावी हवा में हलचल मचाई है।
रिकॉर्ड तोड़ मतदान ने बढ़ा रखीं धड़कनें
बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों में रिकॉर्ड तोड़ मतदान ने सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। परंपरागत रूप से बिहार में बंपर वोटिंग को बदलाव का संकेत माना जाता रहा है, लेकिन इस बार एग्जिट पोल्स इसका उल्टा इशारा कर रहे हैं कृ एनडीए को प्रचंड बहुमत, और महागठबंधन को झटका, तो इसका कारण नीतीश फैक्टर ही नजर आ रहा है।
नीतीश फैक्टर” अब भी सबसे भारी
बिहार विधानसभा चुनाव के दो चरणों में मतदान होने के बाद अब 14 नवंबर को नतीजों का इंतजार है। उससे पहले सभी एग्जिट पोल्स सामने आ गए हैं, जिसमें एनडीए की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है। सभी प्रमुख सर्वे एजेंसियों ने इस बार बिहार में महागठबंधन की बड़ी हार और एनडीए की बंपर सीटें जीतने का दावा किया है। हालांकि, कई बार एग्जिट पोल्स के आंकड़े गलत भी होते रहे हैं, ऐसे में सटीक नतीजों के लिए 14 नवंबर का इंतजार करना होगा। बिहार के ही पिछले विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स की बात करें तो अतीत में बुरी तरह से ये विफल रहे हैं। साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने जिसकी सरकार बनने का अनुमान जताया था, नतीजों के दिन उसकी हार हो गई थी।
पांच साल पहले 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल बुरी तरह से गलत साबित हुआ था। तब ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने अपने पोल्स में राज्य में महागठबंधन की जीत का दावा किया था, जिसके बाद यहां तक कि आरजेडी समर्थकों ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की बधाई देते हुए कई जगह पोस्टर भी लगा दिए थे। हालांकि, जब नतीजे सामने आए तो एनडीए की सरकार बनी। एबीपी न्यूज-सी वोटर ने महागठबंधन को 108-131, एनडीए को 104-128, आजतक-एक्सिस माय इंडिया ने एनडीए को 69-91, महागठबंधन को 139-161, रिपब्लिक भारत जन की बात ने महागठबंधन को 118-138, एनडीए को 91-117 सीटें दी थीं। इसके अलावा, टुडेज चाणक्य भी बुरी तरह से फेल रहा था। उसने बिहार के एग्जिट पोल में एनडीए को 55 और महागठबंधन को 180 सीटें दी थीं। वहीं, जब नतीजे घोषित हुए तो ये एग्जिट पोल गलत साबित हुए और महागठबंधन की हार हुई। एनडीए ने सरकार बनाई और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने थे।
वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था और एनडीए में बीजेपी प्रमुख पार्टी थी। ऐसे में जब एग्जिट पोल आए थे तो दो बड़े व प्रमुख एग्जिट पोल में एनडीए की जीत दिखाई गई थी, जबकि जीत महागठबंधन की हुई थी। तब टुडेज चाणक्य ने एनडीए को 155 सीटें दी थीं, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 85 सीटें ही मिली थीं। वहीं, आजतक सिसेरो ने एनडीए को 113-127 और महागठबंधन को 111-123 सीटें दी थीं। इस तरह दोनों सर्वे एजेंसियों ने राज्य में एनडीए की सरकार का अनुमान जताया था। हालांकि, कुछ सर्वे एजेंसियों ने क्लोज फाइट में महागठबंधन को भी बढ़त बताई थी। सी वोटर ने एनडीए को 101-121 और महागठबंधन को 112-132 सीटें दी थीं, जबकि एबीपी ने एनडीए को 108 और महागठबंधन को 130 सीट दी थी। लेकिन परिणाम सामने आए थे, तब महागठबंधन की एकतरफा जीत हुई थी और उसे 178 सीटें मिली थीं, जबकि एनडीए को सिर्फ 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
इस बार के प्रमुख एग्जिट पोल्स में क्या कहा गया है
| सर्वे एजेंसी | एनडीए | महागठबंधन | अन्य |
|---|---|---|---|
| आजतक-एक्सिस माय इंडिया | 146–168 | 65–87 | 3–5 |
| एबीपी न्यूज–सी वोटर | 138–160 | 70–92 | 5–9 |
| रिपब्लिक भारत–जन की बात | 142–164 | 72–94 | 2–6 |
| टुडेज चाणक्य | 150±10 | 75±10 | — |
सभी सर्वे इस बात पर सहमत हैं कि एनडीए बहुमत से आगे है और महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है, लेकिन राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बिहार में आंकड़ों से ज़्यादा असर चेहरे और गठबंधनों का रहा है।
🧾 पिछले दो चुनावों में एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणी बुरी तरह फेल
🔹 साल 2020 का हाल
| एजेंसी | एनडीए (अनुमान) | महागठबंधन (अनुमान) | वास्तविक नतीजे |
|---|---|---|---|
| एबीपी न्यूज–सी वोटर | 104–128 | 108–131 | एनडीए 125, महागठबंधन 110 |
| आजतक–एक्सिस माय इंडिया | 69–91 | 139–161 | एनडीए 125, महागठबंधन 110 |
| रिपब्लिक भारत–जन की बात | 91–117 | 118–138 | एनडीए 125, महागठबंधन 110 |
| टुडेज चाणक्य | 55 | 180 | एनडीए 125, महागठबंधन 110 |
🔸 नतीजा: सारे एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए, और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने सरकार बनाई।
साल 2015 की तस्वीर
| एजेंसी | एनडीए (अनुमान) | महागठबंधन (अनुमान) | वास्तविक नतीजे |
|---|---|---|---|
| टुडेज चाणक्य | 155 | 85 | महागठबंधन 178, एनडीए 58 |
| आजतक–सिसेरो | 113–127 | 111–123 | महागठबंधन 178, एनडीए 58 |
| सी वोटर | 101–121 | 112–132 | महागठबंधन 178, एनडीए 58 |
| एबीपी न्यूज | 108 | 130 | महागठबंधन 178, एनडीए 58 |
🔸 नतीजा: ज़्यादातर पोल्स ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया था, लेकिन सत्ता महागठबंधन के पास चली गई।
““नीतीश फैक्टर” अब भी सबसे भारी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “बिहार में नीतीश कुमार जिस खेमे में होते हैं, सत्ता उसी के पास जाती है।”
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2015 में नीतीश महागठबंधन के साथ थे — महागठबंधन जीता।
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2020 में वे एनडीए में लौटे — एनडीए जीता।
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और 2025 में वे फिर एनडीए के साथ हैं, इसलिए इस बार के एग्जिट पोल्स को पूरी तरह नकारना मुश्किल है।
“बिहार का मतदाता आख़िरी समय में निर्णय लेता है, लेकिन नीतीश कुमार अब भी स्थिरता और अनुभव का प्रतीक हैं।”
— एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
14 नवंबर को आने वाले नतीजे तय करेंगे कि इस बार भी “नीतीश फैक्टर” निर्णायक रहता है या बिहार फिर से एग्जिट पोल्स को गलत साबित करता है।
इतिहास यही कहता है —
“बिहार में सत्ता का रास्ता नीतीश कुमार के दरवाज़े से होकर ही गुजरता है।”




























































