पिपराकोठी । लोकप्रिय राजेश
सरकारी स्कूलों को जल, स्वच्छता और साफ-सफाई की स्थिति पुरस्कार दिलाएगी। हर स्कूल स्वच्छ हो, इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा यूनिसेफ की मदद से बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार दिया जाता है। शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए सरकारी विद्यालयों के बीच बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सभी विद्यालय अपना आकलन करेंगे। इस अभियान के तहत पुरस्कार के लिए विद्यालयों का चयन तय मानकों के आधार पर होगा। चयनित विद्यालय को बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
बीआरपी मनोज ठाकुर ने बताया कि कार्यक्रम को शुरू करने का उद्देश्य स्कूलों में स्वच्छता को बढ़ावा देना है। इससे बच्चों और उनके परिवारों में भी स्वच्छता के प्रति जागरुकता की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी। स्वच्छ विद्यालय में न्यूनतम सुविधाएं पेयजल, शौचालय, हाथ धुलाई केंद्र, रखरखाव, क्षमता निर्माण आदि हैं।
सात बिंदुओं पर हो रहा विद्यालयों का मूल्यांकन
स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए विद्यालयों का मूल्यांकन 7 बिंदुओं पर होगा। जलापूर्ति, शौचालय एवं मूत्रालय, साबुन से हाथ धोने की की सुविधा, परिचालन एवं रख-रखाव, क्षमतावर्द्धन, व्यवहार परिवर्तन के लिए संवाद, सामुदायिक सहभागिता एवं संसाधन जुटाने पर मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए श्रेणीवार 50 सूचक तय किये गये हैं। और हर सूचक के लिए अधिकतम 2 अंक निर्धारित है।
शत प्रतिशत विद्यालयों का रजिट्रेशन कराने का लक्ष्य
शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना ने निर्देश दिया है कि बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना में शत-प्रतिशत सरकारी विद्यालयों को पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना के अंतर्गत विद्यालयों में राज्य विशेष जल, स्वच्छता एवं साफ-सफाई मानदंड प्रणाली नाम से पोर्टल लांच किया गया है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि स्वच्छता अभियान में शत-प्रतिशत विद्यालय शामिल हों।