– अश्लील गाने लिखने, गाने और प्रमोट करने वालों पर भी कार्रवाई जरूरी, समस्या की जड़ नहीं काटेंगे तो सारा प्रयास व्यर्थ
सचिन कुूमार सिंह। संपादक
होली में जोबनवा बड़ी हिलो है, होलिया में करे टनाटन, चोली फार जोगीरा, तोहार मोट, हमार छोट…वगैरह-वगैरह। न-न, कुछ गलत मत समझिएगा, यह तो बानगी है, होली के अश्लील गानों का, जिनका मुखड़ा इतना अश्लील, उनका अंतरा। अब गौर करने वाली बात यह है कि ऐसे गीत होली के नाम पर सात खून माफ की तर्ज पर गली-मुहल्ले, बस, ऑटो या सार्वजनिक जगहों पर हाई पीच पर बजाए जाएंगे तो सुनने वाले संभ्रांत लोगो, मां-बहनो, छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों में क्या फीलिंग आती होगी। बात सिर्फ होली की नहीं, भोजपुरी के अश्लील गायकों ने यू-टयूब पर इतनी गंदगी डाल रखी है कि इसे साफ करने के लिए कोई स्वच्छ गंगा अभियान की तरह अभियान की जरूरत पड़ सकती है।
भोजपुरी जैसी खूबसूरत बोली-भाखा को गंदगी के गटर में ढकेलने वाले इन गीतकारों, गायकों व प्रमोटरों के तर्क भी निराले हैं। मसलन ऐसे गीत लोग सुनना चाह रहे हैं, सुन रहे हैं तो फिर क्यों न सुनाए। बहरहाल देर से ही सही बिहार पुलिस ने इस पर संज्ञान लेते हुए अश्लील गानों के सार्वजनिक प्रसारण पर रोक लगाते हुए सख्त निर्देश जारी किये हैं। यह शुरूआती पहल प्रशंसा योग्य है, मगर इससे काम नहीं चलेगा, क्योंकि जब तक ऐसे महान गीतों के रचनाकारों, स्वघोषित सुपरस्टार गायकों व इनके प्रमोटरों पर कड़े एक्शन नहीं लिए जाएंगे। ऐसे किसी भी रोक का असर सतही होगा, जो कुछ समय बाद अपना असर खो देगा।
बहरहाल एक नजर डालते हैं बिहार के डीजीपी के आदेश पर
इस आदेश के अनुसार बिहार के सभी एसपी, डीआईजी और आईजी को पुलिस द्वारा भेजे गए आदेश में कहा गया है कि महाशय, उपर्युक्त विषय के संबंध में कहना है कि आये दिन ऐसा देखा जाता है कि सार्वजनिक स्थलों / समारोहों, बसों/ ट्रकों, ऑटो रिक्शा आदि में सस्ते दोहरे अर्थ वाले/अश्लील भोजपुरी गानों का प्रसारण धड़ल्ले से बिना रोक-टोक के किया जाता है, जिसका समाज पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है. इस प्रकार के गीतों के प्रसारण से महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा तथा बच्चों की मनोवृत्ति बुरी तरह से प्रभावित होती है.
ऐसे गानों से असुरक्षित महसूस करती हैं महिलाएं: बिहार पुलिस
इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि भोजपुरी के सस्ते दोहरे अर्थ वाले गानों के कारण महिलाएं कहीं न कहीं असुरक्षित महसूस / लज्जा का अनुभवन करती हैं. इस प्रकार के गाने महिलाओं की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं. दोहरे अर्थ वाले भोजपुरी अश्लील गाने छोटे-छोटे बच्चों को भी गलत संदेश देते है और उन्हें गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. यह एक गंभीर व ज्वलंत सामाजिक समस्या है, जो महिलाओं, बच्चों तथा संपूर्ण समाज को बुरी तरह दुष्प्रभावित कर रहा है. उक्त के आलोक में इस समस्या के निदान हेतु पुलिस प्रशासन के स्तर से विशेष अभियान चलाकर विधि द्वारा निर्धारित प्रावधानानुसार आवश्यक निरोधात्मक / कानूनी कार्रवाई किया जाना अनिवार्य है.
📌 इस आदेश की आवश्यकता क्यों पड़ी?
1️⃣ महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा
भोजपुरी गानों में अक्सर अश्लीलता और दोहरे अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिससे महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं।
सार्वजनिक स्थलों, बसों, ट्रकों, और ऑटो में इन गानों के बजने से कई बार महिलाओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
2️⃣ बच्चों और किशोरों पर गलत प्रभाव
छोटे बच्चे और किशोर संगीत और गीतों से बहुत जल्दी प्रभावित होते हैं।
दोहरे अर्थ वाले या अश्लील गानों के बोल उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं और उन्हें गलत दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।
3️⃣ समाज पर गहरा दुष्प्रभाव
समाज में संस्कार और नैतिकता को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सार्वजनिक रूप से प्रसारित होने वाले गाने शालीनता की सीमा में रहें।
हिंसा, शराब, महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा को बढ़ावा देने वाले गाने सामाजिक समरसता को बिगाड़ते हैं।
4️⃣ कानूनी प्रावधानों का पालन
नए भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 296/79 के तहत अश्लील गानों का सार्वजनिक प्रसारण अपराध की श्रेणी में आता है।
पुलिस ने इसे एक सामाजिक समस्या मानते हुए कठोर कार्रवाई करने का फैसला लिया है।
📌 समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
✅ सकारात्मक प्रभाव
सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ेगी।
बच्चों और युवाओं को बेहतर सांस्कृतिक माहौल मिलेगा।
भोजपुरी भाषा और संगीत की छवि सुधरेगी।
अश्लीलता की जगह शुद्ध और सकारात्मक मनोरंजन को बढ़ावा मिलेगा।
⚠️ संभावित चुनौतियाँ
लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि केवल बजाने वालों पर रोक क्यों?
✅ यह तात्कालिक समाधान है- सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील गानों को रोकना तुरंत लागू किया जा सकता है।
✅ समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है – सार्वजनिक प्रसारण से महिलाओं और बच्चों पर गलत असर होता है, इसलिए इसे पहले रोका गया।
❌ लेकिन यह अधूरा कदम है – गाने तो अभी भी बनाए जा रहे हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।
📌 2️⃣ अश्लील गाने लिखने, गाने और प्रमोट करने वालों पर भी कार्रवाई क्यों जरूरी है?
1️⃣ अगर जड़ नहीं काटेंगे, तो समस्या बनी रहेगी
सिर्फ बजाने वालों को दंड देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। जब तक ऐसे गाने लिखे और गाए जाते रहेंगे, लोग उन्हें सुनते रहेंगे।
2️⃣ भोजपुरी संस्कृति और संगीत की छवि खराब हो रही है
भोजपुरी एक समृद्ध और सांस्कृतिक भाषा है, लेकिन आज इसे अश्लीलता से जोड़ा जा रहा है।
अश्लील गाने भोजपुरी भाषा और संगीत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
3️⃣ मनोरंजन के नाम पर फूहड़ता को बढ़ावा देना गलत है
सिनेमा, संगीत और कला समाज को दिशा देने का काम करते हैं।
मनोरंजन स्वस्थ और प्रेरणादायक होना चाहिए, न कि समाज को बिगाड़ने वाला।
4️⃣ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब चौनलों की जिम्मेदारी
यूट्यूब, म्यूजिक ऐप्स और सोशल मीडिया पर ऐसे गाने आसानी से उपलब्ध हैं।
सरकार को इन प्लेटफॉर्म्स को भी सख्त गाइडलाइंस देने की जरूरत है, ताकि वे ऐसे कंटेंट को बढ़ावा न दें।
📌 3️⃣ क्या किया जाना चाहिए?
✔️ गाने लिखने, गाने और प्रमोट करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई हो।
✔️ यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी रखी जाए और गंदे गानों को हटाया जाए।
✔️ अच्छे भोजपुरी संगीत को प्रमोट किया जाए, ताकि अश्लीलता का विकल्प उपलब्ध हो।
✔️ शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाया जाए, जिससे लोग खुद इन गानों का विरोध करें।
📌 4️⃣ निष्कर्ष
🚫 सिर्फ बजाने वालों को दंड देना पर्याप्त नहीं है।
🚫 अगर समस्या की जड़ खत्म करनी है, तो अश्लील गानों को लिखने, गाने और प्रमोट करने वालों पर भी रोक लगनी चाहिए।
✅ भोजपुरी संगीत को उसकी असली गरिमा और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पुनर्जीवित करना जरूरी है।