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नीतीश सरकार का बड़ा कदमः बिहार में बने तीन नए विभाग, उच्च शिक्षा विभाग को मिले 17 प्रमुख दायित्व

पटना डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
बिहार सरकार ने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने और सेवाओं में दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से तीन नए विभागों के गठन को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिली थी। यह कदम बिहार की उच्च शिक्षा को आधुनिक, तेज और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है। नीतीश सरकार ने बिहार में गठित किए गए तीन नए विभागों में सचिव की नियुक्ति समेत पांच भारतीय प्रशासनिक सेवा ;आईएएसद्ध अधिकारियों को नई जिम्मेवारी सौंपी गई है। राज्य सरकार के नवगठित विभागों में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव राजीव रौशन नियुक्त किए गए हैं। वे इसके पूर्व सारण के प्रमंडलीय आयुक्त की जिम्मेवारी संभाल रहे थे। वहीं युवाए रोजगार एवं कौशल विकास विभाग के सचिव डॉ. कौशल किशोर बनाए गए हैं। वे इसके पहले दरभंगा के प्रमंडलीय आयुक्त थे। जबकिए निलेश रामचंद देवरे को सिविल विमानन विभाग का प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। वे इसके पहले मंत्रिमंडल समन्वय विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात थे। इन तीन नये विभागों के गठन के साथ ही राज्य में सरकारी विभागों की संख्या बढ़कर 48 हो गयी है। पिछले दिनों 45 वें विभाग के रूप में खेल विभाग का गठन किया गया था।

नए बनाए गए विभाग हैं
युवा रोजगार एवं कौशल विकास विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, सिविल विमानन विभाग
इनके गठन के साथ बिहार में विभागों की कुल संख्या अब 45 से बढ़कर 48 हो गई है। कैबिनेट सचिवालय ने नए विभागों के कार्यक्षेत्र को निर्धारित करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।
उच्च शिक्षा विभाग को मिले 17 महत्वपूर्ण कार्य

नई अधिसूचना के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग अब निम्नलिखित 17 क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभालेगा
1. विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा का प्रशासन
विश्वविद्यालयों से संबंधित सभी अधिनियम, नियम और प्रशासनिक कार्य।

2. विश्वविद्यालय पुस्तकालयों की स्थापना
उच्च शिक्षा संस्थानों में आधुनिक पुस्तकालयों का निर्माण और विकास।

3. सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक शोध संस्थाओं का प्रशासनिक नियंत्रण
जैसे- के.पी. जायसवाल शोध संस्थान, ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान
जगजीवन राम संसदीय अध्ययन संस्थान, ललित नारायण मिश्र प्रबंधन संस्थान आदि।

4. विश्वविद्यालय शिक्षा से संबंधित शैक्षणिक परियोजनाओं के ट्रस्ट और निधियों का प्रशासन
न्यास, अक्षय निधि और अन्य शैक्षणिक योजनाओं का प्रबंधन।

5. विशेष अध्ययन एवं शोध को बढ़ावा देना
राज्य में उच्च स्तरीय शोध और अध्ययन गतिविधियों को मजबूत करना।
6. उच्च शिक्षा, शोध संस्थाओं और विज्ञान संस्थाओं में मानकों का निर्धारण और समन्वय
7. बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग का प्रशासन
8. विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा संस्थाओं में शैक्षणिक/गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए नीति निर्धारण
9. विभाग के अधीन सभी पदाधिकारियों का नियंत्रण और सेवा प्रबंधन
10. विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी इमारतों का प्रशासनिक प्रभार
11. उच्च शिक्षा से जुड़े सभी अधिनियमों का प्रभार
12. भाषायी अकादमियों का गठन व प्रशासनिक नियंत्रण
जैसे- संस्कृत अकादमी, प्राकृत अकादमी, पाली अकादमी,मैथिली अकादमी, भोजपुरी अकादमी, मगही अकादमी, बांग्ला अकादमी

13. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का संचालन
14. बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी का प्रशासन
15. शिक्षक-शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण से जुड़ी नीतियों का निर्धारण
16. विधि, प्रबंधन, तकनीकी आदि विषयों में उच्च शिक्षा संस्थानों का गठन और संचालन
17. दूरस्थ शिक्षा का प्रबंधन और विस्तार

तीन नए विभागों के गठन के साथ बिहार सरकार ने जिस तरह उच्च शिक्षा, कौशल विकास और विमानन के अलग-अलग ढांचे तैयार किए हैं, उससे न केवल प्रशासनिक कार्यवाही सरल होगी, बल्कि युवाओं, छात्रों और रोजगार के क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।

नए उच्च शिक्षा विभाग में क्या बदलाव आएंगे?

नीतीश सरकार ने बिहार में उच्च शिक्षा को पूरी तरह अलग विभाग बनाकर एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। इससे पहले उच्च शिक्षा, शिक्षा विभाग के साथ संयुक्त रूप से चलती थी। अब उच्च शिक्षा को स्वतंत्र विभाग बनाकर उसे 17 स्पष्ट जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। इससे कई अहम बदलाव होंगेरू

1. अब विश्वविद्यालयों पर सीधा, केंद्रित नियंत्रण
पहले विश्वविद्यालयों से जुड़े फैसले शिक्षा विभाग का एक हिस्सा थे।
अब नया विभाग सिर्फ विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा पर ध्यान देगा। इस कारण
निर्णय तेज़ होंगे, नियुक्ति, बजट, विकास कार्य में देरी कम होगी, विश्वविद्यालयों की निगरानी अधिक प्रभावी होगी

2. विश्वविद्यालयों के लिए अलग नीति व प्रशासनिक व्यवस्था
अलग विभाग बनने से विश्वविद्यालयों के अधिनियम, नियमावली
प्रशासनिक सुधार, सब कुछ सुव्यवस्थित और एक जगह से नियंत्रित होगा।

3. शोध को विशेष महत्व
पहली बार इन संस्थानों का सीधा प्रशासनिक नियंत्रण एक अलग विभाग के पास जाएगा।
के.पी. जायसवाल शोध संस्थान
ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान
जगजीवन राम संसदीय अध्ययन संस्थान
ललित नारायण मिश्र प्रबंधन संस्थान

इससे शोध संस्कृति मजबूत होगी, नए प्रोजेक्ट और ग्रांट्स बढ़ेंगे।

4. विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों और शोध परियोजनाओं पर फोकस
नया विभाग पुस्तकालय विकास, आधुनिक सुविधाएँ, डिजिटल लाइब्रेरी, ई-लर्निंग पर सीधे कार्य करेगा।
विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षिक संसाधन मिलेंगे।

5. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग पर सीधा नियंत्रण
अब विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति, पदाधिकारी चयन, प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर की भर्तियाँ, सब कुछ इस नए विभाग के अंतर्गत आएगा।
भर्तियों में तेजी और पारदर्शिता की उम्मीद।

6. नए कॉलेज/प्रबंधन/कानून/टेक संस्थान खोलने में सुविधा
अब उच्च शिक्षा विभाग स्वयं, नए कॉलेजों का गठन, प्रबंधन, विधि, इंजीनियरिंग संस्थान स्थापित करना, निजी संस्थानों को मान्यता देना, पाठ्यक्रम नियमन, सब संभालेगा।
इससे बिहार में उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे।

7. भाषायी अकादमियों का पूरा नियंत्रण
अब ये अकादमियाँ सीधे विभाग के अधीन होंगी, संस्कृत अकादमी
पाली अकादमी, प्राकृत अकादमी,मैथिली, मगही, भोजपुरी, बांग्ला अकादमी
स्थानीय भाषाओं पर केंद्रित विकास तेजी से होगा।
दूरस्थ शिक्षा पर बड़ा ध्यान, बिहार में ओपन लर्निंग को पुनर्गठित किया जाएगा।

इग्नू/बीआरए बिहार ओपन यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाओं की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद।

9. भवन, फंड, अधिनियम और कर्मचारियों का केंद्रीकृत प्रबंधन
सभी विश्वविद्यालय/कॉलेज भवनों, फंड, अक्षय निधि , कर्मचारियों और प्रशासन पर एक ही विभाग का नियंत्रण होगा। अव्यवस्था कम होगी।
कुल मिलाकर बड़ा बदलाव क्या है?
पहले उच्च शिक्षा शिक्षा विभाग का सिर्फ एक हिस्सा थी।
अब विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शोध संस्थानों के लिए अलग मंत्रालय
तेज़ फैसले, बेहतर निगरानी, पारदर्शी नियुक्तियां, शोध, पुस्तकालय, भाषायी अकादमियों और दूरस्थ शिक्षा पर विशेष ध्यान, नए कॉलेज और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट खोलना आसान

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