मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
आजकल युवा अपने परंपरा व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, उनके लिए आधुनिकता मतलब मौज-मस्ती। और इसके लिए उन्हें असुरक्षित यौन संबंध से भी गुरेंज नहीं। इसका नतीजा है कि उन्हें सौगात में एडस संक्रमण हो जा रहा है और मजे की बात की उन्हें इसका इल्म भी नहीं। सीमावर्ती रक्सौल इसकी एक बानगी है। भारत-नेपाल सीमावर्ती रक्सौल एचआईवी के मामले में हाई रिस्क जोन में शामिल है, यहां वर्ष 2024 में कुल 70 संक्रमित मिले हैं, जो खतरे की घंटी है। मिली जानकारी के मुताबिक, रोग ग्रस्त लोगों में ज्यादा प्रवासी लोग हैं, जो दूसरे प्रदेश में रोजी रोजगार को जाते हैं और लौटते वक्त एच आईवी / एड्स की सौगात लाते हैं और अपनों को भी रोगी बना देते हैं। पति के प्रदेश जाने पर अवैध व असुरक्षित सेक्स ने भी समस्या बढ़ाई है। इसके साथ ही सेक्स वर्कर्स, ट्रांसजेंडर और ट्रक, बस चालक भी असुरक्षित सेक्स के कारण इस रोग से ग्रसित होने के बाद इस रोग को फैलाते हैं। टीन एजर्स व स्टूडेंट्स भी इस रोग से अछूते नहीं है। जानकारों के मुताबिक, सीमा क्षेत्र के युवाओं की मौज मस्ती संस्कृति ने भी इस बीमारी को बढ़ाया है।
ड्रग्स की लत के कारण भी अनजाने में इस बीमारी से लोग ग्रस्त हो जाते हैं। यह स्थिति चिंता का विषय बना हुआ है। बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति लगातार इस रोग पर नियंत्रण की पहल में है, लेकिन, आंकड़े कम नहीं हो रहे। विभागीय सूत्रों ने बताया कि रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल में वर्ष 2024 में 12 हजार से ज्यादा महिला पुरुषों की जांच हुई। सबसे ज्यादा जांच गर्भवती महिलाओ की हुई, जिसकी संख्या 8886 रही। इसके अलावा संदिग्ध 1383 महिला व 1618 पुरुषों की जांच हुई। कुल 12 ट्रांसजेंडर की जांच हुई।इसमें कुल 70 संक्रमित पाए गए। गर्भवती महिलाओं की जांच में 12 संक्रमित पाई गई, जिन्हे इस रोग के बारे में कुछ भी पता नहीं था। दरअसल प्रदेश गए पति से उन्हे यह रोग लग गई। अनिवार्य जांच की व्यवस्था में सच्चाई पता लगी। जिसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ और कई पीड़ित की सुरक्षित प्रसव कराई गई। इसी तरह 2ट्रांसजेंडर भी संक्रमित पाए गए, जो, आर्केस्ट्रा या नाच में काम करते असुरक्षित और अप्राकृतिक यौन संबंध की वजह से संक्रमित हो गए। इन मरीजों की रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल में एसएआईसीटीसी सेंटर के प्रभारी सह काउंसलर डॉ प्रकाश मिश्रा के नेतृत्व में जांच व काउंसिलिंग की गई।इन सभी की एआरटी सेंटर से दवा शुरू हुई। बता दें कि विगत वर्ष 2023 में करीब 60 एड्स मरीज मिले थे। वहीं, एक महिला व एक पुरुष की एड्स से मौत हो गई थी।
रक्सौल अनुमंडल अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2019 में 32, वर्ष 2020 में 8,2021 में 40 एचआईवी संक्रमित मिले थे। जबकि, 2022 में 68 एचआईवी संक्रमित मिले थे। जिससे अंदाज लगाया जा सकता है कि सीमा क्षेत्र में यह जानलेवा बीमारी किस रफ्तार से पांव पसार रही है। जांच में तेजी आने से यह आंकड़ा सामने आया है। रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार ने बताया कि खुली सीमा के कारण यह बॉर्डर हाई रिस्क जोन में है। लगातार जांच, काउंसलिंग व उपचार की सेवा दी जा रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं और समय पर जांच इलाज से अनेकों जीवन सुरक्षित हुए हैं।-