मोतिहारी।अशोक वर्मा
दुनिया में तबले के पर्याय बन चुके पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, चार- चार ग्रैमी अवार्ड एवं संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से विभूषित महान तबलावादक, तबला मास्टरियो उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से देश- दुनिया तथा चंपारण का कला- जगत अत्यंत मर्माहत है।
चंपारण सांस्कृतिक महोत्सव समिति के तत्त्वावधान में सोमवार को शहर के एमकेडी पब्लिक स्कूल परिसर में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई, जहॉ कलाकर्मियों ने तबले के जादूगर उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
राष्ट्रपति अवार्डी व चंपारण की बेटी डॉ. नीतू कुमारी नूतन ने कहा कि अपने जीवन काल में अपनी कीर्तियों के माध्यम से किवंदंती बन चुके उस्ताद जाकिर का निधन कला – जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। डॉ.नूतन ने कहा कि उस्ताद लोक कला, लोक संस्कृति को संगीत की आत्मा बताते थे, उनका मानना था कि शास्त्रीय संगीत में लोक रस के मिश्रण से कलाएँ नैसर्गिक सौंदर्य प्राप्त करती हैं।
महोत्सव समिति की वर्किंग प्रेसिडेंट डॉ. चन्द्रलता झा ने कहा कि अद्भुत प्रतिभा एवं कठिन साधना की बदौलत उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपनी हथेली की थिरकन से दशकों तक संगीत प्रेमियों के दिल के तारों को झंकृत किया तथा अपने तबलावादन से भारतीय संगीत को दुनिया में एक नयी ऊंचाइयॉ दी और दुनिया में तबलावादन के सबसे बड़े नाम के रुप में वे विख्यात हो गए।
समिति की उपाध्यक्ष डॉ. स्वस्ति सिन्हा ने कहा कि इस सांसारिक लोक में भगवान शिव और मॉ सरस्वती की विशेष अनुकम्पा से अवतरित उस्ताद जाकिर ऐसे सितारे हैं, जिनका अविस्मरणीय योगदान, कीर्तियॉ युगो- युगो तक याद की जाती रहेंगी।
मुंशी सिंह कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार ने कहा कि अपने व्यक्तित्व और अपनी कला से कहीं ऊपर उस्ताद जाकिर बेहद संस्कारवान शख्स थे, अपने सीनियर्स व समकालीन कलाकारों का ह्रदय से आदर- सम्मान देने वाले उस्ताद जाकिर आधुनिक युग के विरल कला शख्सियत थे।
कोषाध्यक्ष संजय पाण्डेय ने कहा कि महज 11 वर्ष की उम्र में अमेरिका में पहला म्यूजिकल कंसल्ट करने वाले उस्ताद जाकिर भारत के पहले कला शख्सियत थे, जिन्हें अमेरिकी व्हाईट हाऊस से ग्लोबल कंसर्ट के लिए आमंत्रण मिला था।
अपर सचिव अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि टेलीविजन पर चाय के विज्ञापन श्वाह ताजश् के द्वारा तबले पर उनकी थिरकती ऊंगलियों ने भारत के आमलोगों के बीच उन्हें बेहद लोकप्रिय बना दिया।
संयुक्त सचिव देवप्रिय मुखर्जी ने कहा कि उस्ताद जाकिर ने दुनिया के नायाब फनकारों के साथ संगति कर उनके फन को आसमानी बुलंदियों तक पहुंचाया। उस्ताद ने पश्चिमी देशों के वाद्ययंत्र के साथ जुगलबंदी कर साबित कर दिया कि दुनियाभर का संगीत एक ही है, जिसे इस सृष्टि को रचने वाले ने अलग- अलग जुबान और भाषाएँ दी ।
शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि उस्ताद जाकिर हुसैन एक तबलावादक के अलावा शानदार म्यूजिक कंपोज़र और फिल्म अभिनेता भी थे। कई फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से उन्होंने अपनी बहुआयामी प्रतिभा से सिनेमाई समीक्षकों को अचंभित भी कर दिया था।
कौशल किशोर पाठक ने कहा कि उनकी हथेली की थिरकन ,तबले पर जुंबिश करती ऊंगलियॉ, उनकी भाव- भंगिमाएं, हवा में लहराते घुंघराले चमकते बाल और लय-ताल के साथ हिलोरे मारते तबले के बोल साक्षात शिव, सरस्वती, श्रीकृष्ण और उर्वशी के अदृश्य दर्शन करा डालते ।
बिंटी शर्मा ने कहा कि उस्ताद जाकिर के तबले की थाप, थिरकन, लय-ताल सदियों- सदियों तक यूं ही दुनियाभर के संगीत प्रेमियों के कानों को तृप्त करती रहेंगी। अपनी कला- कीर्तियों के माध्यम से उस्ताद जाकिर सदियों तक जीवित रहेंगे।