मोतिहारी। अशोक वर्मा
बिहार सरकार द्वारा विधेयक पास कर किसानों के एक लाख एकड़ जमीन से मालिकाना हक छीने जाने के खिलाफ किसान तेजी से संगठित हो रहे है। हरसिद्धि में चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति ने वृहद सभा कर किसानों को वस्तुस्थिति की जानकारी दी ।जंग बहादुर कुशवाहा की अध्यक्षता में आयोजित सभा में हजारों किसानों ने भाग लिया तथा एक स्वर से सभी ने कहा कि मर जाएंगे मिट जाएंगे लेकिन हम अपनी जमीन को कभी भी नहीं छोड़ेंगे। सभा में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने कहा कि 10 वर्ष पूर्व जब बिहार सरकार ने जमाबंदी रसीद काटने पर रोक लगा दी थी तब वह खतरे की घंटी थी, लेकिन मैं अकेला घर-घर दौड़ता रहा और लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन आज जब विधानसभा में विधेयक लाकर एक लाख एकड़ जमीन से किसानों के मालिकाना हक को छीन लिया गया तब किसानों के कान खड़े हुए हैं और अपने हक हुकुक की लड़ाई लड़ने अब किसान बहुत तेजी से घरों से बाहर निकल रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हमारे अस्तित्व की लड़ाई है अगर हम इसमें चूक गए तो हम कहीं के न रहेंगे, सारे किसान भीख मांगने को मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं जिन भूमिहीनों को सरकार ने गैरमजरूआ जमीन सेटलमेंट किया था उन सभी की जमाबंदी रद्द कर दी गयी है । यह सभी निर्णय बिहार सरकार के लिए बहुत घातक साबित होगा ।उन्होंने कहा कि बिहार के जनप्रतिनिधि इस मामले में खामोशी अख्तियार किए हुए हैं जो उनके छवि को काफी धूमिल कर रहा है ।
एक तरह से उनकी राजनीतिक मौत हो रही है। चंपारण में 21 विधायक है लेकिन इसमें सिर्फ एक भाकपा माले के विधायक ने इस विधेयक का विरोध किया बाकी किसी ने भी हिम्मत नहीं की ।मैं भी पहले एनडीए घटक दल उपेंद्र कुशवाहा के साथ रहा लेकिन वर्तमान समय किसानों के हक के लिए मैं सब छोड चुका हू और किसानो के साथ खड़ा हूं । अभी हमारे हजारों लाखों किसानों के जीवन मरण का प्रश्न है और इस बार हम अपनी शक्ति का एहसास करा देना चाहते हैं ।उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में किसान आंदोलन हुआ था जिसका नाम चंपारण सत्याग्रह था। चंपारण के किसानों के संघर्ष ने रंग लाया था और किसानों के हक में ब्रिटिश गवर्नमेंट को फैसला लेना पड़ा था ।और अब तो हम आजाद मुल्क में है देश गुलाम नहीं है हम सरकार को झुका देंगे । जो लोग किसानों के हक में काम करेंगे हम उनको गद्दी पर बैठाएंगे ।किसान अन्नदाता और अन्नपूर्णा है। सारा खेल, सारा वैभव सारे दिखावे भोजन पर ही निर्भर है और किसान ही भोजन देते हैं लेकिन बिहार सरकार ने किसानों के साथ जो अत्याचार किया है ,इतिहास में ऐसा कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। सौ वर्षाे के जमाबंदी को बिहार सरकार के हिटलरशाही नीति किसानों को सड़क पर लाना चाहती है।अंबानी अडानी एवं पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनी एनडीए सरकार को इसका खामियांजा भूगतना पड़ेगा ।इतनी रसातल में जनता फेंकेगी कि फिर ये कभी उठ नहीं पाएंगे ।
कुशवाहा ने यह भी कहा कि मार्च माह में मोतिहारी के गांधी मैदान में आयोजित रैली में लाखों किसान एकत्रित होंगे और अपने शक्ति का एहसास सरकार को करायेगे ।पंजाब हरियाणा के तर्ज पर बिहार के किसान अपने बोरिया बिस्तर को लेकर के मोतिहारी में स्थाई रूप से डेरा डालेंगे और सरकार को बाध्य करेंगे कि वह इस काले कानून को वापस ले। किसानो ने कहा मर जायेगे लेकिन अपनी जमीन नही छोडेगे। संबोधित करते हुए मेहसी के ध्रुव जी ने कहा कि वर्तमान सत्ताधारियों से अंग्रेज बेहतर थे जिन्होंने हमें जमीन दी थी आज बिहार सरकार जमीन छीन रही है, अडानी एवं अंबानी के हाथों की कठपुतली बनी हुई है ।उन्होंने कहा कि 243 विधायकों में सिर्फ भाकपा माले के विधायक ने इस विधेयक का विरोध किया था सभी जनप्रतिनिधि मुह बंद किए हुए थे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का शोषण कर रही है और किसानों के समक्ष मौत है ला रही है ।मार्च में लाखों किसान चंपारण मे एक बार फिर चंपारण सत्याग्रह के तर्ज पर लड़ाई लड़ने हेतु कमर कस चुके है। संबोधित करने वालों में जनार्दन भाई मटियारिया, रामचंद्र जी के अलावा अन्य कई लोग थे ।कई वक्ताओ ने कहा कि बेतिया राज द्वारा 1896 के पहले एक लाख एकड़ जमीन किसानो के नाम सेटलमेंट किया गया था । किसान पूरी तरह से जमीन के मालिक थे और उसी समय से वे मालगुजारी रसीद कटाते आ रहे हैं, हर तरह से कानूनी रूप से वे अपने जमीन पर काबिज थे।10 वर्ष पूर्व पहले तो बिहार सरकार ने उक्त जमीन के मालगुजारी रसीद कटाने पर रोक लगा दिया और अभी 2024 के नवंबर माह में विधानसभा में विधायक पास कर उक्त जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर दिया है। सारे किसानों को नोटिस देकर जमीन खाली करने की हिदायत दे दी गई है ।10 वर्षाे से चंपारण के किसान जमाबंदी रसीद कटाने के लिए आंदोलन चला रहे थे लेकिन विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद किसानों के होश उड गये।चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति ने सरकार द्वारा उक्त जमीन पर किसी तरह के खरीद बिक्री एवं मालगुजारी रसीद कटाने पर लगी रोक से आक्रोशित है। बिहार विधानसभा में कानून पास होने पर तत्कालीन हजारो किसानो की एक लाख एकड़ जमीन की बंदोबस्ती रद्द कर दी गई है और उस पर बिहार सरकार ने अपना कब्जा घोषित कर दिया है। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद चंपारण के किसान भूमिहीन हो गए इतना ही नहीं काफी सरकारी जमीन जिसको भूमिहीनो के बीच सेटलमेंट किया गया था उसे भी रद्द कर दिया गया। किसान इसे सरकारी हीटलरसाही कह रहे हैं और एक बड़े आंदोलन की शुरुआत यहां हो चुकी है जो निकट भविष्य में पंजाब हरियाणा के तर्ज पर अनिश्चितकालीन आदोलन पर बैठेगे।बोरिया बिस्तर लेकर किसान आंदोलन पर जाएंगे। काफी किसान।महिला घरो से निकल सरकार के खिलाफ आग उगल रही है।बहुत सी महिलाये हाडी कलछूल ,चीमटा,छलनी लेकर उक्त विधेयक को रद्द करने हेतु सडक पर उतरने की घोषणा की ।सभा का संचालन रवीन्द्र कुमार ने की।