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विपक्षी आधार वोटों की ‘बंदरबांट’ ने JDU प्रत्याशी शालिनी मिश्रा को दूसरी बार दिला दी जीत,नहीं चल पाया ‘VIP’ दांव

सचिन कुमार सिंह। एडिटर

मोतिहारी के केसरिया विधानसभा में इस बार मुकाबला कड़ा जरूर था, लेकिन नतीजे साफ बताते हैं कि विपक्षी आधार वोटों की बंदरबांट ने चुनाव की तस्वीर पूरी तरह बदल दी।
राजपूत समुदाय के मजबूत उम्मीदवार और लगभग संगठित माने जा रहे MY समीकरण के बावजूद मतदाताओं का झुकाव अंततः एनडीए प्रत्याशी शालिनी मिश्रा की ओर चला गया और उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की।

राजपूत–MY समीकरण मजबूत था, पर वोटों की सेंध ने बदला खेल

चुनाव से पहले यह अनुमान था कि वीआईपी उम्मीदवार वरुण विजय को उनके पिता, वरिष्ठ नेता व एमएलसी महेश्वर सिंह के राजनीतिक कद का भरपूर लाभ मिलेगा।
राजपूत वोटों के एकमुश्त झुकाव और MY आधार वोट की संगठित स्थिति के चलते कई चुनावी पंडितों ने इस सीट को “फिफ्टी–फिफ्टी” माना था। एक ओर राजपूत समुदाय के एक मजबूत उम्मीदवार थे, दूसरी ओर माय समीकरण भी इनके पक्ष में लगभग संगठित माना जा रहा था। चुनावी पंडित भी यहां कड़ा मुकाबला मान रहे थे, उम्मीद थी कि राजपूत जाति का वोट भर-भर कर वीआईपी उम्मीदवार वरूण विजय को उनके पिता एमएलसी महेश्वर सिंह के राजनीतिक कद का भरपूर लाभ मिलेगा और वे एकमुश्त वोट पा जाएंगे, मगर अंत-अंत तक समीकरण एक बार फिर शालिनी मिश्रा की ओर झुक गया। यहां अन्य पार्टियों ने भी अपने अपने हिसाब से वोटों में ठीकठाक सेंध लगाई, जिसका नतीज अंततः शालिनी मिश्रा के पक्ष में गया।

जन सुराज उम्मीदवार नाज अहमद, निर्दलीय रामशरण प्रसाद यादव व गायक विनोद बेदर्दी जो तेज प्रताप यादव की पार्टी से खड़े हुए थे, उन्होंने वीआईपी के आधार वोट बैंक में अच्छी-खासी सेंध लगाई, जिसने वीआईपी उम्मीदवार की जीत की राह मुश्किल कर दी। इस चुनाव में नोटा की भी भूमिका रही। नोटा पर भी 3382 लोगों ने बटन दबा अपने गुस्से का इजहार किया। कमोबेश दोनों दलों के आधार वोटों में किसी न किसी उम्मीदवार ने सेंध लगाई, लेकिन इस समीकरण के हिसाब से शालिनी मिश्रा लकी रहीं और उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।

वैसे भी केसरिया विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास यह बताता है कि यहां पार्टी से बड़ी भूमिका उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि निभाती रही है। 1980 के दशक में जब कांग्रेस का दबदबा था, तब भी जनता ने चेहरे को प्राथमिकता दी। 1990 व 2005 के बीच जनता दल और बाद में राजद ने वर्चस्व बनाया, लेकिन वोटों के प्रतिशत में लगातार उतार-चढ़ाव यह संकेत देता रहा कि यहां कोई स्थायी लहर नहीं, बल्कि चुनाव-दर-चुनाव चेहरा तय करता रहा कि जनता किस पर भरोसा करेगी।

शालिनी मिश्रा की लगातार दूसरी जीत जातीय समीकरण से ऊपर ‘स्थिर नेतृत्व’ की जीत हुई है। यहां भी महिला वोटरों का दबदबा रहा। इस कारण 2020 में जदयू प्रत्याशी शालिनी मिश्रा ने जहां लगभग 26.59 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 44.26 प्रतिशत हो गया।
उनकी यह बढ़त इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि इस बार उनके सामने एक मजबूत राजपूत उम्मीदवार मैदान में था, माय समीकरण भी अपेक्षाकृत संगठित माना जा रहा था,
और पहली बार मुकाबला “बेहद कड़ा” माना जा रहा था।
इसके बावजूद शालिनी मिश्रा की जीत ने यह साफ कर दिया कि केसरिया में वोटर जातीय जोड़तोड़ से ज़््यादा स्थायी नेतृत्व और लगातार जमीन पर मौजूदगी को तवज्जो दे रहे हैं।

कौन-सा वोट किस ओर गया?

पिछले चुनावी पैटर्न को आधार बनाए तो सवर्ण मतदाता यहां करीब 17 से 20 प्रतिशत हैं, खासकर ब्राह्मण, राजपूत व भूमिहार। महागठबंधन की ओर से राजपूत उम्मीदवार के आने से एक अनुमान था कि यह वोट एकमुश्त वीआईपी उम्मीदवार की होर शिफ्ट होंगे, खासकर राजपूत। राजपूत वोट जरूर विभाजित हुआ, पर पूरा नहीं गया। इसके अलावा कुर्मी, कोईरी, नोनिया, मुसहर समेत ओबीसी व ईबीसी ब्लॉक जो करीब 32 से 35 प्रतिशत है और निर्णयक रहा है, पिछले चुनाव की तरह इस बार भी जदयू प्रत्याशी की तरफ झुका रहा। वहीं महागठबंधन की खींचतान व शालिनी मिश्रा के पूर्व से सीटिंग कैंडिडेट होने व क्षेत्र में बहुत पहले से मेहनत करने के कारण दुबारा जीत मिली। इसके अलावा कई अन्य फैक्टर जैसे मोदी-नीतीश फैक्टर व महिला वोटरों का झुकाव भी एनडीए कैंडिडेट की तरफ दिखा।

शालिनी मिश्रा की लगातार दूसरी जीत जातीय समीकरण से ऊपर ‘स्थिर नेतृत्व’ की जीत हुई है। यहां भी महिला वोटरों का दबदबा रहा। इस कारण 2020 में जदयू प्रत्याशी शालिनी मिश्रा ने जहां लगभग 26.59 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 44.26 प्रतिशत हो गया।
उनकी यह बढ़त इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि इस बार उनके सामने एक मजबूत राजपूत उम्मीदवार मैदान में था, माय समीकरण भी अपेक्षाकृत संगठित माना जा रहा था, और पहली बार मुकाबला “बेहद कड़ा” माना जा रहा था।
इसके बावजूद शालिनी मिश्रा की जीत ने यह साफ कर दिया कि केसरिया में वोटर जातीय जोड़तोड़ से ज़््यादा स्थायी नेतृत्व और लगातार जमीन पर मौजूदगी को तवज्जो दे रहे हैं।

केसरिया विधानसभा चुनाव 2025 — उम्मीदवारवार प्राप्त वोट

क्रम उम्मीदवार पार्टी कुल वोट
1 शालिनी मिश्रा JDU 78,192
2 वरुण विजय VIP 61,852
3 नाज़ अहमद ख़ान JSP (जन सुराज) 11,206
4 सुनील कुमार Independent 4,567
5 चन्द्रेश्वर मिश्र Independent 4,342
6 NOTA 3,382
7 विनोद कुमार JSJD 3,313
8 राम शरण प्रसाद यादव Independent 2,782
9 राम अधार राय AAP 2,663
10 चुटुन कुमार RJSBP 2,253
11 पूनम देवी Independent 2,131

किसने किसका वोट काटा? 

कुल वैध मत: 176,683 वोट

VIP उम्मीदवार वरुण विजय के वोट सबसे ज़्यादा कटे

  • जन सुराज (11,206) — राजपूत + मुस्लिम + युवा वोट में सेंध

  • Vinod Kumar JSJD (3,313) — यादव + स्थानीय आक्रोश वोट

  • Ram Sharan Yadav (2,782) — यादव वोट का सीधा नुकसान

  • AAP (2,663) — MY + EBC में सेंध

  • Independent Sunil Kumar (4,567) — ग्रामीण परम्परागत वोट में कटाव

कुल कटाव VIP के करीब 25,000–26,000 वोट
अगर यह वोट एकमुश्त VIP को जाता, तो मुकाबला पलट सकता था।

 

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