✍️ – सचिन कुमार सिंह
उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान की जबरदस्त बढ़त ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। अंतिम राउंड की मतगणना में वह समाजवादी पार्टी (सपा) के अजीत प्रसाद से 60,936 वोटों से आगे चल रहे हैं, जिससे उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
🛑 SP के गढ़ में BJP की ऐतिहासिक बढ़त क्यों?
यह वही सीट है जहां से अवधेश प्रसाद (SP) 2022 में भारी मतों से विधायक बने थे, लेकिन 2024 में फैजाबाद से सांसद बनने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ी, जिससे यह उपचुनाव हुआ। सपा ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया, लेकिन नतीजे बताते हैं कि यह दांव पूरी तरह फेल हो गया।
🔴 1️⃣ BJP ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग का पूरा फायदा उठाया
📌 चंद्रभानु पासवान का चयन दलित वोटों को साधने की BJP की रणनीति थी।
📌 पासवान, अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से आते हैं, जबकि सपा का कोर वोट बैंक OBC और यादव-मुस्लिम गठजोड़ रहा है।
📌 दलित और गैर-यादव OBC वोटर सपा से नाराज थे, और BJP ने इस गुस्से को वोटों में बदलने में सफलता पाई।
📌 “मोदी की गारंटी” और “बीजेपी के पक्के वोटर” इस बार और अधिक मजबूत होकर सामने आए।
🟡 2️⃣ मुस्लिम और कांग्रेस वोटों के गणित में फंस गई सपा
📌 कांग्रेस ने इस चुनाव में सपा को समर्थन देने के लिए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जिससे मुस्लिम वोट सपा को ट्रांसफर होने की उम्मीद थी।
📌 लेकिन BJP के आक्रामक प्रचार और हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण ने इस गणित को फेल कर दिया।
📌 मुस्लिम मतदाता इस बार कन्फ्यूजन में रहा, क्योंकि कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं था और सपा का उम्मीदवार उतना मजबूत नहीं दिख रहा था।
📌 BJP ने हिंदू कार्ड बखूबी खेला, जिससे सपा का परंपरागत वोट बैंक कमजोर हुआ।
🟢 3️⃣ सपा के परिवारवाद का दांव उलटा पड़ा
📌 सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया, लेकिन जनता इसे “वंशवाद” के रूप में देखने लगी।
📌 SP के कोर वोटर को यह टिकट वितरण पसंद नहीं आया, क्योंकि कई स्थानीय दावेदारों को नजरअंदाज किया गया था।
📌 BJP ने इसे “वंशवादी राजनीति बनाम विकास” का मुद्दा बनाकर चुनाव को अपने पक्ष में कर लिया।
🔵 4️⃣ BJP ने लोकसभा हार से सबक लिया और संगठन को मजबूत किया
📌 2024 लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट से सपा की जीत के बावजूद, BJP ने इस क्षेत्र में अपने संगठन को कमजोर नहीं होने दिया।
📌 BJP ने बूथ स्तर तक अपने वोटरों को सक्रिय किया, जिससे सपा की मजबूत पकड़ वाले इलाकों में भी सेंध लगाने में सफलता मिली।
📌 BJP के विधायक रहे चंद्रभानु पासवान को दोबारा उम्मीदवार बनाना रणनीतिक रूप से सही फैसला साबित हुआ।
🟠 5️⃣ BSP की निष्क्रियता से भी BJP को फायदा मिला
📌 बसपा (BSP) इस चुनाव में बहुत सक्रिय नहीं रही, जिससे उनका परंपरागत दलित वोटर BJP की तरफ शिफ्ट हो गया।
📌 BJP ने इस वोट बैंक पर फोकस किया और बसपा के कमजोर होने का पूरा फायदा उठाया।
📌 SP को उम्मीद थी कि बसपा का वोटर इस बार उन्हें सपोर्ट करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
🔥 निष्कर्ष: BJP ने हर मोर्चे पर बढ़त बना ली, सपा का खेल बिगड़ गया!
✔ दलित वोट बैंक में BJP की मजबूत पकड़ बनी।
✔ SP का “परिवारवाद” वाला दांव उलटा पड़ा, लोग बदलाव चाहते थे।
✔ कांग्रेस का समर्थन होने के बावजूद मुस्लिम वोटों में संदेह रहा, जिससे SP का कोर वोट बैंक बिखर गया।
✔ BJP के आक्रामक प्रचार, हिंदू ध्रुवीकरण और लोकल लीडरशिप ने चुनाव को पूरी तरह पलट दिया।
👉 मिल्कीपुर उपचुनाव ने साबित कर दिया कि भाजपा की गहरी रणनीति और सटीक सोशल इंजीनियरिंग ने विपक्ष को करारी शिकस्त दी। 🚀🔥
मिल्कीपुर उपचुनाव: हार के बाद सपा का प्रशासन पर आरोप, अखिलेश यादव बोले – “BJP ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया!”
उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी (SP) की बड़ी हार के बाद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि “BJP ने सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया।”
🔴 क्या कहा अखिलेश यादव ने?
📌 अखिलेश यादव ने बयान दिया कि “BJP लोकतंत्र की हत्या कर रही है, यह प्रशासन की मिलीभगत से मिली जीत है!”
📌 SP के सांसद अवधेश प्रसाद ने भी दावा किया कि “BJP ने प्रशासन के जरिए चुनाव को प्रभावित किया और निष्पक्ष चुनाव नहीं होने दिया!”
📌 सपा के कुछ नेताओं ने EVM पर भी सवाल उठाए और गिनती में धांधली का आरोप लगाया।
🔵 लेकिन क्या वाकई प्रशासन ने चुनाव प्रभावित किया?
1️⃣ अगर प्रशासन की मिलीभगत थी, तो इतने बड़े अंतर से हार क्यों?
🛑 चंद्रभानु पासवान (BJP) लगभग 60,936 वोटों से आगे रहे।
🛑 अगर प्रशासन ने चुनाव प्रभावित किया होता, तो यह जीत इतने बड़े अंतर से नहीं होती, बल्कि करीबी मुकाबला दिखता।
🛑 बूथ स्तर पर सपा का संगठन कमजोर पड़ा, जो हार की असली वजह बनी।
2️⃣ सपा की रणनीतिक गलतियों से मिली BJP को जीत
🛑 सपा ने परिवारवाद को बढ़ावा दिया, जिससे स्थानीय नेताओं में असंतोष था।
🛑 मुस्लिम वोटरों में भ्रम की स्थिति बनी रही, क्योंकि कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा।
🛑 BJP ने दलित और गैर-यादव OBC वोटरों को अपने पक्ष में कर लिया, जिससे सपा का कोर वोट बैंक कमजोर हुआ।
3️⃣ अगर प्रशासन चुनाव प्रभावित कर रहा था, तो सपा के सांसद कैसे जीते?
🛑 2024 लोकसभा चुनाव में इसी क्षेत्र से सपा के अवधेश प्रसाद सांसद बने थे।
🛑 अगर प्रशासन BJP के पक्ष में काम कर रहा था, तो सपा लोकसभा चुनाव कैसे जीत गई?
🛑 यह दिखाता है कि सपा की हार BJP की मजबूत रणनीति और उनकी खुद की कमजोरियों की वजह से हुई, न कि प्रशासन की साजिश से।
📌 निष्कर्ष: हार के बाद “प्रशासनिक साजिश” का आरोप महज बहाना!
✔ BJP ने सोशल इंजीनियरिंग और ग्राउंड लेवल पर मजबूत पकड़ बनाई, जिससे उसे जीत मिली।
✔ सपा की पारिवारिक राजनीति और कमजोर संगठन उसकी हार का मुख्य कारण रहा।
✔ प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप हार को छिपाने की रणनीति ज्यादा लग रही है, क्योंकि 2024 में इसी क्षेत्र से सपा जीत चुकी है।
👉 हार को स्वीकार कर सच्चे कारणों पर आत्ममंथन करना ज़रूरी है, वरना भविष्य में और नुकसान उठाना पड़ेगा!