– जाना था रूस, पहुंचा दिये गये ताजिकिस्तान, अब कंपनी में तीन माह से बने हुए बंधक, कोई सुनने वाला नहीं
पहाड़पुर। नित्यानंद पांडेय
ये बिहारी मजदूर पिछले कई दिनों से अपने वतन से दूर ताजिकिस्तान में हाड़ जमाने वाली ठंड में फंसे हुए हैं। ये मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनके प्राणों पर संकट है। कहां तो ये अपने परिवार का भरण-पोषण करने की खातिर चंद पैसों के लिए सात समंदर पार पहुंच गये, आंखों में नये सपने लिये। मगर यहां आने पर उन्हें मालूम हुआ कि वे बहुत बड़े धोखें का शिकार हो चुके हैं। वे यहां आकर बुरी तरह फंस चुके हैं। यहां लाने वाले एजेंट ने रशिया की बात कर उन्हें ताजिकिस्तान लेजाकर छोड़ दिया। एक तरह से इन्हें मौत के मुंह में ढकेल दिया। अब ये असहाय भाव से भारत सरकार से प्राण रक्षा की गुहार लगा रहे हैं। कोई तो इनकी गुहार बिहार के मुखिया नीतीश कुमार तक पहुंचा दे, जो आज बुधवार को संयोग से पूर्वी चंपारण में समाधान यात्रा पर आने वाले हैं, हो सके तो हुजूर इन मजदूरों की समस्या का समाधान कर दे। अपनी तरफ से पहल कर इन्हें विदेशी एजेंंटों के चंगुल से छुड़ा सकुशल भारत लाने का प्रयास करे।
पहाड़पुर प्रखंड क्षेत्र के कोटवा गांव निवासी रघुनंदन पांडे उर्फ ईकु पांडे ने दूरभाष पर बताया कि डेढ़ लाख रुपया खर्च करके सिवान में साक्षात्कार हुआ, इसके बाद ठेकेदार मंटु सिंह ग्राम तेलियाबाध मो नंबर 8271221749 द्वारा रशिया जाने की बात हुई, लेकिन हम लोग को रशिया नही ले जाकर ताजिकिस्तान में ही हम लोगों को उतारा गया। मेरे साथ अलग-अलग जगहों से लगभग 4 दर्जन मजदूर को वहां रखा गया है।
ताजिकिस्तान में दिशाम्बे से 150 किलोमीटर दूर टीज एम कंपनी में तकनीशियन तथा ड्राइवर और सहायक के रूप में नौकरी के लिए हम लोग लाए गए। 3 माह काम करते हुए बीत गए, वहां हम लोगों को ठीक से खाना पीना भी नहीं मिल रहा है। यहां तक कि माइनस 46 डिग्री ठंड में हम लोग रहते हैं। बर्फ को पिघला कर पानी पी रहे हैं। उचित पोशाक भी नहीं है।
कंपनी से बात करने पर कंपनी कहती है कि मेरा आने जाने वाला खर्च जमा कर अपने पास से टिकट बनवा कर आप लोग जा सकते हैं, जबकि हम लोगों के पास एक पैसा भी नहीं है। तथा कंपनी पैसा भी नहीं दे रही है। बीमार लोगों को चिकित्सा भी नहीं मिल रही है । हम लोगों का जीवन संकट में है। हम सभी लोगों के लिए किसी भी तरह का कोई व्यवस्था नहीं है। हम लोगो का रो रो कर बुरा हाल है। बिहार सरकार तथा भारत सरकार से हम लोग गुहार लगा रहे हैं कि किसी तरह से यहां से निकालकर भारत वापस लाया जाए। हम लोगों को लगता है कि ठेकेदार द्वारा हम लोगों को उक्त कंपनी में बेच दिया गया है, हम लोग दाने-दाने को मोहताज हैं।