मोतिहारी। अशोक वर्मा
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय हिंदी बाजार सेवा केंद्र बेलबनवा उपसेवा केंद्र एवं पतौरा बीके पाठशाला द्वारा संयुक्त रूप से हेनरी बाजार सेवा केंद्र पर अनोखा होली मिलन समारोह का भव्य आयोजन किया गया । कार्यक्रम में योगभट्टी का आयोजन किया गया उसके बाद दैनिक मुरली क्लास में परमात्मा के महावाक्य को पढ़ कर बीके वीभा बहन ने उसकी व्याख्या की उसके बाद परमपिता परमात्मा शिव बाबा को होली का भोग स्वीकार कराया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी भाई बहनों को सेवा केंद्र प्रभारी द्वारा तिलक लगाकर होली की बधाई दी गई । होली के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तमाम बुराई का होलिका दहन एवं अच्छाई की जीत का पर्व है होली। उन्होंने कहा कि भारत पर्व त्योहारों का देश है और सभी पर्व त्योहारों का अपना अध्यात्मिक रहस्य होता है। होलिका दहन मे सत्य की जीत होती है और असत्य की हार होती है ।उन्होंने कहा कि इस पर्व से मनुष्य को सबक लेने की आवश्यकता है ।वैसे समय के साथ-साथ इस पर्व के व्यवहार विधि में भी परिवर्तन लोगों ने कर दिया लेकिन वास्तविक रूप से इसका महत्व यह है कि जीवन के अंदर जो कुछ भी कमी कमजोरियां हैं उसे आज के दिन होलिका दहन के रूप में भस्म कर नए जीवन की शुरुआत करनी है।संबोधित करते हुए बीके अशोक वर्मा ने कहा कि होली बड़ा ही सुंदर प्रेम रस में सराबोर पर्व है यह पर्व सभी को आपसी वैमनस्यता ,ईर्ष्या ,द्वेष, नफरत आदि को भस्म करने की प्रेरणा देता है। होली के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुए श्री वर्मा ने कहा कि होली का अर्थ तीन रूप में स्पष्ट है जिसमें प्रथम होता है ष्हो-लीष् यानी मैं परमात्मा के निर्देशानुसार तमाम बुराइयों का होलिका दहन कर परमात्मा की हो गई यानी भगवान के संग के रंग में रंग गई, आज के दिन से उनकी दिल तख्त नसीन हो गई यानी हो ली।
दूसरा होली का अर्थ है हो- ली ,यानी अब तक जो कुछ भी हुआ सो हो गया आज से पूरी तरह से पुरानी बातों को स्टॉप कर बिंदी लगा देना और साफ दिल होकर परमात्मा के श्रीमत पर चलना।
होली का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण अर्थ है कि होली का जो शाब्दिक अर्थ पवित्रता है वह मैं आज से पूरी तरह से धारण कर ली। आज के दिन रंग बिरंगे गुलाल तमाम तरह के पारंपरिक एवं गिरती कला के विधि से होली खेलने के बाद मैं अपने बदन के पर पड़े कीचड़, जन्म मरण के चक्कर में आने से आत्मा पर पड़े कीचड़ के लेप क्षेप का विकार रूपी रंगों का मिश्रण आदि को आंतरिक एवं बाह्य रूप से बिल्कुल साफ कर पवित्र हो गई, यानी होली (संपूर्ण पवित्र) हो गई।
होली मिलन समारोह में उपस्थित सेवा केंद्र के भाई बहनों ने सेवा केंद्र प्रभारी के अलावा आपस में एक दूसरे के ऊपर फूलों की बरसात कर होली मनाई और परमपिता परमात्मा के सामने संकल्प ले लिया कि अब तक जो कुछ भी कमी कमजोरी हमारे अंदर रह गई है उसको आज बिल्कुल हीं दहन कर बाबा के श्रीमत पर तीब्र पुरुषार्थ कर जल्द से जल्द संपूर्णता को प्राप्त कर बाबा को प्रत्यक्ष करना है । कार्यक्रम में उपस्थित रहने वालों में मुख्य रूप से बीके रामनंदन भाई, बीके बंशीधर भाई, बीके जेपी सिंह, बीके शिवपूजन, बीके सुनीता माता, बीके पूनम बहन, बीके अनिता ,बी के भागीरथी माता बीके मनोज,बीके शोभा ,बीके गीता माता आदि थे।
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