मोतिहारी। सुधांशु कुमार पांडेय
सर्दी के मौसम में सर्दी-खांसी, बुखार सहित अन्य ठंड जनित मौसमी बीमारियों की चपेट में आ जाना सामान्य बात है। गिरते तापमान व बढ़ती ठंड के मौसम में बढ़ जाती है टीबी रोगी की परेशानी, ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी होता है, ये कहना है पूर्वी चम्पारण के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार का। उन्होंने बताया कि टीबी के रोगियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादा ठंड होने पर टीबी का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। कोई भी टीबी मरीज जबतक वह पूरी तरह से ठीक न हो जाय, तब तक उन्हें टीबी की दवा खानी चाहिए। उनका कहना है कि टीबी की बीमारी में दवा बीच में छोड़े जाने पर बीमारी और बढ़ जाती है। वहीं एमडीआर टीबी होने का खतरा हो जाता है।
– संयम के साथ नियमित दवा सेवन जरूरी
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि टीबी मरीजों को ठंढ से बचना चाहिए, गर्म कपड़े पहनने चाहिए, गर्म पानी पीना चाहिए, नियमित दवा का सेवन करना चाहिए ।
दवा के सेवन में अनियमितता भी टीबी रोग की परेशानी को बढ़ा देती है। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीजों में इम्युनिटी की कमी हो जाती है, ऐसे में संतुलित भोजन भी आवश्यक है।
– समय समय पर स्वास्थ्य जाँच भी जरूरी
टीबी के रोगियों में देखा जाता है कि वे अन्य रोगों से भी ग्रसित हो जाते हैं ।ऐसे लोगों को हृदय, मधुमेह, रक्तचाप की भी समय समय पर जाँच करानी चाहिए।
– किसी को भी हो सकती है टीबी
सदर अस्पताल के डॉ. नागमणि सिंह ने बताया कि टीबी किसी को भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, रात के समय बुखार आना, बलगम में खून आना, वजन का कम होना व रात को सोते समय पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि रोगी का जब तक उपचार चलता है, तब तक प्रतिमाह 500 रुपये वित्तीय सहायता राशि निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे मरीज के खाते में भेजी जाती है।