महागठबंधन के बिखराव ने सुगौली में करा दी लोजपा के ‘हेलीकॉप्टर’ की सेफ लैंडिंग, बबलू गुप्ता ने तोड़ दिया जीत का रिकॉर्ड

    सचिन कुमार सिंह। एडिटर

    चंपारण के सुगौली विधानसभा क्षेत्र में इस बार राजनीति ने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ लिया कि अनुभवी विश्लेषक भी दंग रह गए। नामांकन के दौरान एक मामूली तकनीकी चूक ने मौजूदा विधायक ईं शशि भूषण सिंह को सीधे मुकाबले से बाहर कर दिया और भाजपा ने भी सीट पर दावा ठोकने के बजाय चुपचाप खेल बदलते हुए मैदान लोजपा के लिए खाली छोड़ दिया। लोजपा ने भी इस मौके को अच्छे से भुनाया और भाजपा में रहे पूर्व एमएलसी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता को अपना उम्मीदवार बना दिया।

    सबसे दिलचस्प यह कि स्थानीय उम्मीदवारों की भरमार के बीच तथाकथित बाहरी माने जाने वाले बबलू गुप्ता गठबंधन और विरोधी खेमे की अराजकता का फायदा उठा चुनाव का रूख पूरी तरह अपनी तरफ मोड़ने में सफल रहे। रही-ासही कसर एनडीए के स्टार प्रचारकों ने आकर पूरी कर दी और माहौल ऐसा बना कि एनडीए प्रत्याशी ने रिकार्ड जीत दर्ज कर दी।
    चंपारण की राजनीति में इस बार सुगौली वह अनोखी मिसाल बना, जहाँ न सिर्फ़ समीकरण बदले, बल्कि पूरा चुनावी परिदृश्य ही उलट गया। नामांकन के वक्त एक तकनीकी चूक ने मौजूदा विधायक का पत्ता साफ़ कर दिया, और भाजपा ने भी चौंकाते हुए अपना प्रत्याशी उतारने की बजाय गेंद सीधे लोजपा के पाले में डाल दी। दिलचस्प यह रहा कि बाहरी होने के बावजूद बबलू गुप्ता उस गठबंधन की लहर के सहारे आगे निकल गए, जिसका कोर वोट बैंक इस क्षेत्र में सबसे मजबूत माना जाता है। सुगौली विधानसभा चुनाव 2025 का मुकाबला जितना शांत दिखा, उतना भीतर से जटिल था।

    सुगौली विस के लोजपा आर प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता की। पहले मोतिहारी से राजद टिकट पर प्रमोद कुमार के खिलाफ लड़ हारे, फिर अचानक भाजपा ज्वाइन कर विधान पार्षद बन गये और फिर जनता को चौंकाते हुए सीधे लोजपा से टिकट पा बंपर वोटों से जीत गए। ऊपर वाले की मेहर ऐसी की निवर्तमान विधायक शशि भूषण सिंह को राजद की जगह वीआईपी से टिकट मिला और उनका नामांकन रद हो गया, इसके बाद मैदान में जो खिलाड़ी बचे वे दलीय स्थिति से मजबूत नहीं थे।

    और एक निर्दलीय व एक जेजेडी प्रत्याशी में महागठबंधन का समर्थन दिखाने की होड़ लग गई, जिसने आम आदमी को इतना कंफ्यूज कर दिया कि विरोधी मतों में जमकर बिखराव हो गया। अंत समय में बाहरी बनाम स्थानीय का दांव भी खेला गया, मगर कुछ काम नहीं आया और एनडीए प्रत्याशी को भर-भर कर वोट मिला। इस तरह आपसी सिर फुटौव्वल में महागठबंधन ने आसानी से सीटिंग सीट भी गंवा दी। फिर भी उनकी हार कैसे हुई इसकी समीक्षा की जगह अभी भी वीआइपी व गठबंधन नेता वोट चोरी व अनफेयर इलेक्शन का रोना रो रहे।

    सुगौली में चुनावी तिकड़म का ‘मास्टरस्ट्रोक’

    लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता को।
    बबलू गुप्ता का राजनीतिक सफर अपने आप में बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा।
    पहले मोतिहारी से राजद के टिकट पर प्रमोद कुमार के खिलाफ लड़े और हार गए,
    फिर अचानक भाजपा ज्वाइन कर विधान पार्षद बन बैठे, और उसके बाद जनता को चौंकाते हुए सीधे लोजपा आर से टिकट लेकर बंपर जीत हासिल कर ली।

    हालात भी पूरी तरह उनके अनुकूल हो गए।
    निवर्तमान विधायक शशि भूषण सिंह का टिकट वीआईपी से मिला और उनका नामांकन रद्द हो गया।
    इसके बाद मैदान में जिन्हें उतरना था, वे दलीय ताकत और पहचान के हिसाब से कमजोर थे। निर्दलीय और जेजेडी प्रत्याशी को लेकर महागठबंधन में सपोर्ट दिखाने की होड़ मच गई,
    जिससे आम मतदाता कंफ्यूजन में पड़ गया और विरोधी वोट बुरी तरह बिखर गये।

    आखिरी दौर में ‘बाहरी बनाम स्थानीय’ का कार्ड भी खेला गया, मगर असर नहीं हुआ और एनडीए उम्मीदवार को भरपूर वोट मिले। एक तरह से यह सीट महागठबंधन ने आपसी सिरफुटाव और कंफ्यूजन में खुद ही गंवा दी, फिर भी समीक्षा करने की बजाय आज भी वीआईपी व गठबंधन नेतावोट चोरी और अनफेयर इलेक्शन का राग अलाप रहे हैं।

    महागठबंधन की बड़ी चूक
    महागठबंधन को सुगौली में एक बड़ा झटका तब लगा जब उनकी प्रमुख उम्मीदवार शशि भूषण सिंह (वीआईपी) का नामांकन रद्द कर दिया गया। नामांकन रद्द होने के बाद, महागठबंधन के पास कोई बड़ा दलीय विकल्प नहीं बचा।
    इस स्थिति में “विदेशी बनाम स्थानीय” की खेप भी महागठबंधन ने नहीं सही तरीके से चला पाई। स्थानीय पहचान और वोट बैंक संतुलन उनकी पकड़ में नहीं रह पाया।

    इसके अलावा, महागठबंधन में अलग-अलग दलों के बीच एकजुटता दिखाई नहीं दी। विरोधी वोट बंट गए।

    4. स्थानीय बनाम बाहरी रणनीति
    बबलू गुप्ता की जीत में यह भी देखा गया कि उन्होंने स्थानीय जमीन की नब्ज़ अच्छी तरह पकड़ी है, शायद उसकी पहचान “स्थानीय नेता” के तौर पर मजबूत रही।
    महागठबंधन, इसमें पिछड़ गया क्योंकि उनका उम्मीदवार नामांकन तक नहीं टिक पाया, और अन्य दावेदारों ने इतना मजबूत लोक-लगाव नहीं बनाया जितना कि बबलू ने।
    यह “स्थानीय बनाम बाहरी” की लड़ाई महागठबंधन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती दिखी। मतदाता ने बबलू को स्थानीय नेता मानकर भरोसा किया।

    सुगौली की इस विधानसभा सीट पर राजेश कुमार “बबलू” गुप्ता की जीत सिर्फ एक हार का मामला नहीं है। यह उस रणनीति का जीत है जो सत्ता-स्वार्थ, दल का चयन और स्थानीय पहचान के बीच संतुलन बनाए रखती है।
    यह जीत महागठबंधन की एक गहरी चूक को भी उजागर करती है कृ प्रयासों के बावजूद वे न तो नामांकन प्रक्रिया में मजबूत रहे, न मतदान स्तर पर एकजुटता कायम रख पाए।

    बबलू गुप्ता की भारी जीत और महागठबंधन की चूक
    1. परिणाम और आंकड़े
    सुगौली विधान सभा क्षेत्र -11 में राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता (लोजपा-रामविलास) ने कुल 98,875 वोट हासिल किए।
    उनका जीत का अंतर (मार्जिन) 58,191 वोट रहा।
    -उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी श्याम किशोर चौधरी (जनशक्ति जनता दल ) को केवल 40,684 वोट मिले।
    -अन्य उम्मीदवारों में जुल्फिकार आफताब (बसपा) को ्25,036 वोट मिले।
    -कुल मतदाता की हिस्सेदारी के अनुसार, बबलू गुप्ता को लगभग 49.74 प्रतिशत वोट मिले

    बीजेपी की पकड़
    – 2010 और 2015 में रामचंद्र सहनी ने लगातार जीत दर्ज की। यह संकेत है कि इस अवधि में सुगौली में बीजेपी की पॉलिटिकल पकड़ मजबूत थी, और पार्टी स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली रही।

    सुगौली (Sugauli) सीट — पिछले विधानसभा चुनावों का इतिहास

    चुनाव वर्ष विजय उम्मीदवार (MLA) पार्टी प्रमुख विपक्षी जीत का मार्जिन / अन्य आंकड़े
    2020 शशि भूषण सिंह  RJD रामचंद्र सहनी (VSIP) सिंह को 65,267 वोट मिले थे, और विजयी प्रतिशत लगभग 38.26% था।
    2015 रामचंद्र सहनी  BJP ओम प्रकाश चौधरी (RJD) सहनी को 62,384 वोट मिले (वोट शेयर ~40.12%), जबकि चौधरी को 54,628 वोट मिले थे।
    2010 रामचंद्र सहनी  BJP विजय प्रसाद गुप्ता (RJD) सहनी ने दूसरे उम्मीदवार से 12,379 वोटों की बढ़त से जीत हासिल की।

     

     

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