हाजीपुर। अशोक वर्मा
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के हाजीपुर में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में शिक्षकों की गुणवत्ता शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होने का सबसे बड़ा कारण है, मेरा मानना है कि यह पूरे तरीके से सच नहीं है। शिक्षा व्यवस्था का बिहार में खराब होने का सबसे बड़ा कारण है सरकार की उदासीनता और शिक्षा को लेकर सरकार की गलत नीति है। समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के चक्कर में सरकार ने हर गांव में स्कूल बनाने की योजना बना दी। इस बात की बिना चिंता किए कि सरकार के पास स्कूल चलाने के लिए संसाधन है या नहीं। आज समाज में स्कूलों के लिए अवधारणा बन गई है कि स्कूल खिचड़ी बांटने के सेंटर है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।बिहार में शिक्षा व्यवस्था के लिए मैं यही कहूंगा कि स्कूलों में खिचड़ी बंट रही है, और कॉलेजों से डिग्री बंट रही है, पढ़ाई दोनों में से कहीं नहीं हो रही है। मुझे ऐसा लगता है कि जब बिहार का इतिहास लिखा जाएगा तब नीतीश कुमार की शिक्षा व्यवस्था के कार्यकाल को सबसे बड़ा काला अध्याय माना जाएगा
’बिहार के गांवों में बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन लोग बिजली के गलत और बढ़े हुए बिल से परेशान हैरू प्रशांत किशोर’
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के हाजीपुर में मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि जब से पदयात्रा कर रहा हूं मैंने पाया है कि हर गांव में बिजली पहुंच गई है। ये बात अलग है कि बिजली के बिल आय दिन बढ़ के आ रहे हैं। मैंने 6 जिलों में पदयात्रा करने के क्रम में अलग-अलग लोगों से कहते हुए सुना है कि उनके बढ़े बिल 6 से 50 हजार तक आ रहे हैं। यहां तक कि बिजली बिल डेढ़ लाख तक किसी-किसी के घर में आई है ऐसा लोगों ने मुझे बताया है। जनता को दिक्कत इसमें ये आ रही है कि एक बार बिजली बिल आ गया तो लोगों का बिजली का कनेक्शन कट जाता है। मुझे ऐसे भी लोग मिले जिन्होंने मुझे बताया कि उनपर फौजदारी के केस हो गए हैं। बिहार में कितने घर के लोग ऐसे हैं कि मुक़दमे के डर से और बढ़े बिल न चुका पाने के डर से घर छोड़ कर भाग गए हैं।