मोतिहारी। एसके पांडेय
सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि बदलते मौसम में टीबी मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए। इस मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण टीबी मरीजों को खाँसी, सर्दी, बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो समय पर जांच व इलाज के अभाव में जानलेवा भी हो सकता है। मरीज के संपर्क में रहने वाले उसके परिजनों में भी टीबी के संक्रमण की संभावना प्रबल रहती है। इसलिए टीबी के लक्षणों वाले मरीजों में टीबी की पुष्टि होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी न फैले।
– बीच में दवा छोड़ने से फिर लौट सकता है टीबी
सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि टीबी की बीमारी की अगर समय पर पहचान हो जाए तो लोग टीबी से आसानी से जंग जीत सकते हैं। सीएस ने बताया कि टीबी के इलाज में लोग आराम होने पर पूरा कोर्स किए बिना ही दवा बीच में छोड़ देते हैं। ऐसे बीच में दवा छोड़ने से टीबी पुनः लौट सकता है। और मरीज को एमडीआर टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।
– टीबी के मरीज बरतें सावधानी
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि टीबी से बचाव को सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि टीबी के मरीज, जो माता पिता या अभिभावक हैं, वे अपने बच्चों से दूरी बनाएं, क्योंकि टीबी संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति कहीं खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रमण बाहर निकलता है। जो हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पीड़ित माता-पिता या अन्य मरीजों के संपर्क में जाने से मिल रहे हैं।
– सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना का मिलता है लाभ
निक्षय पोषण योजना के तहत सरकार द्वारा टीबी से ग्रसित लोगों के लिए प्रतिमाह 500 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि टीबी मरीज पौष्टिक आहार का सेवन करें।