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जिस चंपारण ने एनडीए की भरी झोली, बदले में मिली खाली थाली, नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से आमलोग निराश

सचिन कुमार सिंह।
विधानसभा चुनाव 2025 में चंपारण ने एनडीए को जिस स्तर पर झोलीभर-भर कर सीटें दी, वह बिहार की राजनीति में उदाहरण बन सकत 12 में से 11 सीटें देकर चंपारण ने न सिर्फ सरकार बनाने का रास्ता साफ किया, बल्कि पूरे गठबंधन को नई ऊर्जा दी।
लेकिन नई सरकार में चंपारण को एक भी मंत्री पद न देकर जो फैसला लिया गया, उसने यहां के जनादेश और जनता दोनों को गहरा आहत किया है।
सबसे बात यह है कि कि वैशाली, जिसके पास मात्र 8 सीटें, वहां से चार विधायकों को मंत्री बना दिया गया।
जिले के ज्यादातर क्षेत्र की बड़ी संख्या में सीटों पर एनडीए को बड़ी बढ़त मिली 12 विधानसभा क्षेत्रों में 11 पर एनडीए ने जीत हासिल भी की जिसने सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभाई। चुनावी रैलियों में चंपारण के विकास, रोजगार, एवं बुनियादी संरचनाओं के विस्तार को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे।
लेकिन नई सरकार के गठन के बाद चंपारण को एक भी महत्वपूर्ण मंत्रालय या प्रतिनिधित्व न मिल पाने से यहां की जनता में आक्रोश और निराशा देखने को मिल रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चंपारण ने अपना समर्थन देकर एनडीए की “झोली भर दी”, लेकिन बदले में क्षेत्र को उपेक्षा ही मिली।
चुनाव जीतने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में चंपारण की अनदेखी को लोग “वोट के बाद वादों से मुकरना” बता रहे हैं।
यहां के युवा, किसान और व्यापारिक समुदाय का कहना है कि चंपारण बिहार का महत्वपूर्ण इलाका है, जिसने हमेशा राज्य की राजनीति में अहम योगदान दिया है। ऐसे में नई सरकार में शामिल न किया जाना राजनीतिक समीकरणों के साथ-साथ विकास कार्यों को भी प्रभावित कर सकता है।
कई सामाजिक संगठनों ने भी इस निर्णय पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि यदि चंपारण को सरकार में प्रतिनिधित्व मिलता, तो क्षेत्रीय समस्याओं को सीधे सरकार के सामने उठाने में आसानी होती।
फिलहाल चंपारण की जनता सरकार से यह उम्मीद कर रही है कि आगामी विस्तार या किसी बड़े निर्णय में क्षेत्र के प्रति न्याय किया जाए, ताकि यहां के लोगों की आशाएं फिर से जीवित हो सकें।
सबसे विस्फोटक तुलना यह है कि वैशाली, जिसके पास मात्र 8 सीटें, वहां से चार विधायकों को मंत्री बना दिया गया। “चंपारण ने 11 दिया, वैशाली ने 8 तो मंत्री 0 बनाम 4 कैसे?”

लोगों का सवाल —

जब इतने काबिल चेहरे मौजूद हैं, तो चंपारण को क्यों सूली पर चढ़ा दिया गया?**
चंपारण के युवा, किसान और व्यापारी सभी यही पूछ रहे हैं कि—

  • क्या नेतृत्व को चंपारण की ताकत से डर लगा?

  • क्या सीटें दिलाने की सजा दी जा रही है?

  • या गठबंधन के भीतर ऐसा समीकरण बनाया गया जिसमें चंपारण को ‘बलि का बकरा’ बना दिया गया?

यह रही नए बिहार मंत्रिमंडल (2025) के मंत्रियों की पार्टी-वार सूची:

  • BJP: सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, मंगल पांडेय, दिलीप कुमार जायसवाल, नितिन नबिन, राम कृपाल यादव, संजय सिंह (टाइगर), अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रामा निशाद, लखेन्द्र कुमार रौशन, श्रेया‍शी सिंह, प्रमोद कुमार

  • JD(U): विजय कुमार चौधरी, विजेंद्र कुमार यादव, श्रवण कुमार, लेशी सिंह, अशोक चौधरी, मदन साहनी, सुनील कुमार, मोहम्मद ज़मा खान

  • LJP (Ram Vilas): संजय कुमार, संजय कुमार सिंह

  • HAM (Secular): संतोष कुमार सुमन

  • RLM: दीपक प्रकाश

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