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तीन दशक पहले मोतिहारी में भी अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी हैं बिहार कोकिला, संगीतप्रेकियों ने दी श्रद्धांजलि

मोतिहारी । अशोक वर्मा
शारदा सिन्हा की आवाज की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी। वे विहार की एक धरोहर थी। लगभग तीन दशक पूर्व के कार्यक्रम मे वे मोतिहारी आई थी। उस दौर में डॉक्टर वीरेंद्र नाथ पांडे जी मोतिहारी में बराबर सांस्कृतिक आयोजन करते रहते थे ,वह एक सुनहरा दौर था उस समय का माहौल भी बहुत ही अच्छा था। मोतिहारी मे अन्य कई संस्थाये भी बडा ही सुंदर और स्वस्थ आयोजन करती थी । कहीं भी कोई अश्लीलता आदि नहीं था। जब नगर के एक मंच पर उनकी विशेष प्रतीकंपित आवाज गूजी तो पूरा पंडाल तालियो की आवाज से गुंजायमान हुआ । एक से एक गीत उन्होंने प्रस्तुत किये। छठ से लेकर अनेक लोकगीत उन्होंने गाया ।

उस समय जितेंद्र त्रिपाठी जिला पदाधिकारी थे, उन्होंने भी अपने उद्बोधन में तारीफों के पुल बांधे। शारदा सिन्हा की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वह भारतीय नारी की एक जीवंत प्रतीक थी। कहीं से भी उनके लिवास में आधुनिकता नहीं थी। ऐसा लगता था कि अपने घर परिवार की जो महिलाएं होती हैं उसी रूप में रहती थी । बड़ी सी लाल बिंदी लगाती थी एक तरह से वह उनकी विशेषता और पहचान थी । वैसे तो जो लोग भी धरती पर आए हैं सभी को एक न एक दिन जाना है ,लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने कार्य से यादगार छोड़ जाते हैं । बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें दुनिया याद भी नहीं करती। शारदा सिन्हा को जो कुदरती स्वर मिली थी, शारदा सिन्हा ने बड़े ही ईमानदारी से उसका निर्वहन किया। स्टेज चयन में भी वे बहुत सतर्कता वरतती थी। आयोजक कौन है इन सब बातों का भी ख्याल रखती थी और बड़े ही सादगीपूर्ण तरीके से मंच पर आकर अपनी प्रस्तुति देती थी ।उनके साथ वाद्य की एक मजबूत टीम भी थी। कहीं से कोई आधुनिकता या दिखावा नहीं था। आज यही सब कारण है कि शारदा सिन्हा अमर हो गई,वे हमेशा याद की जाएगी। संगीत कालेज के प्राचार्य शैलेंद्र सिन्हा ने श्रद्धांजलि मे कहा कि शारदा सिन्हा की मधुर आवाज फिजा मे हर समय गूंजती रहेगी

इन संगीतप्रेमियों ने दी श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा को जिले के काफी संगीत प्रेमी, बुद्धिजीवी एवं अन्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रूप से संगीत महाविद्यालय के प्राचार्य शैलेंद्र कुमार सिन्हा, प्रोफेसर शोभाकांत चौधरी, पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर राम निरंजन पांडे ,पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर रत्नेश आनंद, पूर्व प्राचार्य डॉक्टर प्रोफेसर अरुण कुमार,एम एस कॉलेज के प्राचार्य मृगेंद्र कुमार, प्रसिद्ध गायक मनजीत प्रकाश ,चंपारण महोत्सव के संस्थापक प्रसाद रत्नेश्वर ,चंपारण सांस्कृतिक महोत्सव के सचिव एवं तबला वादक संजय पांडेय ,गायक एवं कवि अंजनी आशेष ,प्रसिद्ध गजल गायक संजय उपाध्याय ,शारदा संगीतालय की प्राचार्य ,समाजसेवी संगीता चित्रांश, पर्यावरणविद केशव कुमार , प्रोफेसर जगदीश विद्रोही, कवि मधुबाला सिन्हा, प्रसिद्ध लेखक कवि गुलरेज शहजादा, कवि अभय अनंत, प्रसिद्ध संस्कृति कर्मी अनिल कुमार वर्मा,बबीता श्रीवास्तव आदि है।

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