बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
बिहार के एक समय बड़े राजघरानाओं में शामिल रहे बेतिया राज की बिहार और यूपी में फैली बेशुमार और बेशकीमती जमीन को सरकार के अधीन लाने के मकसद से बिहार विधानमंडल ने एक विधेयक को पास कर दिया है। मंगलवार को नीतीश कुमार सरकार की तरफ से राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बेतिया राज की संपत्तियों को सरकार में निहित करने वाला विधेयक पहले विधानसभा में पेश किया जिसे सदन को बुधवार तक स्थगित करने से पहले पास करा लिया गया। इसके बाद विधेयक को विधान परिषद की भी मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही बेतिया राज की सारी संपत्ति अब बिहार सरकार की हो जाएगी। 1954 में महारानी जानकी कुंवर के निधन के साथ ही बेतिया राजपरिवार के आखिरी सदस्य की विदाई हो गई थी।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया कि बेतिया राज की 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन और अन्य संपत्ति अब राज्य सरकार में निहित की जा रही है। इनकी जमीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है। बिहार में बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन जबकि यूपी में 143 एकड़ जमीन है। बिहार में बेतिया राज की अधिकांश जमीन पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में है। इसके अलावा सारण, सीवान, गोपालगंज और पटना में भी बेतिया राज की जमीन है। इन जमीनों की कीमत 8000 करोड़ से ऊपर आंकी जा रही है।
सीपीआई-माले के सिकटा से विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने बिल का काला कानून बताया और कहा कि इससे 1885 के बाद वहां बसे लोग बेघर हो सकते हैं। जायसवाल ने उन्हें आश्वस्त किया कि कानून नोटिफाई होने के बाद सरकार जमीन की लिस्ट जारी करेगी और प्रभावित होने वाले लोगों से आपत्तियां लेकर उनका निराकरण भी करेगी। गुप्ता ने जब यह सवाल किया तब तक विपक्ष के सारे विधायक 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर सदन का बॉयकॉट कर चुके थे।
बिहार राजस्व पर्षद (रेवेन्यू बोर्ड) के चेयरमैन और कड़क आईएएस अफसर केके पाठक जब से बोर्ड में आए हैं, तब से उनके एजेंडे पर बेतिया राज की जमीन से अवैध कब्जा हटाना सबसे ऊपर चल रहा है। केके पाठक ने अफसरों से अवैध कब्जों का हिसाब निकालने कहा था। पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) और पश्चिमी चंपारण (बेतिया) में लगभग 3600 एकड़ पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण मिला है। अकेले बेतिया में 11600 अतिक्रमणकारियों की पहचान हुई है।
केके पाठक ने संबंधित जिलों के डीएम के साथ इसकी समीक्षा कर अतिक्रमणकारियों पर केस करने कहा था और अब तक बेतिया में 8528 लोगों पर अतिक्रमण का केस हो चुका है। मोतिहारी में 2647 अतिक्रमण वालों की पहचान हुई है जिनमें 1230 लोगों को नोटिस भेजा गया है और 1214 लोगों पर केस दर्ज हो गया है। चंपारण के दोनों जिलों में कुल 3661.11 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण मिला है जिसमें मोतिहारी में 2617.46 एकड़ और बेतिया में 1043.65 एकड़ है।
बेतिया राज की जमीन का अतिक्रमण शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हुआ है। केके पाठक ने अतिक्रमण के मामलों मे नियमानुसार प्राथमिकी दर्ज कर आरोप गठित करने को कहा है। राज्य सरकार बेतिया राज की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की तैयारी में है। और इस कठिन काम के लिए केके पाठक से बेहतर और कोई अफसर हो नहीं सकता था। सरकार के पास अतिक्रमण की अंचलवार लिस्ट तैयार है। यहां से कब्जा हटाने के लिए कभी भी केके पाठक का डंडा चल सकता है और कोर्ट से आदेश हुआ तो बुलडोजर भी।
हरेंद्र किशोर सिंह बेतिया राज के आखिरी राजा थे, जिनका निधन 1893 में हुआ। उनकी कोई संतान नहीं थी लेकिन अपने पीछे वो दो बीवी छोड़ गए थे। 1896 में उनकी एक पत्नी महारानी शिवरत्न कुंवर का निधन हो गया जबकि दूसरी पत्नी जानकी कुंवर 1954 में गुजर गईं। अंग्रेजों ने जानकी कुंवर को 1897 में राजपाट संभालने के अयोग्य घोषित कर दिया था और बेतिया राज की संपत्तियों को कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट 1879 के तहत डाल दिया था।
पहले राजस्व बोर्ड के अधीन थी जमीन, अब सीधे सरकार के पास आ गई
राजस्व व भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) दीपक कुमार सिंह ने कहा कि कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट के तहत भी ये जमीनें पहले से राजस्व बोर्ड के अधीन थी। इस विधेयक के पास होने से अब ये सारी जमीन सीधे सरकार के पास आ गई है और इसका इस्तेमाल सामुदायिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी किया जा सकता है। इस कानून से राज्य सरकार को बेतिया राज की जमीन का बेहतर उपयोग करने की ताकत मिल गई है।
बिहार के जिलों में बेतिया राज की 15213 एकड़ जमीन का हिसाब
पश्चिमी चम्पारण- 9758.58
पूर्वी चम्पारण- 5320.51
सीवान- 7.29
गोपालगंज- 35.58
पटना- 4.81
सारण- 88.41
उत्तर प्रदेश के जिलों में बेतिया राज की 143 एकड़ जमीन का हिसाब
प्रयागराज- 4.54
बस्ती- 6.31
अयोध्या- 1.86
गोरखपुर- 50.92
कुशीनगर- 61.16
महाराजगंज- 7.53
मिर्जापुर- 0.91
वाराणसी- 10.31