नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
यह तय हो गया है कि अगर देश में राजनीति में प्रासंगिक बने रहना है, गाहे-बगाहे चर्चा बटोरनी हो तो कुछ न कुछ विवादित बोल जरूरी हैं। ऐसे में नेंताओं के लिए सबसे आसान टारगेट हिन्दू धर्म या हिन्दू धर्मग्रंथ बनते हैं, ऐसे नेता जानते हैं कि ऐसे विवादित बोल से उनका जो खास वोट बैंक है उसका तुष्टिकरण होता है, कितना होता है यह तो उपरवाला जाने। मगर देश में इन दिनों हिन्दू धर्मगं्रथों के बारे में अनाप-शनाप बकना फैशन बनता जा रहा है, वजह अनाहक मीडिया फुटेज मिल जाता है। पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अनाप-शनाप बका अब यूपी की बारी है। यूपी के नमूने समाजवादी एमएलसी ने मर्यादा की सारी सीमा लांघते हुए करोड़ों हिन्दुओं के आस्था के ग्रंथ रामचरित मानस को बैन करने की मांग की है। शायद उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा कहकर वे बहुत बड़ा तोप चला देते। दरअसल ऐसे नफरती बयान जनमानस को आहत करते हैं। मगर इन नेताओं को इसकी चिंता से ज्यादा अपने वोट बैंक को साधने की चिंता होती है।
बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के बाद अब यूपी में समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रातचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है। मौर्य ने रविवार को कहा- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
बता दें कि 10 दिन पहले बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने भी धर्मग्रंथ के बारे में विवादित टिप्पणी की थी। तब उन्होंने रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म पुस्तक बताया था।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में मौर्य ने आगे कहा- ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ या गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है। उसको पूजनीय कहा गया है। लेकिन शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या ज्ञानी हो। उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है? अगर, धर्म यही है, तो मैं ऐसे धर्म को नमस्कार करता हूं। जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो।
मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म को बेच रहे हैं। तमाम समाज सुधारकों की कोशिश से देश आज तरक्की के रास्ते है, लेकिन ऐसी सोच वाले बाबा समाज में रूढ़िवादी परम्पराओं और अंधविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री ढोंग फैला रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे लोगों को जेल में डाल देना चाहिए जो भारत के संविधान की भावनाओं को आहत करते हों।
दलितों को पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया था
उन्होंने कहा कि जब सभी बीमारियों की दवा बाबा के पास है, तो सरकार बेकार में मेडिकल कॉलेज, अस्पताल चला रही है। सभी लोग जाकर बाबा के यहां दवा ले लें। तुलसीदास ने जब रामचरितमानस लिखी। तब महिला और दलितों को पढ़ने लिखने का अधिकार नहीं था। इन्हें पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया था। मौर्य ने कहा- हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन कोई भी धर्म किसी भी जाति या वर्ग विशेष के लोगों को अपमानित नहीं करता है।
लेकिन, रामचरितमानस में एक चौपाई का अंश है, जिसमें कहा गया है- जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा। इसमें जिन जातियों का जिक्र है। ये सभी हिंदू धर्म को मानने वाली है। इसमें सभी जातियों को नीच और अधम कहा गया है। धर्म इंसान को जातियों में नहीं बांटता है।