मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
यह किसी फिल्म की कहानी नहीं हकीकत है। एक महिला, जिसे “मृत घोषित” कर उसके पति को जेल भिजवा दिया गया, दरअसल अपने मायके के ही एक पड़ोसी प्रेमी के साथ दिल्ली-एनसीआर के फ्लैट में आराम से रह रही थी। चार महीने तक एक निर्दाेष पति सलाखों के पीछे सड़ता रहा, जबकि उसकी “मरी हुई” पत्नी अपने आशिक के साथ नॉर्मल जिंदगी जी रही थी। केस खुलते ही पुलिस अधिकारी भी हैरानकृआखिर एक झूठी थ्प्त् ने पूरा परिवार कैसे बर्बाद कर दिया।
थानाध्यक्ष प्रत्याशा कुमारी की सतर्कता और वैज्ञानिक जांच के कारण यह सच सामने आया। नहीं तो एक बेगुनाह शायद अपनी पूरी जिंदगी जेल में गुजार देता।
अरेराज नगर पंचायत वार्ड नंबर-10 का रंजीत कुमार जुलाई में अपनी पत्नी के गुम होने की शिकायत लेकर थाने गया। कुछ ही दिनों बाद पत्नी के मायके वालों ने रंजीत, उसकी मां और पिता पर दहेज के लिए हत्या कर शव जला देने का सनसनीखेज आरोप लगाकर केस दर्ज करा दिया। पुलिस ने गंभीरता से जांच की। हरसिद्धि से लेकर मुजफ्फरपुर तक कई श्मशान घाट खंगाले, पर शव का कोई अता-पता नहीं।
फिर भी मायके पक्ष के दबाव में रंजीत को गिरफ्तार कर दिया गया। बेगुनाह रंजीत चार महीने से जेल में तड़पता रहा, घर पर बूढ़े माता-पिता दो वक़्त की रोटी को मोहताज हो गए।
वैज्ञानिक जांच ने तोड़ा झूठ का बड़ा जाल
थानाध्यक्ष प्रत्याशा कुमारी को पूरी कहानी में कुछ गड़बड़ लगी। उन्होंने पारंपरिक जांच छोड़कर इसकी वैज्ञानिक जांच शुरू की। मोबाइल लोकेशन, बैंक ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया एक्टिविटी, तकनीकी इनपुट के आधार पर खोज शुरू की। इसी दौरान उस मृत महिला की लोकेशन दिल्ली-एनसीआर में ट्रेस हो गई।
पुलिस मौके पर पहुंची तो वह अपने पुराने आशिक के साथ एक किराए के फ्लैट में बिल्कुल सुरक्षित और ज़िंदा मिली। दोनों को वहीं से गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में महिला ने कबूल किया कि वह अपने प्रेमी के साथ रहने के लिए घर से निकली थी और परिवार से बचने के लिए “हत्या की फर्जी कहानी” रची थी।























































