सचिन कुमार सिंह/एडिटर
बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे रोमांचक और संवेदनशील सीटों में शामिल ढाका विधानसभा ने इस बार ऐसा राजनीतिक रोमांच देखा, जिसे लोग भूल नहीं पा रहे हैं। पूरी रात चली मतगणना, राउंड-दर-राउंड उतार–चढ़ाव, गहमागहमी, रिकाउंटिंग और अंत में पोस्टल बैलेट की निर्णायक मार—सब मिलकर ढाका को बिहार चुनाव का सबसे चर्चा में रहने वाला मैदान बना गए।
ईवीएम में लगातार बढ़त, पोस्टल बैलेट में उलटफेर
स्थानीय बूथ एजेंटों और चुनाव आयोग के राउंड-वार आंकड़ों के अनुसार, भाजपा उम्मीदवार पवन कुमार जायसवाल ईवीएम की मतगणना के शुरुआती राउंड से ही आगे चल रहे थे।
पहले 15 राउंड में उनकी बढ़त 15 हजार से भी ज्यादा वोटों तक पहुँच गई थी, जिससे जीत लगभग निश्चित मानी जाने लगी थी।
लेकिन 16वें राउंड के बाद खेल बदलना शुरू हुआ।
बढ़त घटती गई और अंतिम राउंड तक पवन जायसवाल की बढ़त केवल 117 वोटों पर सिमट गई।
मतगणना स्थल पर माहौल गर्म हो गया। हल्की गहमागहमी, आरोप-प्रत्यारोप और भ्रम की स्थिति पैदा हुई। देर रात रिकाउंटिंग भी कराई गई, लेकिन उसके बावजूद निर्णायक फर्क पोस्टल बैलेट का ही साबित हुआ।
पोस्टल बैलेट ने तय की बाजी
पोस्टल बैलेट के काउंटिंग में जैसे ही अंतिम आंकड़े सामने आए, पूरा नतीजा पलट गया।
आँकड़े इस प्रकार रहे:
| उम्मीदवार | EVM वोट | पोस्टल बैलेट | कुल वोट | वोट प्रतिशत |
|---|---|---|---|---|
| पवन जायसवाल (BJP) | 1,12,198 | 351 | 1,12,549 | 45.64% |
| फैसल रहमान (RJD) | 1,12,079 | 648 | 1,12,727 | 45.72% |
फैसल रहमान को पोस्टल बैलेट में 297 वोटों की बढ़त मिली, जबकि पवन जायसवाल की EVM वाली 117 वोटों की बढ़त समाप्त हो गई।
अंततः फैसल रहमान 178 वोटों से विजयी घोषित हुए।
ढाका की हार-जीत सोशल मीडिया पर ‘टॉप ट्रेंड’
सीट के नतीजे आते ही सोशल मीडिया पर बहस का दौर शुरू हो गया।
लोग इसे मोतिहारी मेयर चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं।
जातीय समीकरण से लेकर बूथ-वार वोट पैटर्न तक—हर चीज़ पर चर्चा हो रही है।
कुछ समूह इसे “पोस्टल बैलेट का चमत्कार”, तो कुछ इसे “चुनावी अनलकी मोमेंट” कह रहे हैं।
‘मुकद्दर ने दगा दे दिया’ — पवन जायसवाल
हार के बाद पवन जायसवाल ने कहा:
“मैं राजनीतिक व्यक्ति हूँ। हार-जीत राजनीति का हिस्सा है।
जनता का प्रेम और समर्थन मुझे भरपूर मिला।
किंचित कारणों से दुर्भाग्यपूर्ण हार हुई, मगर मैं जनता की सेवा में हमेशा की तरह लगा रहूँगा।”
जायसवाल की हार को उनके समर्थक “अनलकी कैंडिडेट ऑफ द इलेक्शन” भी कह रहे हैं।
ढाका में नोटा का भी खास असर
गौरतलब है कि ढाका के मतदाताओं ने नोटा (NOTA) को भी भारी संख्या में चुना, जो स्थानीय जनता के असंतोष या विकल्पों के प्रति झिझक को भी दर्शाता है।
NOTA-3047
ढाका विधानसभा (Dhaka) का इतिहास और राजनीतिक प्रोफ़ाइल
भौगोलिक और संवैधानिक परिचय
ढाका विधानसभा सीट बिहार के पूर्वी चंपारण (East Champaran) जिले में है।
यह विधानसभा निर्वाचक क्षेत्र संख्या 21 है।
2008 के सीमांकन (Delimitation Order) के बाद, इस सीट में ढाका और घोरसहान (Ghorasahan) समुदाय विकास ब्लॉक्स शामिल किए गए हैं।
यह सीट Sheohar लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
2020 के विधानसभा चुनाव में, ढाका विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदान-पंजीकृत मतदाता लगभग 2,07,922 थे (India TV के अनुसार)।
उसी समय, वहां 916 पोस्टल वोट दर्ज किए गए थे, और 269 “service voters” (सेवा मतदाता) भी थे।
पिछले विधायक और चुनाव नतीजे (मेक्सल पॉइंट्स)
ढाका विधानसभा सीट पर विभिन्न समयों में अलग-अलग पार्टियों और उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। कुछ प्रमुख ऐतिहासिक ट्रेंड:
| वर्ष | विधायक | पार्टी / स्थिति |
|---|---|---|
| 2020 | पवन कुमार जायसवाल | बीजेपी (BJP) — उन्होंने RJD के फैसल रहमान को 10,114 वोटों के मार्जिन से हराया था। |
| 2015 | फैसल रहमान | RJD — इस चुनाव में फैसल रहमान जीते। |
| 2010 | पवन कुमार जायसवाल | स्वतंत्र (Independent) — उन्होंने इस चुनाव में बिना किसी बड़ी पार्टी के चुनाव जीता था। |
| 2005 (Oct / Feb) | अवनीश कुमार सिंह | बीजेपी — सीमांकन के पहले की अवधि में बिहार विधानसभा में बीजेपी का अर्थ हो सकता है कि यह सीट पहले से ही उनकी पकड़ में रही है। |
| 2000 | मनोज कुमार सिंह | RJD — उस समय RJD का यहाँ प्रभाव था। |
| 1995 | अवनीश कुमार सिंह | बीजेपी — 1995 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। |
| 1990 | अवनीश कुमार सिंह | बीजेपी — 1990 में भी इसी नाम का विधायक था। |
| 1985 / 1980 | मोतिउर रहमान | कांग्रेस (INC) — कांग्रेस का प्रभाव भी था। |
| 1977 | Siyaram Thakur | JNP (जनता पार्टी) — आपातकाल के बाद की राजनीति का हिस्सा। |
राजनीतिक विश्लेषण और बदलाव
- दल-परिवर्तन और स्विंग सीट: ढाका ऐसी सीट रही है जहाँ पार्टी व उम्मीदवार दोनों बदलते रहे हैं — बीजेपी, RJD और यहाँ तक कि स्वतंत्र उम्मीदवार भी जीत चुके हैं। यह दर्शाता है कि यहाँ मतदाता पारंपरिक पार्टी निष्ठा से अधिक उम्मीदवार-केंद्रित या स्थानीय मुद्दों-केंद्रित मतदान करते हैं।
- सेवा मतदाता और पोस्टल वोट: हालांकि पोस्टल वोटों की संख्या सीमित रही है (2020 में 916 पोस्टल वोट), लेकिन यह दिखाता है कि चुनाव आयोग ने इस क्षेत्र में “service voters” की भी हिस्सेदारी दर्ज की है।
- लोकसभा संबंध: यह विधानसभा सीट शेओहर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिससे यहाँ का राजनीतिक जनाधार लोक सभा स्तर पर भी महत्वपूर्ण बनता है।




















































