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बेकार साबित हो रही अनु जाति जनजाति कल्याण के लिए गठित एकमात्र जिला स्तरीय कमिटी, अध्यक्ष ने लगाया आरोप

मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
अनु जाति जनजाति के कल्याण के लिए गठित एकमात्र जिला स्तरीय कमिटी दम तोड़ रही है। उक्त कमिटी अनु जाति जनजाति के साथ हो रहे छुआछूत भेदभाव उनके विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन्हे मिल सके। अनु जाति जनजाति के कल्याण के लिए बनाई गई कमिटी में तीनों सांसद, 12 विधायक सभी विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी, 5 अनुजाति के गैर सरकारी सदस्य है लेकिन बैठक में कोई भी माननीय सासंद, विधायक, विधान परिषद सदस्य भाग नहीं लेते।
कमिटी की बैठक हर तीन माह पर होनी है उक्त बाते राजू बैठा, मुखिया गोढवा सह अध्यक्ष, राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार बिहार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया। जिले में बहुत सारी कमिटियां हैं जिसके बैठक में सभी माननीय बड़ी चाव से भाग लेते ह,ैं लेकिन एकमात्र कमिटी एससी एसटी मॉनिटरिंग कमिटी के बैठक से हमेशा गायब रहते हैं। इस कारण जिला के बहुत सारे अधिकारी भी बैठक में नहीं आते हैं, जिससे अनु जाति जनजाति का कल्याण नहीं हो पाता है। आखिर इस कमिटी का क्या मतलब है जब शासन प्रशासन के लोग बैठक में नहीं आए और अनु जाति के कल्याण के लिए अग्रसर नहीं रहे। बैठक कर कोरम पूरा कर लिया जाता है, जो अनु जाति जनजाति के साथ अन्याय एवं भेदभाव है। मुख्यमंत्री का सख्त आदेश है कि अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों पर नियमानुसार कारवाई हो, लेकिन जिला प्रशासन उनके विरुद्ध कारवाई के लिए अनुशंसा भी नहीं करता है। क्या माननीय नहीं चाहते हैं कि दलितों का सर्वांगीण विकास हो वो समाज के मुख्यधारा से जुड़े। उन्होंने मुख्यमंत्री, जिला प्रभारी मंत्री से आग्रह किया कि मामले में संज्ञान लेने की कृपा करें, ताकि इस कमिटी जिस उद्देश्य से बनाई गई है उसकी पूर्ति हो। खानापूर्ति रुक सके।

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