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श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के जुझारू नेता कार सेवक अवनीश कुमार सिंह को अयोध्या से निमंत्रण नहीं मिलने पर जनता में मायूसी

मोतिहारी। अशोक वर्मा
कई दशक पूर्व चंपारण में भाजपा का एक भी विधायक नहीं था तथा भाजपा का संगठन जिले मंे काफी कमजोर था । श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में बहुत गिने-चुने लोग हीं भाग लेते थे , वैसे दौर में ढाका के अवनीश कुमार सिंह श्रीराम के हनुमान बन ढाका मे लगातार श्रीराम अदालत एवं बजरंग अदालत लगाकर न सिर्फ ढाका क्षेत्र में हिंदुओं को जगाया, बल्कि संपूर्ण पूर्वी चंपारण जिले में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिये संघर्ष एवं भाजपा के प्रति लोगों में रुझान पैदा किया । वह दौर था जब ढाका में रामनवमी के मौके पर प्रति वर्ष तनाव होता था तथा हिंसक वारदात होने की संभावना बनी रहती थी। उस दौर में अवनीश कुमार सिंह माथे पर केसरिया मुरेठा बांध भीड को चीर जुलूस का नेतृत्व करते थे। उनके समर्थन में ढाका के अन्य दलों के लोग भी टूट कर इनका दामन थामा था। 90 के दशक में अवनीश कुमार सिंह जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बन रहे मदरसो पर भी विहार और केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था । ढाका और चिरैया विधानसभा क्षेत्र में अपनी विशेष सेवा कार्य के बदौलत पांच टर्न विधायक भी बने। बिहार मे भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पंडित कैलाशपति मिश्र के काफी करीबी रहे अवनीश कुमार सिंह ढाका मे चले श्रीराम मंदिर आंदोलन में देश के बड़े-बड़े नेताओं को बुलाया,उनमे गोविंदाचार्य, राजनाथ सिंह,कल्याण सिंह,उमा भारती,शत्रुघन सिंहा, शुषमा स्वराज एवं कैलाशपति मिश्र आदि है। उन लोगों ने ढाका की महती जनसभा को संबोधित किया था। अवनीश कुमार सिंह के पक्ष में वहां आंधी बह रही थी । राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता के रुप मे इन्होंने जिले के नवयुवकों को गोलबंद किया था।
अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मंदिर निर्माण और 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के जिस दुर्लभ क्षण को देश देख रहा है,उस अनमोल क्षण को लाने में अवनीश कुमार सरीखे राम भक्तों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी तब जाकर आज राम जन्मभूमि आजाद हुआ तथा 500 वर्ष के वनवास के बाद श्रीराम जी उस मंदिर में पुणः स्थापित हो रहे हैं। इस क्षण के लिए अवनीश कुमार सिंह ने अपनी जवानी के कीमती समय को संघर्ष मैं लगाया था और जेल की यातनाएं सही थी।
अयोध्या श्री राम मंदिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कार सेवक एवं पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह को निमंत्रण न मिलने से क्षेत्र की जनता काफी मायूस है, वैसे कार सेवक अवनीश कुमार सिंह मंदिर निर्माण से काफी प्रसन्न है। उन्होंने बताया कि पहले देश की जो स्थिति थी उसमें हम लोग मायूस थे कि पता नहीं अपने जीवन में राम मंदिर के निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा के दृश्य को देख पाएंगे कि नहीं, लेकिन हम अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं कि मेरे जीवन काल मे मंदिर बन गया।भले ही हम वहां नहीं पहुंच रहे हैं लेकिन मेरे दिल में राम बसे हुए हैं और मुझे काफी खुशी है कि मेरे जीवन काल में राम मंदिर निर्माण संपन्न हुआ और प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपादित होने जा रहा है। पूरा देश आज खुश है कि श्रीराम लंबे समय के बाद अपने घर वापस आ रहे हैं। मुझे ज्यादा खुशी इसलिए है कि मैं भी लंबे समय तक श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अपनी भागीदारी दी है,जेल भी गया। 1990 मे श्री राम मंदिर पर ध्वजारोहण के लिए कार सेवकों की टोली का नेतृत्व मैंने किया था।उस दौर मे मुझसे जो भी संभव हुआ तन मन धन से श्रीराम के चरणों में अर्पित किया ।

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