Home न्यूज धूमधाम से मना कलमकारों के देवता भगवान चित्रगुप्त का पूजनोत्सव

धूमधाम से मना कलमकारों के देवता भगवान चित्रगुप्त का पूजनोत्सव

मोतिहारी। अशोक वर्मा
कलम कारों के देवता श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा कायस्थ जाति के लोग बड़े ही श्रद्धा एवं आत्मिक भाव से करते हैं। श्री चित्रगुप्त की मान्य व्रत कथा मे बताया गया है कि श्री चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रह्मा के काया से हुई है। पूजा के अध्यात्मिक रहस्य के बारे मे बताया गया है कि जब परमपिता परमात्मा शिव बाबा ने ब्रह्मा की रचना नई दुनिया के विस्तार एवं सुचारू रूप से चलाने हेतु की तो इस कार्य को ब्रह्मा बाबा ने अपना धर्म समझा और इस कार्य को उन्होंने आगे बढ़ाया। दुनिया को आगे बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से शिक्षा और ज्ञान ही आधार होता है, इसलिए ब्रह्मा बाबा ने श्री चित्रगुप्त के हाथों में कलम और दावात देकर के ज्ञान के प्रचार और प्रसार के लिए उनको जिम्मेवारी दी।उन्होंने श्री चित्रगुप्त को कहा कि नई दुनिया के लोगों मे शिक्षा और ज्ञान का संचार आपको करना है । भक्ति मार्ग में स्थापित मान्यता के अनुसार ब्रह्मा के अलग- अलग कर्मेंद्रियों से अलग- अलग कार्य अर्थ शक्ति का अवतरण हुआ जिसमें भुजा से क्षत्रिय शक्ति और चिकित्सा के लिए धनवंतरी एवं अन्य कार्यो के लिए अलग अलग देवी- देवताओं को ब्रह्मा बाबा ने उत्पत्ति की। उसी क्रम में चित्रगुप्त की भी उत्पत्ति उनकी काया से हुई। श्री चित्रगुप्त भगवान ने जब ब्रह्मा बाबा से अपना नाम तथा कार्य के बारे में पूछा कि मैं आप ही के शरीर से उत्पन्न हुआ हूं,इसलिए आप बतावें । यह वाक्य सुनकर ब्रह्मा जी हंसकर और प्रसन्न मन से बोले कि मेरे शरीर से तुम उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हारी कायस्थ की संज्ञा है और पृथ्वी पर चित्रगुप्त नाम से विख्यात होगे। धर्मराज पुरी में धर्म विचार के लिए तुम्हारा निवास होगा । जो धर्म है उसका विधि पूर्वक पालन करो और संतान उत्पन्न कर दुनिया का विस्तार करना है। इस प्रकार ब्रह्मा बाबा उत्तर देकर अंतर्ध्यान हो गए ।श्रीचित्रगुप्त के वंशजों में गौड, माथुर, भटनागर, सेनक ,अहिगन, श्रीवास्तव , अम बस्ट तथा करण है । चित्रगुप्त से उत्पन्न अंबाष्ठादिक सभी शास्त्रों में निपुण उत्पन्न हुए ।तब चित्रगुप्त ने पुत्रों को पृथ्वी पर भेजा और श्री चित्रगुप्त ने धर्म साधन की शिक्षा दी और कहा कि तुम्हें देवताओं का पूजन, पितरों का श्राद्ध- तर्पण आदि करनी होगी ।तीनों लोको के हित के लिए यज्ञ करना है और धर्म की कामना करके महेश से मर्दिनी देवी का पूजन अवश्य करने की बातें बताई गई है ।अपने पुत्रों को आज्ञा देकर चित्रगुप्त जी स्वर्ग लोग को चले गए ।स्वर्ग जाकर चित्रगुप्त जी धर्मराज के अधिकार मे स्थित हुए। इस प्रकार चित्रगुप्त की उत्पत्ति हुई ।चित्रगुप्त की पूजन विधि पर बताया गया है कि नावेद ,ऋतु, फल ,चंदन ,पुष्प ,धूप ,दीप तथा अनेक प्रकार के नावेद रेशमी और विचित्र वस्त्र से पूजन कर शंख ,मृदंग ,डमरू और अनेक बाजे बजाकर श्री चित्रगुप्त का भक्ति योग से पूजन करें तो इसका प्रतिफल अति सुखदाई होगा और ज्ञान में अप्रत्याशित वृद्धि होगी ।उन्होंने बताया कि पूजन का मंत्र है दावात- कलम और हाथ में खली लेकर पृथ्वी पर घूमने वाले ।श्री चित्रगुप्त के बारे में बताया गया है कि आप लेखकों को अक्षर एवं विचार प्रदान करते हैं और कष्टों को हरते हैं।

नगर के ठाकुरबारी मोहल्ले में स्थापित 125 वर्ष पुराने चित्रगुप्त मंदिर में इस वर्ष 16 नवंबर को भव्य सामूहिक पूजन किया गया। काफी संख्या में चित्रांश परिवार के बड़े बुजुर्ग छोटे बच्चे कलम दवात लेकर पंक्तिवद्ध होकर पूजा मंडप के सामने बैठे और अपने इष्ट देव की पूजा बड़े हीं आत्मिक भक्ति भाव से की ।उक्त अवसर पर चित्रगुप्त पूजा के महत्व पर प्रकाश डाला गया। बताया गया कि कायस्थों की एक संस्कृति है वह है सेवा और भक्ति की संस्कृति। वर्तमान समय में आज समाज को इसकी ज्यादा जरूरतहै। इसके अलावा चंदवारी मोहल्ले में भी पूजन किया गया एकौना में नवनिर्मित मंदिर में उत्सव का नजारा था। कार्यक्रम पतौरा लाला टोला एवं अन्य कई स्थानों पर सामूहिक पूजनो त्सव हुआ। चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर अपने संदेश में कायसथो के राष्ट्रीय नेता तथा झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद वर्मा ,जिले के जाने-माने सर्जन डॉक्टर आशुतोष शरण, डॉ अजय वर्मा ,डॉ अतुल कुमार, डॉक्टर हिना चंद्रा ,वरिष्ठ अधिवक्ता धनंजय किशोर सिन्हा, राजीव शंकर वर्मा , हरिहर प्रसाद, अखिलेश शरण, संगीता चित्रांश, अनिल कुमार वर्मा, अभय आनंद, अधिवक्ता मिथिलेश सिन्हा ने कहा कि श्री चित्रगुप्त के वंशज कायस्थ आज भी अपने कलम से जीवीकोपार्जन कर रहे हैं ।और वे न सिर्फ अपने परिवार को चला रहे हैं बल्कि विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं ।सृष्टि के आदि में जिस तरह से ब्रह्म बाबा ने श्री चित्रगुप्त के कंधे पर दुनिया के लोगों को ज्ञान और विद्या बांटने की जिम्मेवारी दी ,उस कार्य को आज भी चित्रगुप्त परिवार के लोग बड़े हीं ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। वर्तमान दौर में जहां समाज के लोग अलग-अलग खेमो मे बंटते जा रहे हैं।

अगडा पिछडा संकीर्ण दायरे में सिमटते जा रहे हैं, वैसे दौर में एक कायस्थ ही ऐसी जाती है जो समाज के सभी लोगों को एक साथ बांधकर चल रहा है।इस विशेष गुण के कारण हीं इस जाति से अधिक से अधिक लड़के लड़कियां देश के सबसे बड़े प्रतियोगिता कम्पलीट कर रहे हैं। देश प्रदेश मे बैठी सरकार के पालिसी मेकर के कार्य के साथ उसका क्रियान्वयन भी करने मे कायस्थ जाति के आईएएस आईपीएस आज लगे हुए हैं। इस जाति के लोगों को सरकार मे सलाहकार के रूप में सत्ता में बैठे लोग रखना भी चाहते हैं। इनके अंदर जो कार्य करने की अलौकिक क्षमता है उसी क्षमता की बदौलत देश दुनिया मे ये आगे बढ़ रहे है । ये तमाम शक्तियां चित्रांशो को अपने इष्ट देव श्री चित्रगुप्त देवता से ही मिलते हैं इसलिए आज के दिन कलम कारों के देवता चित्रगुप्त से हम जो चाहे ,जितनी शक्ति चाहे ले सकते हैं।

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