फीचर डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
दोस्तों, सफलता किसे अच्छी नहीं लगती। हर कोई सफल होना चाहता है, मगर यह कड़वी सच्चाई है कि सभी सफल नहीं हो पाते। दरअसल जीवन में सफलता लगातार संघर्ष के बाद ही मिलती है। संघर्ष के दौर में जो बातें निराशाजनक होती हैं, सफलता मिलने के बाद वही सब अच्छा लगने लगता है। उस की यादें सुखद हो जाती हैं। विज्ञान के क्षेत्र में भी देखें तो पता चलता है कि कितनी बार असफल होने के बाद प्रयोग सफल होते हैं। आविष्कारक कई कई बार असफल होने के बाद अपने प्रयोग में सफल हुए हैं। भाप का इंजन, बिजली का बल्ब, टैलीफोन जैसे बहुत से ऐसे आविष्कार हैं जो धीर धीरे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए। आविष्कार पहली बार कम ही सफल होते हैं।
इस दुनिया में कुछ भी पाना है तो आपको थोड़ा तो जिद्दी बनना पड़ेगा। यह कहानी भी ऐसे ही एक जिद्दी लड़के की है, जिसका नाम था विराट। विराट पिछले कई साल से अपने शहर में होने वाली मैराथन में हिस्सा लेता था, लेकिन कभी रेस पूरी नहीं कर पाता था। इस बार वह बहुत उत्साहित था, क्योंकि वह पिछले कई महीनों से रोज इस रेस की तैयारी कर रहा था। उसे अपने आप पूरा पर भरोसा था कि वह इस साल की मैराथन रेस जरूर पूरी कर लेगा। देखते ही देखते मैराथन का वो दिन भी आ गया और सभी लोग एक जगह एकत्रित हुए और जैसे ही रेस शुरू हुई बाकी लड़को की तरह विराट ने भी दौड़ना शुरू किया।
वह जोश और हिम्मत से भरा हुआ था, और बड़े अच्छे ढंग से दौड़ रहा था। लेकिन आधी रेस पूरी करने के बाद विराट बिलकुल थक गया और उसके मन में आया कि बस अब वहीं बैठ जाए। वह ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसने खुद को कहा। रुको मत विराट! आगे बढ़ते रहो, अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो कम से कम जॉगिंग करते हुए तो आगे बढ़ सकते हो। तो बस आगे बढ़ो।
और विराट अब पहले की अपेक्षा धीमी गति से आगे बढ़ने लगा। कुछ किलोमीटर इसी तरह दौड़ने के बाद विराट को लगा कि उसके पैर अब और आगे नहीं बढ़ सकते, वह लड़खड़ाने लगा, विराट के अन्दर विचार आया, अब बस और नहीं बढ़ सकता! लेकिन एक बार फिर विराट ने खुद को समझाया!! रुको मत विराट। अगर तुम जॉगिंग नहीं कर सकते तो क्या, कम से कम चल तो सकते हो तो बस चलते रहो। विराट अब जॉगिंग करने की बजाय धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा।
कई सारे लड़के विराट से आगे निकल चुके थे। चलते-चलते विराट को फिनिशिंग पॉइंट दिखने लगा, लेकिन तभी वह अचानक से लड़खड़ा कर गिर पड़ा। उसके दायें पैर की नसें खिंच गई थीं। जमीन पर पड़े-पड़े विराट के मन में खयाल आया, की अब मैं आगे नहीं बढ़ सकता, लेकिन अगले पल ही वो जोर से चिल्लाया। आज चाहे कुछ भी हो जाए, मैं ये रेस पूरी करके रहूँगा। ये मेरी जिद है माना मैं चल नहीं सकता लेकिन लड़खड़ाते ही सही लेकिन इस रेस को पूरी जरूर करूंगा।
विराट ने साहस दिखाया और एक बार फिर दर्द सहते हुए आगे बढ़ने लगा, और इस बार वह तब तक बढ़ता रहा जब तक उसने फिनिशिंग लाइन पार नहीं कर ली। और फिनिशिंग लाइन पार करते ही वह जमीन पर लेट गया उसके आंखों से आंसू निकलने लगे। विराट ने रेस पूरी कर ली थी, उसके चेहरे पर इतनी खुशी और मन में इतनी संतुष्टि कभी नहीं आई थी आज विराट ने अपनी जिद के कारण न सिर्फ एक रेस पूरी की थी बल्कि जिंदगी की बाकी रेसों के लिए भी खुद को तैयार कर लिया था।
– चलते रहने की जिद हमें किसी भी मंजिल तक पहुंचा सकती है। मुश्किलों के आने पर हार मत मानिए।
– ना चाहते हुए भी कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि आप बहुत कुछ नहीं कर सकते, पर ऐसे हालात को कुछ भी ना करने का बहाने मत बनाइए।
– आविष्कार करने वाला कभी हार नहीं मानता। लगातार प्रयास करने के बाद ही सफलता हासिल होती है। वैज्ञानिकों की जीवनी पढ़ने से पता चलता है कि यदि वे पहली बार मिली असफलता से घबरा कर हिम्मत हार गए होते तो आज इतनी सारी चीजें नहीं मिलतीं। जरूरत इस बात की है कि हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें तभी सफलता निश्चित होगी।