
मोतिहारी। अशोक वर्मा
हाल ही में बिहार के कई जिलों को नगर परिषद से कारपोरेशन में बदलने की बिहार सरकार की घोषणा के आलोक में जहां काफी लोग खुश नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस के दुष्परिणाम की ओर भी लोगों का ध्यान गया है। खेती पर आश्रित लोगों ने इसका विरोध भी करना शुरू कर दिया है। इसी सिलसिले में पतौरा पंचायत के बसवरिया गांव के लोगों ने एक आवश्यक बैठक बुलाई ।
शर्मा देवी मुखिया की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में काफी लोगों ने भाग लिया। गांव के एक संभ्रांत किसान तथा कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे गए लल्लन शुक्ला के प्रयास से बैठक बुलाई गई और बैठक में एक स्वर से लोगों ने कारपोरेशन में बसवरिया पंचायत को शामिल होने से इनकार किया। ग्रामीणों का तर्क था कि 2,000 से अधिक परिवार यहां कृषि पर ही आधारित है और उनका मुख्य कार्य खेती ही है । कारपोरेशन में शामिल होने के बाद अनावश्यक टैक्स भी उन पर लग जाएगा तथा खेती भी प्रभावित होगी। ग्रामीणों ने कहा कि हाल ही में बाढ़ से प्रभावित लोगों को बिहार सरकार द्वारा ₹6000 दिया गया और बसवरिया के काफी किसानों को भी सरकार ने मुआवजा के तौर पर राशि भेजी। ऐसी स्थिति में इस गांव को अगर नगर निगम में शामिल किया जाता है तो पहले से ही मरणासन्न स्थिति में आ चुके किसान आत्महत्या करने पर विवश होंगे ।इस बावत किसानों ने जिला पदाधिकारी से आग्रह किया कि अभिलंब बसवरिया पंचायत को नगर निगम क्षेत्र से बाहर किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम लोग पटना उच्च न्यायालय में भी जाएंगे और न्याय लेंगे।