
दिल्ली डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
अब तक तो पत्नी के पति से गुजारा भत्ता मांगने का मामला सामने आता रहा है, मगर यहां एक पति ने पत्नी से गुजारा पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एक अनोखे मामले में तलाक की लंबित कार्यवाही के बीच पति ने पत्नी से गुजारा भत्ता पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पति का दावा है कि पिछले कई सालों से पत्नी द्वारा दर्ज मुकदमों को झेलते-झेलते उसकी माली हालत ऐसी हो गई है कि उसके पास नौकरी कर रही पत्नी से गुजारा भत्ता पाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है।
पति का कहना है कि पत्नी ने उसके खिलाफ इतने दीवानी और आपराधिक मुकदमे दायर किए हैं कि न तो कोई कंपनी उसे नौकरी दे रही है और न ही उसे कारोबार करने के लिए किसी बैंक से लोन मिल पा रहा है। वह अपना और अपने बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल कर पाने में असमर्थ है। उसका कहना है कि वह दोस्तों आदि से उधार लेकर किसी तरह से गुजर बसर कर रहा है। आजीविका चलाने के लिए कोई विकल्प न मिल पाने के कारण अब पति विमल (परिवर्तित नाम) ने दिल्ली की एक अदालत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा-24 और परिवार न्यायालय अधिनियम की धारा-10 के आवेदन दाखिल कर पत्नी से गुजारा भत्ता दिलवाने का आग्रह किया है।
अपने आवेदन ने उसने कहा है कि उसकी पत्नी एमबीए है और अच्छी नौकरी कर रही है। उसकी इन-हैंड सैलरी 62 हजार रुपये है। उसने दावा किया है कि पत्नी ने ससुराल में ही रहकर एमबीए की पढ़ाई की है। उसने कहा कि पत्नी ने उस पर घरेलू हिंसा, अप्राकृतिक यौन संबंध के अलावा कई झूठे दीवानी व आपराधिक मुकदमे दर्ज कर रखे हैं। पति के घरवालों की ओर से भी ससुरालियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।
उसने कहा है कि इतने मुकदमों के लिए एक अदालत से दूसरी अदालत भागते भागते उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई है कि वह मुकदमा लड़ने तक की स्थिति में नहीं है। उसने अदालत से गुहार लगाई है कि पत्नी को निर्देश दिया जाए कि वह उसे अंतरिम गुजारा भत्ते के तौर पर हर महीने 25 हजार रुपये दे। साथ ही उसने यह भी कहा है कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी करना चाहता है। दो वर्ष प्रयास करने के बावजूद वह प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हुआ। वह प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग करना चाहता है। इसे लेकर भी वह चाहता है कि पत्नी उसकी आर्थिक मदद करे। पति का यह भी आरोप है कि पत्नी उसे बच्चे से भी मिलने नहीं देती है।
हालांकि पत्नी द्वारा अदालत को दिए जवाब में कहा गया है कि पति के आवेदन पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। वह अपने कारोबार से एक लाख रुपये से अधिक कमाता है लेकिन वह कम आयकर रिटर्न दाखिल करता है। उसने पति के तमाम दावों को झूठा करार दिया है। अदालत अगले महीने इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा।