Home न्यूज परम्परागत बादाम की खेती हो गया विलुप्त, संसाधन के अभाव में सैकड़ों...

परम्परागत बादाम की खेती हो गया विलुप्त, संसाधन के अभाव में सैकड़ों किसान छोड़ चुके हैं खेती

Neelkanth

पीपराकोठी। राजेश कुमार सिंह
एक ओर जहां सरकार हाईटेक कृषि की तकनीक किसानों के खेतों तक पहुंचाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर प्रखंड के एक सीमित क्षेत्र में की जाने वाली परंपरागत बादाम की खेती विलुप्त हो गयी है। कभी मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेलखंड के प्रत्येक बोगी में लोग इस क्षेत्र के स्वादिष्ट बादाम का स्वाद चखा करते हैं। वहीं बादाम आज बाहर से व्यापारियों को मंगाना पड़ता है। संसाधन व उन्नत बीज के अभाव में सूर्यपुर पंचायत के सैकड़ों बादाम के किसानों ने परंपरागत बादाम की खेती छोड़ चुके हैं। कभी किसानों के आजीविका का बादाम प्रमुख फसल था। किसानी संकट में आते देख किसानों ने सब्जी व केले की खेती अपनाया। और आज अपना व बच्चों का सुनहरा भविष्य सब्जी व केले की खेती में ढूंढ रहे हैं।

पंद्रह वर्ष पूर्व बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में बादाम की खेती होती थी। यहां के उपजे बादाम की खुशबू से मुजफ्फरपुर से गोरखपुर तक का क्षेत्र गुलजार होता था। परंतु एक ही व पुराने बीज बार-बार उगाने से उत्पादन प्रभावित हुआ। करीब 150 किसान बड़े पैमाने पर बादाम उपजाते थे। वहीं संसाधन व उन्नत बीज की किल्लत में किसानों की खेती अवसान की जाते हुए आज बिल्कुल विलुप्त हो गई है। किसानों ने बताया कि पूर्व में 50 किलो प्रति कट्ठा उत्पादन होता था। जो जीवन निर्वाह के लिए मुख्य उपज था।

परंतु संसाधन व उन्नत प्रभेद के अभाव में उपज घट कर 15-20 किलो तक पहुंच गया। खेती में लगा व्यय भी निकालना असम्भव प्रतीत होने लगा। किसान संतोष शर्मा, जयमाला व्यापारी, हरमोहन दास, हरनाथ दास, राजमोहन दास, रखाल दास, नेपाल चंद्र दास आदि ने बताया कि यदि सरकार की ओर से संसाधन व प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाए तो क्षेत्र बादाम की खुशबू से पुनः गुलजार हो सकता

Previous articleकुदरत संवारेगा किसानों की किस्मत, गेहूं की नई किस्म से होगा 30 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन
Next articleवाहनों से बूथों तक जाएंगे 735 वोटर्स, पीडब्ल्यूडी के 345 व 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं 387 मतदाता