
पीपराकोठी। राजेश कुमार सिंह
अपनी खुशबू के लिए विख्यात पुष्प रजनीगन्धा की भीनी-भीनी खुशबू से अब चम्पारण की फिजां भी गुलजार होगी। सुगन्धित फूलों वाला यह पौधा पूरे भारत में पाया जाता है। रजनीगंधा का पुष्प कुप्पी के आकार का और सफेद रंग का लगभग 25 मिलीमीटर लम्बा तथा सुगन्धित होते हैं।रजनीगन्धा के फूल को कहीं-कहीं अनजानी तथा सुगंधराज नाम से भी जाना जाता है। रजनीगंधा का फूल अपनी मनमोहक भीनी-भीनी सुगन्ध, अधिक समय तक ताजा रहने तथा दूर तक परिवहन क्षमता के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कृषि विज्ञान केंद्र ने इसका बिचड़ा उपलब्ध कराया है।
यह बहुउपयोगी पुष्प है। जिस कारण व्यावसायिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है। फूल सफेद व सुगन्धित होते हैं जो कि सभी के मन को मुग्ध कर लेते हैं। रजनीगंधा के डंठलयुक्त पुष्प गुलदस्ता बनाने तथा मेज व भीतरी पुष्प सज्जा के लिए मुख्य रूप से प्रयोग किये जाते हैं। इसके अलावा बिना डंठल का पुष्प को माला, गजरा, लरी एवं वेनी बनाने तथा सुगंधित तेल तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके फूल तथा फूल से बने सुगंधित तेल की बहुत अधिक मांग है।
पत्तियाँ पतली, लम्बी तथा भूमि की तरु झुकी हुई धनुषाकार आकृति की होती हैं। स्पाइक 90-100 सेमी लम्बी होती है। प्रत्येक स्पाइक में 12-20 जोड़े तक फूल रहते हैं। रजनीगंधा की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए भूमि का चुनाव करते समय दो बातों पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। पहला खेत छायादार जगह में न हो अर्थात सूर्य का पूर्ण प्रकाश मिलता हो, दूसरा जल निकास का उचित प्रबन्ध हो। यद्यपि इसे लगभग हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है परन्तु बलुआर दोमट, दोमट या मटियार दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।