
पीपराकोठी। राजेश कुमार सिंह
वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया गेहूं की नई किस्म कुदरत-9 किसानों की किस्मत संवारने में मदद करेगा। इसे सरकार द्वारा मान्यता मिल गई है। जिससे किसानों में काफी हर्ष है। गेहूं के इस किस्म की खास बात यह है कि इसके पौधे की लंबाई 85 सेमी होती है। वही यह 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में इसका पौधा छोटा होता है। जिसके कारण तेज हवाओं में भी यह नहीं गिरेगा। केविके प्रमुख डॉ. अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि गेहूं के इस किस्म को बाराणसी के कुदरत कृषि शोध संस्थान ने विकसित किया है। वहीं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में इसका ट्रायल हुआ। सकारात्मक परिणाम होने के कारण इसे भारत सरकार की ओर से रजिस्टर्ड भी कर दिया गया है। इसे भारत सरकार ने रघुवंशी नाम दिया है। बताया कि किसानों के डिमांड पर इसे उपलब्ध कराया जाएगा।
गेहूं का यह किस्म बौनी किस्म का है। इस किस्म की लम्बाई लगभग 80 सेंटीमीटर और इसकी बाल की लम्बाई लगभग 20 सेंटीमीटर है।यह 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ निकलती है। इसका दाना मोटा और चमकदार होता है।इसकी पैदावार और गुणवत्ता को देखते हुए इसकी मांग बढ़ी है। गेहूं की यह किस्म ओलावृष्टि जैसी समस्याओं को आसानी से झेल सकती है।
बुवाई का समयरू किसानों को गेहूं की इस किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 25 दिसंबर तक कर होगी।इस किस्म की बीज बुवाई में 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज लगेगा। इस किस्म की बुवाई सभी प्रकार की मिट्टी की जा सकती है।