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दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राज्यसभा के विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश, जानिए क्या है मामला

Neelkanth

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राज्यसभा के विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव 17 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा में दिए गए केजरीवाल के उस बयान के मद्देनजर लाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि तीनों कृषि बिल सितंबर में राज्यसभा में मतदान के बिना पास कर दिए गए थे। सूत्रों ने बताया कि बुधवार को पेश किए गए इस प्रस्ताव को चेयरपर्सन द्वारा देखा जाएगा और आगे की कार्रवाई के लिए दिल्ली विधानसभा को भेजा जाएगा।

 

सितंबर में राज्यसभा ने द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 बिल को ध्वनि मत से पास किया था। एक बिल के बीच सदन की कार्यवाही बाधित भी हुई थी क्योंकि विपक्षी दलों ने तीनों बिलों का विरोध किया था। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन व्यक्त करते हुए अरविंद केजरीवाल ने 17 दिसंबर को विधानसभा के फ्लोर पर कृषि कानूनों की प्रतियों को फाड़ते हुए कहा था, महामारी के दौरान संसद में कृषि कानूनों को पारित करने की क्या जल्दी थी? यह शायद पहली बार हुआ है कि राज्यसभा में मतदान के बिना तीन कानून पारित किए गए।

सोनल मानसिंह जो राज्यसभा की एक मनोनीत सदस्य हैं, उन्होंने राज्यसभा के चेयरपर्सन को लिखे अपने पत्र में कहा, श्श्दिल्ली के मुख्यमंत्री के बयान में कहा गया है कि तीनों बिल बिना मतदान के पारित हो गए थेष् यह न केवल विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि सदन की अवमानना ​​भी है, जो राज्यसभा अध्यक्ष और भारतीय संसद के ऊपरी सदन की प्रतिष्ठा को बदनाम करने का एक शरारती प्रयास था। उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल द्वारा यह भाषण 17 दिसंबर को दिया गया था, जिसमें उन्होंने राज्यसभा के समग्र कामकाज पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए अध्यक्ष के खिलाफ अनुचित और निराधार आरोप लगाए।

संसदीय प्रक्रिया के बारे में जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने बताया कि संसद का सदस्य दिल्ली के सीएम के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रख सकता है। उन्होंने कहा कि 1955 में एक स्पीकर्स सम्मेलन के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि दूसरे सदन के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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