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पीएम मोदी ने चौथी बार किया यूएन को संबोधित, आतंकवाद को लेकर पाक को दी नसीहत, संबोधन की खास बातें

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस दौरान उन्होंने सबसे पहले कोरोना से लड़ाई का जिक्र किया। साथ ही ग्लोबल पार्टनरशिप के महत्व पर भी जोर दिया। इसके अलावा अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए आतंकवाद के प्रति दुनिया को चेताया। उन्होंने इशारों.इशारों में पाकिस्तान को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि रिग्रेसिव थिंकिंग के साथ जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैंए उन्हें समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। हमें सतर्क रहना होगा कि वहां की स्थितियों का फायदा कोई अपने लिए इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस समय अफगानिस्तान की जनताए वहां की महिलाओंए बच्चों और मॉइनॉरिटीज को हमारी मदद की जरूरत है और हमें अपना दायित्व निभाना होगा।

कहा कि दुनिया पिछले डेढ़ साल से 100 वर्षों के इतिहास में सबसे खतरनाक महामारी कोरोना वायरस का सामना कर रही है। जिन लोगों ने इस महामारी में अपनी जान गंवाई है मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं ऐसे देश से हूं जो लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र की ताकत है कि चायवाला यहां पीएम के तौर पर आया है। ऐसा पीएम आज चौथी बार यूएनजीए को संबोधित कर रहा है। भारत विकास करता है तो दुनिया आगे बढ़ती है। आज भारत में रोजाना 300 करोड़ से अधिक लेनदेन हो रहे हैं।
सेवा परमो धर्म…आज भारत वैक्सीन निर्माण में जी-जान से जुटा है। मैं जानकारी देना चाहता हूं कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनई वैक्सीन विकसित कर ली है। इसे 12 साल से उम्र से अधिक लोगों को लगाया जा सकता है। हम नेसल वैक्सीन निर्माण में भी जुटे हैं। भारत ने जरूरतमंदों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है। आज, मैं दुनिया के सभी वैक्सीन निर्माताओं को भारत में वैक्सीन निर्माण के लिए आमंत्रित करता हूं।
कोरोना महामारी ने विश्व को ये भी सबक दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को और विवधतापूर्ण किया जाए। हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी बात से प्रभावित है। भारत एक भरोसेमंद पार्टनर बन रहा है। भारत इकोलॉजी और इकोनॉमी दोनों में बेहतर कार्य कर रहा है।
जो आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, ये उनके लिए भी खतरा है। अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। अफगानिस्तान में हिंदुओं, सिखों की सुरक्षा जरूरी।हमें सतर्क रहना होगा कि वहां के हालातों का कोई देश अपने हितों के लिए इस्तेमाल न करे। वहां की महिलाओं, बच्चों को हमारी मदद की जरूरत है। हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।

संयुक्त राष्ट्र को और प्रभावी होना होगा। दुनिया के कई हिस्सों में प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद का राजनीतिक हथियारों के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। दुनिया में चरमपंथ, आतंकवाद का खतरा बढ़ा है।
हमारे समुद्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की लाइफलाइन हैं। समुद्री सीमा का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। हमें सीमाओं को विस्तारवादी सोच की दौड़ से बचाना होगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक साथ इसके लिए आवाज उठानी होगी।

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